Home Entertainment पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स: ग्रामीण भारत को दर्शाती फिल्म का ट्रेलर रिलीज़

पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स: ग्रामीण भारत को दर्शाती फिल्म का ट्रेलर रिलीज़

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कन्या भ्रूण हत्या , महिला सशक्तिकरण पर आधारित पंच कृति फ़ाइव एलिमेंट्स

मुम्बई। भारत के गाँव और छोटे शहरों को कहानियों पर कई फिल्में बनी हैं। लेकिन इनमें से कुछ ही फिल्में ऐसी हैं जिन्होंने ग्रामीण भारत को सही तरीके से दर्शाया है। ‘पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स’, जिसका ट्रेलर आज लॉन्च हुआ है, बुंदेलखंड के चंदेरी शहर में स्थित पांच कहानियों पर आधारित है । ट्रेलर देख कर दर्शकों के मन यह विश्वास ज़रूर पैदा होता है कि फिल्म के रचयिताओं ने ग्रामीण भारत को उसके सच्चे स्वरुप में दर्शाया है। फिल्म की खासियत यह भी है कि यह किसी सेट पर नहीं बुंदेलखंड के विभिन्न हिस्सों में फिल्मायी गयी है। फ़िल्म में प्रमुख किरदारों में बृजेंदर काला, उमेश बाजपेई, सागर वाही, पूर्वा पराग, मानी सोनी और रवि चौहान प्रमुख भूमिकाओं में नज़र आएंगे।

यह फ़िल्म कई गंभीर सामजिक मुद्दों की बात करती हैं, महिला सशक्तिकरण, स्वच्छता, अंधविश्वास भूत प्रेत, कन्या भ्रूण हत्या जैसी बुराइयों को ट्रेलर में हाइलाइट किया गया। हम देखते हैं स्वच्छ भारत का संदेश पंडित के किरदार में बृजेंद्र काला बताते जामे लिखा हैं तालाब में नहाना, कपड़े धोना, विसर्जन, मुंडन मना हैं लेकिन सब कर रहे हैं। ट्रेलर के इसी हिस्से में एक व्यक्ति तालाब में डुबकी लगाता है और तालाब में विसर्जित सिर का कंकाल बाहर आता हैं जिसे देखकर बाहर खड़ा व्यक्ति दर जाता हैं इस बड़ा ही फ़नी और मनोरंजक लगता हैं।

ट्रेलर के एक हिस्से में एक महिला किरदार छोटी बच्ची को डाट लगाते हुए कहती हैं “कितनी सीधी घर में बन कर रहती हैं कुछ नहीं बोलती और बाहर जाकर चपड़ चपड़ लगी रहती हैं। कितना मारूं कितना डाँट लगाऊँ की तू सुधर जाएँ फ़िल्म में बुंदेलखंडी बोली और लहजे की झलक दिखाई पड़ती हैं । एक दूसरे संवाद में पूजा और विश्वास से हिम्मत बढ़े है की अच्छी बात होती हैं तो दूसरे दृश्य में स्थानीय सुवाटा पूजा की बात भी होती हैं जहाँ पर भूत प्रेत के साये और अंधविश्वास की झलक देखने को मिलती हैं एक छोटी बच्ची बताती है कि वह भूत नहीं हैं । कुछ भी करके इसके सिर से भूत निकाल कर भगाइए।

रियल लोकेशन की फ़िल्मिंग करने के महत्व को समझाते हुए निर्देशक संजोय भार्गव कहते हैं, “सेट पर बनी फिल्में कभी सच्ची या ‘रीयल’ नहीं लगतीं। आप जितनी भी कोशिश कर लें पर एक असल जगह को आप सेट पर रीक्रिएट नहीं कर सकते। जब दर्शक किसी शहर या गाँव को एक फिल्म में देखें, तो उन्हें लगना चाहिए की वे खुद वहाँ पहुँच गए हैं। उस जगह की खुशबू लोगों तक पहुंचनी चाहिए। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि गाँव शहरों से कहीं ज़्यादा खूबसूरत होते हैं। गाँव में शहरों की तरह भीड़ और प्रदूषण नहीं होता। जो सुकून ग्रामीण भारत में मिलता है वह और कहीं नहीं मिलता। ”

चंदेरी एक छोटा सा शहर है जो हमेशा से अपने ऐताहासिक स्तम्भों के लिए जाना गया है। भव्य जैन मंदिरों के अलावा चंदेरी अपनी प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। चंदेरी चरों तरफ से खूबसूरत पहाड़ों से घिरा हुआ है और यह सारी चीज़ें इस शहर के खूबसूरती में इज़ाफ़ा लाती हैं। फिल्म में दर्शायी गयी पाँचों कहानियां चंदेरी क़स्बे में फिल्मायी गयी हैं।

निर्देशक संजोय भार्गव आगे कहते हैं कि फिल्म की पांच अलग – अलग कहानियां से दर्शक चंदेरी के विभिन्न रूपों से रूबरू हो पाएंगे । इस छोटे से शहर में बहुत सारी अनोखी चीज़ें हैं। जो एक बार चंदेरी आता है वह कभी इसे भूल नहीं पाता। हमारी फिल्म ग्रामीण भारत के अलग – अलग पहलुओं को उजागर करती है। शहर और जिले के प्रशासन ने हमारी बहुत सहायता की और इसके लिए हम उनके आभारी हैं। शूटिंग के दौरान हमें किसी भी तरह की परेशानी या अड़चन का सामना नहीं करना पड़ा।

‘पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स’ एक महिला प्रधान फिल्म है जो महिलाओं से जुडी कई समस्याओं को उजागर करती है। यह फ़िल्म भारत के कई महत्वपूर्ण अभियान जैसे ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के बारे में भी जागरुकता पैदा करती है। सिनेमघरों में फ़िल्म देखने जाने वाले दर्शकों को हर शो में लकी ड्रॉ में हिस्सा ले कर स्मार्ट टी वी, स्मार्टफोन, साइकल और होम थिएटर सिस्टम जैसे आकर्षक उपहार जीतने का मौका मिलेगा।

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