मुंबई। देश की शिक्षा प्रणाली में अभिनव बदलाव लाने वाले और मेमोरी तकनीक के क्षेत्र में विश्व रिकॉर्डधारी सी. ए. डॉ. महेश गौड़ को महाराष्ट्र रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें यूएनआई-ग्लोबल इंटेलेक्चुअल्स फाउंडेशन द्वारा आयोजित वार्षिक शिक्षा शिखर सम्मेलन 2025 में प्रदान किया गया, जो नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट (एनजीएमए), मुंबई और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से आयोजित हुआ।
इस अवसर पर कई गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रही, जिनमें मंगल प्रभात लोढ़ा (कौशल विकास, रोजगार, नवाचार मंत्री, महाराष्ट्र सरकार), एडवोकेट आशीष शेलार (सूचना प्रौद्योगिकी एवं सांस्कृतिक मामलों के कैबिनेट मंत्री), सुश्री निधि चौधरी (आईएएस, निदेशक, एनजीएमए मुंबई) और प्रेम शुक्ला (भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता) शामिल थे।
इस सम्मेलन में देशभर से कई व्यक्तित्वों को शिक्षा क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। इनमें डॉ. गौड़ विशेष रूप से चर्चित रहे, जिनकी मेमोरी तकनीक न केवल छात्रों को संपूर्ण पुस्तक याद रखने में सहायता करती है, बल्कि यह तकनीक वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है और रटने (रटंत विद्या) को प्रोत्साहित नहीं करती, बल्कि सीखने को समझने और स्थायी रूप से याद रखने की दिशा में मार्गदर्शन करती है।
डॉ. गौड़ की यह शोधपरक तकनीक यह बताती है कि मस्तिष्क कैसे काम करता है और उसे किस तरह प्रशिक्षण देकर अद्भुत परिणाम पाए जा सकते हैं। उनकी संस्था एडुवेदा एडटेक प्राइवेट लिमिटेड के अंतर्गत आने वाला ब्रांड एडुक्विक (Eduquik) जल्द ही इस मेमोरी तकनीक पर आधारित एक विशेष कोर्स लॉन्च करने जा रहा है। यह कोर्स न केवल भारत के छात्रों के लिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
सम्मेलन आयोजकों ने डॉ. गौड़ के कार्यों की मुक्तकंठ से सराहना की और कहा कि उनका योगदान शिक्षा की पारंपरिक पद्धतियों में बदलाव लाने वाला है। उन्होंने यह साबित किया है कि वैज्ञानिक सोच और तकनीकी नवाचार से शिक्षा को अधिक प्रभावशाली और रोचक बनाया जा सकता है।
सम्मान प्राप्त करने के बाद डॉ. गौड़ ने कहा, “यह पुरस्कार मेरे लिए नहीं, बल्कि उन सभी छात्रों के लिए है जो बेहतर तरीके से सीखना चाहते हैं। हमारी कोशिश है कि हम विज्ञान आधारित शिक्षण विधियों को हर विद्यार्थी तक पहुंचाएं।”
शिक्षा शिखर सम्मेलन 2025 में डॉ. गौड़ जैसे प्रेरणादायक व्यक्तित्वों ने यह संदेश दिया कि नवाचार और समर्पण से शिक्षा को नई दिशा दी जा सकती है।