Animal ambulance service: मध्य प्रदेश में इलाज में देरी या अन्य वजहों से पशुओं के जोखिम कम होंगे। इंसानों की तरह अब पशुओं के लिए भी एम्बुलेंस सेवा शुरू करने का सरकार ने निर्णय लिया है। इस दिशा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और सरकार के प्रयास एक अप्रैल से नजर आना शुरू हो जाएंगे। इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस सिलसिले में पशुपालन और डेयरी मंत्री प्रेमसिंह पटेल ने एक बैठक भी की। जिसमें पशुपालन विभाग की परामर्शदात्री समिति को बताया गया कि डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा देने के साथ पशुओं की बेहतर ढंग से देखभाल के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास जारी हैं।
प्रदेश में एक अप्रैल 2023 से पशु एम्बुलेंस सेवा शुरू हो जायेगी। पशुपालन विभाग ने एम्बुलेंस में एक डॉक्टर, एक कम्पाउण्डर, एक ड्रायवर सहित कॉल-सेंटर के लिये 1238 लोगों को रोजगार से जोड़ा है। एम्बुलेंस में सभी जरुरी सुविधाएं रहेंगी। पशुपालन एवं डेयरी मंत्री प्रेमसिंह पटेल विभाग की परामर्शदात्री समिति की बैठक में कहा कि धार्मिक व्यक्ति और संस्थान गो-शालाओं का संचालन बेहतर ढंग से करते हैं। जिन ग्राम सभाओं में गो-शालाओं का व्यवस्थित संचालन नहीं हो रहा है, वहां की जिम्मेदारी एनजीओ को दें। हाल ही में लम्पी बीमारी से बचाव के लिये गायों को 37 लाख 13 हजार से अधिक टीकों में संस्थाओं का बड़ा योगदान रहा।
मंत्री पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा अनुसार ब्लॉक में अलग-अलग और छोटी-छोटी गो-शालाओं की जगह एक बड़ी गो-शाला में बेसहारा गायों को रखें। इससे गायों की देखभाल अच्छी होने के साथ गोबर और गो-मूत्र अधिक होने से उनकी आत्म-निर्भरता भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि 10 गौ-शालाओं को जोड़ कर एक गौ-वंश वन विहार बनाया जाएगा।
पशुपालन की विभिन्न केन्द्रीय और राज्य की गो-भैंस, बकरी, कुक्कुट-पालन योजनाओं की मौजूदा स्थिति पर भी चर्चा की गई। बकरी-पालन में हितग्राही को शासन द्वारा 60 प्रतिशत की सबसिडी दी जाती है। केन्द्र शासन की 4 करोड़ रूपये की गो-पालन योजना में 2 करोड़ रूपये की सबसिडी देने का प्रावधान है। साथ ही प्रदेश की आचार्य विद्यासागर योजना में 10 लाख रूपये तक का ऋण 5 गायों के लिये दिया जाता है। पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में डेयरी प्लस योजना विदिशा, रायसेन और सीहोर में लागू की गई है। इसमें अनुसूचित जाति-जनजाति को 75 प्रतिशत और सामान्य को 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है। विशेष पिछड़ी जनजातियों बैगा, भारिया, सहरिया को 90 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है।
प्रदेश में उच्च नस्ल की बछियों की संख्या बढ़ाने के लिये ब्लॉक स्तर पर नि:शुल्क टीके उपलब्ध कराये जायेंगे। इससे 90 प्रतिशत बछियों का जन्म होगा और अनावश्यक रूप से नर बछड़ों की संख्या नहीं बढ़ेगी। इसके अलावा उच्च नस्ल की अधिक दूध देने वाली गायों के भ्रूण प्रत्यारोपण से भी अच्छी गायों की संख्या बढ़ाई जा रही है। पंजीकृत गो-शालाओं में चारा-भूसा के लिये 202 करोड़ रूपये की राशि उपलब्ध करा दी गई है।
एमपीसीडीसी द्वारा प्रदेश में रोज 7 लाख साँची दूध पैकेट का वितरण होता है। लगभग 6 हजार 800 समितियों से संकलित दूध और उसके उत्पाद प्रदेश में 1100 मिल्क पार्लर, 513 मिल्क बूथ और 5400 प्रायवेट एजेंसियों से घर-घर पहुँचते हैं। उपभोक्ताओं की माँग को देखते हुए मोबाइल पार्लर की भी संख्या बढ़ाई जा रही है।