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श्रित भविष्य में जानवरों की सहायता के लिए बनाना चाहती है एनजीओ

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एक छोटे से गाँव की मगर विशेष व्यक्तित्व की धनी लड़की ने असाधारण सपना देखा। वह था फ़िल्मों की चमकती दुनिया में अपनी पहचान बनाने का सपना। यह कहानी है श्रित चाँदे की, जो आज हज़ारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। जो मायानगरी में आना चाहते हैं।
श्रित चाँदे का जन्म मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र बॉर्डर पर स्थित एक सामान्य गांव पांढुरना में हुआ था, जहाँ लड़कियों से अक्सर बड़े सपने देखने की उम्मीद नहीं की जाती। लेकिन श्रित ने अपने सपनों को ज़िंदा रखा। हर कठिनाई और अस्वीकृति को अपने आत्मबल और मेहनत से मात दी। श्रित जब किशोरावस्था में ही थी तभी कुछ कर गुजरने का जुनून लिए घर को छोड़ दिया और पहले नागपुर फिर चंद्रपुर फिर भंडारा और पुनः नागपुर आ गयी। अकेली मासूम जिसे दुनिया की समझ ना थी उसने अपने जीवन यापन के लिए पहले प्रयास किया। उसने सबसे पहले मार्केटिंग बिजनेस में सेल्स गर्ल का काम किया जिसमें उसने सबसे पहले डिटेरजेंट पावडर फिर प्रोटीन पाउडर और आरओ जैसे कई प्रोडक्ट डोर टू डोर बेचे। पार्टी और रिसेप्शन में वेट्रेस का काम किया और इस तरह छोटे बड़े काम करके पैसे जमा किये ताकि मायानगरी की राह आसान हो जाये। नागपुर में ही एक फैशन शो में हिस्सा लिया जहाँ जाने से पहले उन्हें कई लोगों ने मना किया, किसी का सपोर्ट नहीं मिला तभी उनकी एक महिला मित्र ने उन्हें प्रोत्साहित किया और मुम्बई आने की सलाह दी। फैशन शो के कारण श्रित को विज्ञापनों में काम करने का मौका मिला। मुंबई जैसे बड़े शहर में अपने पैर जमाना किसी युद्ध से कम नहीं। लेकिन श्रित ने हार नहीं मानी। वह मुम्बई आने के बाद उसी मित्र के साथ रही और यहाँ अभिनय के लिए ऑडिशन दिए। लेकिन जब उन्हें चार शो ऑफर हुए तब उनकी दोस्त ने दगा किया जिसके कारण उसका रेंट का घर उससे छीन लिया गया। मजबूरी में वह अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग में तीन दिनों रही क्योंकि उनके दैनिक जीवन के खर्चे के पैसे भी चोरी हो गए थे। मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। आर्थिक स्तर को मजबूत बनाने के लिए श्रित ने विज्ञापन फिल्मों और फैशन शो के जरिये अपनी शुरुआत की और धीरे-धीरे इंडस्ट्री में अपनी जगह बनानी शुरू की। लैक्मे, लोढ़ा बिल्डर, फ्लिपकार्ट,साड़ी, ज्वेलरी आदि कई छोटे बड़े ब्रांड्स के विज्ञापन किये। टीवी में धारावाहिक विघ्नहर्ता गणेश में काम किया है। कई मोड़ उनकी जिंदगी में ऐसे आये जब वह लगभग टूट सकती थी मगर श्रित ने हार नहीं मानी। यह दृढ़ विश्वासी मराठी मुलगी जमीन से जुड़ी इंसान है जिसने बेहद कम उम्र में कई अच्छे बुरे अनुभवों को जीया है। इनका परिवार फिल्मी जगत से संबंधित नहीं है इसलिए इनके सपनों को उन लोगों ने नहीं समझा।
वैसे बचपन से ही श्रित चाँदे को अभिनय और नृत्य में रुचि थी। स्कूल के कार्यक्रमों में मंच पर जब वह आतीं, तो उनकी कला को हर कोई मंत्रमुग्ध होकर देखता। उन्होंने खुद को निखारने के लिए स्कूल और लोकल नाटकों में हिस्सा लिया, डांस और अभिनय वर्कशॉप में भाग लिया और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर अपने टैलेंट को दुनिया के सामने रखा। उनका परिवार चाहता था कि वह कोई सरकारी नौकरी करें।
बॉलीवुड में वह बिपाशा बसु से बेहतर प्रभावित हुईं और कहीं ना कहीं यही प्रभाव उन्हें मायानगरी ले आया। बिपाशा बसु की आत्मनिर्भरता, सुष्मिता सेन की गरिमा, प्रियंका चोपड़ा की वैश्विक सोच और लारा दत्ता की बुद्धिमत्ता ने श्रित के दृष्टिकोण को आकार दिया। उन्होंने इन महिलाओं की तरह खुद को न केवल ग्लैमर की दुनिया में, बल्कि एक सशक्त महिला के रूप में भी स्थापित किया। वह सलमान खान, शाहरुख़ ख़ान, आयुष्मान खुराना और नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ काम करना चाहती हैं। निर्देशक फराह खान की फिल्म ओम शांति ओम का प्रसिद्ध संवाद “अगर किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हे उससे मिलाने में लग जाती है।” श्रित चाँदे के जीवन की प्रेरणा है।
श्रित अब अपने करियर की एक नई ऊँचाई पर हैं। बहुत जल्द वह एक मराठी फ़िल्म में अपने पहले आइटम सॉन्ग से दर्शकों को चौंकाने और मनोरंजन करने आ रही हैं। उनका यह डांस नंबर न सिर्फ़ ग्लैमर से भरपूर होगा, बल्कि उनकी मेहनत और समर्पण की गवाही भी देगा।
श्रित कहती हैं -“अगर आपमें जज़्बा है, तो मंज़िल तक जरूर पहुंचेंगे। सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ़ मेहनत की ज़रूरत होती है। बाकी सब रास्ते खुद बनते जाते हैं। यदि आप इस ग्लैमर की दुनिया में कदम रख रहें हो तो केवल अपने लक्ष्य पर ध्यान दें क्योंकि आपको मार्ग से विचलित करने वाले तत्व हजारों मिलेंगे मगर मंजिल तक का सफर आपको अकेले तय करना है।
श्रित भविष्य में जानवरों की सहायता के लिए एक एनजीओ बनाना चाहती है।
आज श्रित चाँदे सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं हैं, वह उन हज़ारों लड़कियों की उम्मीद है, जो गांवों में बैठकर एक नई सुबह का सपना देखती हैं।
श्रित की कहानी हमें यह सिखाती है कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती। बस उड़ान भरने का हौसला होना चाहिए।

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