जीएम सरसों बनाम किसान हित
बहुराष्ट्रीय कंपनियों की जीएम प्रौद्योगिकी अंतरराष्ट्रीय पेटेंट कानून के अंतर्गत सुरक्षित होती है जिसे बिना भारी भरकम रायल्टी दिए भारतीय संस्थान प्रयोग नही कर सकेंगे! वैसे भी सरसों और धान आदि की संकर किस्मों का बीज पिछले एक दशक से उपलब्ध है जिनकी पैदावार ज्यादा नही होने से किसानों ने इन्हें नहीं अपनाया। देश के कुल धान क्षेत्र का केवल आठ फीसद क्षेत्र ही संकर धान के अंतर्गत आता है! कनाडा व यूरोप की जिस संकर कानोला सरसों/गोबिया सरसों की दूगनी पैदावार का उदारहण देकर वैज्ञानिक देश में भ्रम पैदा कर रहे हैं, वह 1980-1999 के दौरान देश भर में किए गए परीक्षण में भारतीय मौसम के अनुकुल नहीं पाई गई थी। जीएम सरसों का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से इस हाइब्रिड फसल की खेती को मंजूरी देने से फिलहाल रुकने को कहा है।