घरघोड़ा। भीषण गर्मी में भूजल स्तर नीचे गिरने से नगर के अधिकांश कुएं और तलाब सूख रहे हैं। इससे पानी के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के साथ साथ नगर क्षेत्र में भी पानी के लिए हाय तौबा मच रही है। पानी की किल्लत से आमजनों से ज्यादा नगर में घुम रहे मुक पशु पीड़ित हैं। नगर में इन पशुओं के लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं होने से चिलचिलाती धूप में इनका बुरा हाल है। मालूम हो कि नगर में सैकड़ों पशु लावारिस हालत में है। जो इस भीषण गर्मी में अपनी प्यास बुझाने पानी के लिए तरसते भटक रहे हैं। इन लावारिस मवेशियों की सुध लेने के लिए ना तो नगर पंचायत तैयार है। ना तो गौ सेवक, वर्षों पूर्व नगर के कई संवेदनशील प्रबुद्ध जन अपने घरों के सामने में सीमेंट से बनी छोटी सी टंकिओं में पशुओं के लिए पानी रखा करते थे पर अब वह परंपरा भी समाप्त हो चुकी है। पशुओं को उनके मालिकों के द्वारा पूरी तरह से दोहन करने के बाद भटकने के लिए उन्हें लावारिस हालत में छोड़ दिया जाता है। ऐसे सैकड़ों मवेशियों को भटकते हुए नगर में देखा जा सकता है।

सीमेंट के जंगल में तब्दील होते क्षेत्र में गांव पेड़ पौधे पत्तियों के अभाव में मवेशियों को अपने पेट की आग बुझाने के लिए पॉलिथीन और दुकानों से फेंके गए कागज -पुट्टों को खाकर एवं नालियों का गंदा पानी को पीने के कारण इन्हें कई प्रकार की बीमारियों हो जाती है और आखिरकार इनका करुणान्त हो जाता है। नगर में भूख और प्यास से बेहाल हो कर भटक रहे मवेशियों के बारे में सुध लेने के लिए प्रशासन के पास वक्त नहीं है गर्मी के प्रकोप को देखते हुए नगर पंचायत कुछ अन्य संस्थाओं ने आमजनों को प्यास बुझाने के लिए कई जगह पियाऊ खोल दिया जाता है लेकिन नगर में मवेशियों की प्यास बुझाने का ख्याल किसी को अभी तक नहीं आया है, इसे नगर का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा।

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