मुंबई, आइएएनएस। जून 2019 से ईरान में फंसे पांच भारतीय नाविक करीब चार साल बाद आखिरकार शुक्रवार दोपहर घर लौट आए। ये पांचों हैं, मुंबई निवासी अनिकेत एस.येनपुरे और मंदार एम.वर्लीकर, पटना के प्रणव ए. तिवारी, दिल्ली के नवीन एम. सिंह और चेन्नई के थमिजह आर. सेलवन। वह दोपहर ईरान एयर से मुंबई पहुंचे। उनके रिश्तेदारों ने गले लगा कर उनका स्वागत किया, चूमा और हवा में उठा लिया।
हम करीब 45 महीनों तक अपने परिवार से दूर रहे: येनपुरे
इस दौरान सब की आंखें नम थीं। येनपुरे ने कहा, हमारी खुशी असीमित है। हम करीब 45 महीनों तक अपने परिवार से दूर रहे और बिछड़े रहे, लेकिन बुरा सपना अब खत्म हो गया है। अगले एक महीने हम आराम करेंगे और अपने परिवार के सभी सदस्यों से बातचीत करेंगे।
उन्होंने तेहरान में भारतीय दूतावास के प्रति आभार व्यक्त किया जिसने मुंबई तक उनके आपातकालीन यात्रा कागजात और टिकट की व्यवस्था की और साथ ही कुछ ईरानी वकीलों को सही सलामत घर वापसी सुनिश्चित करने के लिए धन्यवाद दिया।
अनजाने में नशीले पदार्थों की तस्करी रैकेट में फंस गए थे सभी
वर्लीकर ने कहा- हालांकि, उनके पासपोर्ट और सीडीसी नहीं सौंपे गए, और अब पांचों युवकों ने नए पासपोर्ट के लिए आवेदन करने की योजना बनाई है। फिलहाल तिवारी, सिंह और सेलवन अपने दोस्त येनपुरे और वर्लीकर के यहां ही रहेंगे, जब तक कि वो अपने-अपने गृह नगरों में लौटने के लिए अपने परिवारों से धन की व्यवस्था नहीं कर लेते। ये लोग फरवरी 2020 में ओमान के पास गहरे समुद्र में नौकायन कर रहे थे, लेकिन अनजाने में नशीले पदार्थों की तस्करी रैकेट में फंस गए, जिसे कथित तौर पर उनके जहाज के कप्तान ने अंजाम दिया था।
येनपुरे के पिता शाम येनपुरे ने कहा, ‘इसके लिए, उन्हें गिरफ्तार किया गया, जेल में डाला गया और ईरान के अलग-अलग शहरों में घुनाया गया। वे कानूनी लड़ाई लड़ते रहे, छिपते भी रहे और छोटे-मोटे काम भी करते रहे।’
पीएम से लेकर ईरान के राजनयिकों सें मांगी मदद: येनपुरे के पिता
उन्होंने आगे कहा कि इस दौरान दूरदराज के इलाकों में सहानुभूतिपूर्ण ग्रामीणों द्वारा दिए गए भोजन और कपड़ों पर निर्भर रहे। शिरडी में श्री साईंबाबा मंदिर के लिए पैदल मार्च निकालते हुए, दूधवाले येनपुरे ने भावुक शब्दों में कहा- हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, भारत में ईरान के राजनयिकों और ईरान में भारतीय राजनयिकों, ईरान के शीर्ष नेताओं और अन्य लोगों से मदद के लिए संपर्क किया था।
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