ईरान में मोरैलिटी पुलिस की इकाइयां भंग, हिजाब विरोधी प्रदर्शन के बाद उठाया सख्त कदम
सख्त ड्रेस कोड के खिलाफ महीनों तक चले विरोध प्रदर्शनों के बाद ईरान की नैतिकता पुलिस की इकाइयों को खत्म कर दिया गया है। स्थानीय मीडिया ने यह जानकारी दी है।
सख्त ड्रेस कोड के खिलाफ महीनों तक चले विरोध प्रदर्शनों के बाद ईरान की नैतिकता (मोरैलिटी) पुलिस की इकाइयों को खत्म कर दिया गया है। स्थानीय मीडिया ने यह जानकारी दी है। समाचार एजेंसी आईएसएनए ने अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जाफर मोंटाजेरी के हवाले से शनिवार को कहा, नैतिकता पुलिस का न्यायपालिका से कोई लेना-देना नहीं है। इसे खत्म कर दिया गया है। नैतिकता पुलिस को कट्टरपंथी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के द्वारा स्थापित किया गया था। औपचारिक रूप से इसे गश्त-ए-इरशाद के रूप मेंम जाना जाता है।
‘हिजाब की संस्कृति का प्रसार करने के लिए’ नैतिकता पुलिस सुनिश्चित करती थी कि महिलाओं का सिर ढका हो। नैतिकता पुलिस की इकाइयों ने 2006 में गश्त शुरू की थी। अटॉर्नी जनरल मोंटाजेरी ने नैतिकता पुलिस की इकाइयों को खत्म करने की घोषणा के एक दिन बाद कहा, संसद और न्यायपालिका दोनों इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं कि क्या महिलाओं को अपने सिर को ढकने वाले कानून को बदलने की जरूरत है। राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने शनिवार को टेलीविजन पर अपने संबोधन में कहा, ईरान की गणतंत्रात्मक और इस्लामी नींव संवैधानिक रूप से मजबूत है, लेकिन संविधान को लागू करने के ऐसे भी तरीके हैं, जो लचीले हो सकते हैं। 1979 की क्रांति के चार साल बाद हिजाब अनिवार्य कर दिया गया था। ईरान की क्रांति ने अमेरिका समर्थित राजशाही को उखाड़ फेंका था और इस्लामिक गणराज्य की स्थापना की थी।
नैतिकता पुलिस अधिकारियों ने 15 साल पहले महिलाओं को नियंत्रित करने और उन्हें गिरफ्तार करने से पहले शुरू में चेतावनी जारी की थी। दरअसल, इसी साल ईरान में एक युवती महसा अमिनी (22 वर्षीय) को नैतिकता पुलिस के द्वारा सख्त ड्रेस कोड का उल्लंघन करने पर गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद युवती की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। इसके बाद राजधानी तेहरान समेत देश के अन्य हिस्सों में हिजाब विरोधी प्रदर्शन हुए। कई महिलाओं ने विरोध में बालों को भी काटा। ये प्रदर्शन दो महीने से भी अधिक समय तक चले।