देहरादून: उत्तराखंड की सड़कों पर घूम रहे निराश्रित गौवंशीय पशु मुसीबत बनते जा रहे हैं. कई बार इन पशुओं की वजह से सड़क हादसे भी हो रहे हैं, जिसमें लोगों के साथ ही गौवंश भी घायल हो जाते हैं. ऐसे में सड़कों पर मौजूद निराश्रित गौवंशीय पशुओं की समस्या से जनता को निजात दिलवाने को लेकर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की. उत्तराखंड एनिमल वेलफेयर बोर्ड की गौ सदनों के निर्माण से संबंधित हुई बैठक में सीएस रतूड़ी ने शहरी विकास विभाग की ओर से शहरी क्षेत्रों बनाए जा रहे 36 गौ सदनों के निर्माण कार्य को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए.

उत्तराखंड में 26 गौ सदनों के लिए भूमि चिन्हित: वर्तमान समय में शहरी विकास विभाग की ओर से राज्य के 13 जिलों में 36 गौ सदनों के लिए भूमि चिन्हित कर ली गई है. इसमें से 13 गौ सदनों का निर्माण कार्य चल रहा है. बैठक के दौरान सीएस राधा रतूड़ी ने सचिव शहरी विकास विभाग को निर्देश दिए कि नगर पालिकाओं के जरिए हर महीने शहरी क्षेत्र में सड़कों पर घूम रहे निराश्रित गौवंशीय पशुओं की संख्या की समीक्षा की जाए. साथ ही इसकी मॉनिटरिंग और उन्हें गौ सदनों में भेजने के भी पुख्ता इंतजामात किए जाएं.

निराश्रित गौवंशीय पशुओं को गोद लेने पर दिए जा रहे रोजाना 80 रुपए: उत्तराखंड में निराश्रित गौवंशीय पशुओं को गोद लेने वालों को दिया जाने वाला मानदेय देशभर के अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा है. प्रदेश में प्रति पशु के लिए रोजाना 80 रुपए दिए जा रहे हैं. मुख्य सचिव ने पंचायती राज विभाग को राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित किए जाने वाले 26 गौ सदनों के निर्माण कार्य को भी जल्द शुरू करने के निर्देश दिए. इसके लिए विभाग को मिसिंग लिंक योजना के जरिए 10 करोड़ की धनराशि पहले ही जारी की जा चुकी है.

एप और डैशबोर्ड में रहेगी गौवंश की जानकारी: वहीं, पंचायती राज विभाग ने भूमि चिन्हीकरण का काम पूरा कर लिया है. बैठक के दौरान सीएस ने बेसहारा गौवंशीय पशुओं की समस्या के समाधान में आधुनिक तकनीक और आईटी का इस्तेमाल करने की बात कही. जिसके तहत राज्य के सभी गौवंशीय पशुओं की अनिवार्य रूप से जियो टैगिंग के साथ ही डैशबोर्ड और एप को जल्द लॉन्च किया जाए. सीएस ने एप और डैशबोर्ड में हर गौवंशीय पशु की आयु, चिकित्सा समेत अन्य जानकारी से संबंधित डाटा एनालिसिस के निर्देश दिए हैं.

उत्तराखंड में निराश्रित गौवंशीय पशुओं की संख्या: निर्माणाधीन और पहले से ही संचालित गौ सदनों के संचालन एवं रखरखाव की लगातार मॉनिटरिंग के लिए मुख्य सचिव ने अधिकारियों को सख्त हिदायत भी दी. साथ ही इस बाबत निर्देश दिए कि गौ सदनों में गौवंश के लिए चारा, भूसा, प्रकाश, चिकित्सा, सुरक्षा और दवाइयों की पर्याप्त व्यवस्था हो. इसके लिए गौ सदनों का समय-समय पर निरीक्षण भी किया जाए. निराश्रित पशुओं की देखभाल में गौ सेवक योजना काफी अहम है. लिहाजा, इसे विस्तार देने की जरूरत है. उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड की मानें तो राज्य में निराश्रित गौवंशीय पशुओं की संख्या 20,887 है.

 

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