महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) ने नागपुर-गोवा शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे (Shaktipeeth Expressway) के रूट में बड़ा बदलाव किए हैं। शीतकालीन सत्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) की घोषणा के बाद अब इस महामार्ग की रूपरेखा पूरी तरह बदल गई है, जिससे यह न केवल राज्य का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे बनेगा, बल्कि अब मुंबई से भी जुड़ जाएगा।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के रूट में बड़े बदलाव किए गए हैं, जिससे शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई अब 803 किमी से बढ़कर 840 किमी हो गई है। यह विस्तार न केवल कनेक्टिविटी बढ़ाएगा, बल्कि महाराष्ट्र के आर्थिक और धार्मिक पर्यटन की तस्वीर भी बदल देगा। इसे मुंबई-नागपुर समृद्धि महामार्ग की तर्ज पर विकसित करने का प्रस्ताव है।

नए रूट में सतारा की एंट्री

शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे के नए अलाइनमेंट में अब सतारा जिले को भी शामिल किया गया है। पहले यह मार्ग वर्धा के पावनार से शुरू होकर पत्रादेवी (गोवा सीमा) तक जाना था। अब इसे कोल्हापुर के चंदगड के रास्ते आगे ले जाया जाएगा। सबसे महत्वपूर्ण बदलाव इसकी मुंबई से कनेक्टिविटी है। लातूर के मुरुड में इसे ‘जन कल्याण महामार्ग’ से जोड़ा जाएगा। वर्धा से सांगली तक लातूर और सोलापुर के रास्ते जाने वाला करीब 442 किमी लंबा यह खंड, जन कल्याण महामार्ग और मुंबई-बार्शी रोड के जरिए मुंबई तक पहुंचने का नया और तेज विकल्प उपलब्ध कराएगा। भविष्य में इसे विरार-अलीबाग कॉरिडोर से भी जोड़ा जा सकता है।

अब 90 हजार करोड़ होगी लागत

शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे के रूट के विस्तार और नए जिलों को जोड़ने के कारण परियोजना की लागत में भी इजाफा हुआ है। पहले इस प्रोजेक्ट का बजट करीब 86,000 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर लगभग 90,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। निर्माण प्रक्रिया की बात करें तो 70 फीसदी भूमि अधिग्रहण का काम पूरा होने के बाद ही काम शुरू किया जाएगा।

क्यों खास है शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे?

इस महामार्ग के बनने से नागपुर और गोवा के बीच का सफर जो फिलहाल 18-20 घंटे का है, घटकर मात्र 8 घंटे रह जाएगा। शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे विदर्भ, मराठवाडा, पश्चिम महाराष्ट्र और कोंकण को एक कतार में लाएगा। यह एक्सप्रेसवे वर्धा, यवतमाल, हिंगोली, नांदेड़, परभणी, बीड, लातूर, धाराशिव, सोलापुर, सांगली, सिंधुदुर्ग, सतारा आदि जिलों से होकर गुजरेगा। यह न केवल तीर्थयात्रियों के लिए वरदान साबित होगा, बल्कि राज्य के औद्योगिक विकास को भी नई गति प्रदान करेगा।

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