Jabalpur News: मध्य प्रदेश में गौ सेवा का मुद्दा सिर्फ वोट लेने तक ही सीमित रह गया है. हाल के बरसों में मध्य प्रदेश में दो बार सरकार तो बदल गई, लेकिन गायों की हालत नहीं बदली है.आज भी गौवंश को सड़कों पर घूमता हुआ और गौशालाओं में मरता हुआ देखा जा सकता है. गौवंश के संरक्षण और रक्षा के लिए सरकार की बनाई गई तमाम नीतियां फेल होती नजर आ रही हैं. हालात यह बन गए हैं कि बजट का एक तिहाई हिस्सा भी गौ सेवा के लिए नहीं मिल पाया है. आइए जानते है कि क्या है इसके पीछे की वजह.

मध्य प्रदेश में गायों की रक्षा और संरक्षण के लिए शिवराज सरकार ने वादे तो बहुत किए, लेकिन ये वादे जमीन पर नजर नहीं आए. मध्य प्रदेश गौपालन और पशु संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि महाराज भी राज्य में गौमाता की उपेक्षा से दुखी हैं. उनका मानना है कि सरकार गौशाला चलाने में असफल हो गई है. इसी वजह से अब प्रदेश की गौशालाओं को एनजीओ के हाथों सौंपना शुरू कर दिया गया है. हालांकि,अखिलेश्वरानंद महाराज का कहना है कि गौशाला चलाना सरकार का काम नहीं है. गौशालाओं को अब तक ग्राम पंचायतें चला रही थीं, लेकिन अब इन्हें एनजीओ के हवाले किया जा रहा है.

तीन हजार गौशालाओं का होना है निर्माण
आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में तकरीबन 24 हजार ग्राम पंचायतें हैं. इनमें 3000 गौशालाओं का निर्माण होना है. स्वामी अखिलेश्वरानंद के मुताबिक फिलहाल बन चुकी 1700 गौशालाओं में से 627 गौशालाएं एनजीओ के हवाले कर दी गई हैं. बाकी गौशालाओं को भी जल्द ही एनजीओ को सौंप दिया जाएगा.

गौ संवर्धन बोर्ड ने सरकार से मांगा था 300 करोड़ का बजट
इतना ही नहीं सरकार ने गौवंश के लिए जो बजट मंजूर किया था, उसका भी महज एक तिहाई हिस्सा ही गाय तक पहुंच पाया है.आंकड़ों के मुताबिक गौवंश के लिए मध्यप्रदेश प्रदेश गौ संवर्धन बोर्ड द्वारा सरकार से 300 करोड़ के बजट की मांग रखी गई थी. सरकार ने पहले 211 करोड रुपए की सहमति दी थी. इसके बाद भी सरकारी स्तर पर गफलत की गई. अंत में 190 करोड़ों रुपये की राशि स्वीकृत हुई, लेकिन अब तक सिर्फ 90 करोड़ की राशि ही मिल पाई है. गायों के संरक्षण के लिए अनुदान भी मांगा गया लेकिन उसमें भी आम जनता तो छोड़िए जनप्रतिनिधियों ने भी भागीदारी नहीं निभाई. नतीजा आज भी कई गौशाला अनुदान के लिए तरस रही हैं.

गौशालाओं में तीन लाख गौ वंश 

स्वामी खिलेश्वरानंद गिरि महाराज का कहना है कि हमारे पास गौशालाओं में तीन लाख गौ वंश हैं. इन्हें 20 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से आहार का बजट दिया जाता है. यह व्यवस्था कमलनाथ सरकार ने लागू की थी, जिसे जारी रखा गया है. उन्होंने कहा कि पूर्व में मंडी बोर्ड से भी पैसा मिलता था. जिसे कमलनाथ सरकार ने बन्द कर दिया गया था. जिसे अब पुनः लेने के प्रयास किया जा रहा है.

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