महाराष्ट्र की सत्ता में कई बार कायम रही पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार की NCP की टूट के चर्चे एक बार फिर से चल पड़े हैं। उद्धव ठाकरे की शिवसेना और कॉन्ग्रेस के साथ उसका गठबंधन है, जिसे ‘महा विकास अघाड़ी (MVA)’ नाम दिया गया था। उद्धव ठाकरे की पार्टी के दो फाड़ हो गए और सत्ता ही चली गई। अब शरद पवार के भतीजे अजित पवार के बगावती तेवर के चर्चे हैं। 8 अप्रैल को वो अचानक से कुछ विधायकों के साथ गायब हो गए थे, फिर अगले दिन ही नजर आए थे।
इसी दौरान महाराष्ट्र के कई बड़े भाजपा नेता भी दिल्ली पहुँचे थे, जिसके बाद कई चर्चाओं को बल मिला। महाराष्ट्र में चुनाव के बाद जब शिवसेना ने भाजपा को धोखा देकर गठबंधन तोड़ लिया था, तब कुछ दिनों के लिए अजित पवार ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था और देवेंद्र फड़नवीस फिर मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन, शरद पवार अपने कुनबे को एक करने में सफल रहे और भाजपा की सरकार गिर गई। मात्र 80 घंटे ही ये सरकार चल पाई थी।
महाराष्ट्र के स्टेट कोऑपरेटिव अंक (MSC) घोटाले के मामले में हुए केस में अजित पवार का नाम नहीं आया है। खुद अजित पवार का कहना है कि इसका अर्थ ये नहीं है कि उन्हें क्लीन चिट मिल गई है। उनके अचानक से बार-बार गायब होने के पीछे क्या राज़ है, ये खुलना अभी बाकी है। पुणे के ग्रामीण क्षेत्र बारामती में अजित पवार खासे लोकप्रिय हैं और उन्हें सख्त प्रशासक के रूप में जाना जाता रहा है। कई बार वो पार्टी से अलग रुख अख्तियार करते रहे हैं।
1991 में उन्होंने बारामती से उपचुनाव जीत कर चुनावी राजनीति में कदम रखा था। तब से वो लगातार 7 बार इस सीट पर जीत दर्ज कर चुके हैं। अजित पवार ने भाजपा के साथ जाने की चर्चाओं को नकार दिया था। उन्होंने बताया था कि वो उस दिन नवीं मुंबई के खारगर स्थित MGM अस्पताल में थे, ‘महाराष्ट्र भूषण’ सम्मान के दौरान रैली में गर्मी से हुई मौतों के बाद मृतकों के परिजनों के साथ। पिछले सप्ताह कुछ बैठकों को रद्द करने और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की भाजपा गठबंधन वाली सरकार पर नरम होने के बाद चर्चाएँ शुरू हुई थीं।
सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने एक ट्वीट में कहा है कि जब वो एक काम से मंत्रालय गई थीं, तब उन्हें पता चला कि अजित पवार 15 विधायकों को साथ लेकर भाजपा के साथ जाने वाले हैं। हाल ही में अजित पवार ने EVM को लेकर भी विपक्ष को झटका दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा चुका है कि वो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे। अजित पवार एक मराठा चेहरा हैं, जिनकी आबादी राज्य में 40% के आसपास है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एनसीपी के 53 में से 40 विधायक अजित पवार के साथ हैं।
NCP के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने भी इन अटकलों को नकार दिया है। उन्होंने कहा कि शिंदे-फड़नवीस सरकार के पास पहले से ही बहुमत है, उन्हें और विधायकों की ज़रूरत नहीं है। NCP के मुखिया शरद पवार ने भी हाल ही में गौतम अडानी का समर्थन किया था और पीएम मोदी के डिग्री पर उठे विवाद को गैर-ज़रूरी बताया था। अजित पवार का कहना है कि वो विधान भवन स्थित अपने कार्यालय में ही मौजूद रहेंगे।
ये भी बताया जा रहा है कि शिवसेना के दो फाड़ होने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का ही अब इंतजार है, जिसके बाद अजित पवार कोई फैसला ले लेंगे। उन्होंने अपने समर्थन में विधायकों को ध्रुवीकृत करना भी शुरू कर दिया है। उधर शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले का बड़ा बयान आया है कि अगले 2 दिनों में दिल्ली और महाराष्ट्र में 2 बड़े राजनीतिक विस्फोट होंगे। अजित पवार के भाजपा में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि गॉसिप के लिए उनके पास समय नहीं है, ये अजित दादा से ही पूछा जाना चाहिए। उन्होंने अजित पवार को मेहनती बताते हुए कहा कि हर कोई ऐसा नेता चाहता है।
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