तीन साल से बैल के साथ समय बिता रही 12वीं क्लास की दिव्यदर्शिनी, जल्लीकट्टू के लिए दे रही ट्रेनिंग
दिव्यदर्शिनी कहती हैं, जल्लीकट्टू अगले महीने होगा। अब हम जल्लीकट्टू के लिए बैल को तैयार करने में लगे हैं। फिलहाल हम बैल को चारा दे रहे हैं और भविष्य में चलने, तैरने और मिट्टी खोदने का प्रशिक्षण देंगे।
तमिलनाडु के मदुरै में 12वीं क्लास में पढ़ने वाली दिव्यदर्शिनी बीते तीन वर्षों से एक बैल के साथ समय बिता रही हैं। जानवरों के प्रति प्रेम भाव रखने वाली दिव्यदर्शिनी इस बैल को जल्लीकट्टू के लिए प्रशिक्षित कर रही हैं। जल्लीकट्टूट, राज्य में जानवरों को वश में करने वाला प्रसिद खेल है।
एक ओर जहां बैल को देखकर जल्लीकट्टू के खिलाड़ी भी डर जाते हैं और साइड हो जाते हैं, वहीं दिव्यदर्शिनी इसके साथ दोस्ताना व्यवहार करने का फैसला किया। वह पिछले तीन साल से बैल के साथ समय बिता रही हैं और उसे प्रशिक्षण दे रही हैं। दिव्यदर्शिनी बताती हैं, मैं 12वीं क्लास में पढ़ती हूं और हमारे परिवार जल्लीकट्टू बैलों की चार पीढ़ियां हैं।
इस बैल को अपने परिवार का सदस्य बताते हुए वह कहती हैं, जल्लीकट्टू अगले महीने होगा। अब हम जल्लीकट्टू के लिए बैल को तैयार करने में लगे हैं। फिलहाल हम बैल को चारा दे रहे हैं और भविष्य में चलने, तैरने और मिट्टी खोदने का प्रशिक्षण देंगे।
दिव्यदर्शिनी बताती हैं, मेरा बैल जब घर पर होता है तो शांत रहता है, लेकिन जब वह जल्लीकट्टू के मैदान में जाता है तो आक्रामक होता है। बैल घर के लिए लोगों से कुछ नहीं करता है।
तमिलनाडु के मदुरै में पोंगल के त्योहार से पहले ‘बुल ट्रेनर’ जल्लीकट्टू के लिए कमर कस रहे हैं। मदुरै जिले के पोडुम्बू गांव में बीस से ज्यादा युवाओं ने इस प्रतियोगिता के लिए बैलों को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया है। बैलों को चलने और तैरने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जल्लीकट्टू को एरू थजुवुथुल या मनकुविरत्तु के नाम से भी जाना जाता है। इसका आयोजन अगले कुछ हफ्तों में किया जाएगा।