वाराणसी। पूरे देश की निगाहें इस समय अगले साल 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर है। नित्य नए अपडेट के साथ भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। इसी बीच काशी से ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने नई बहस को जन्म दे दिया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में गौ हत्या हो रही है ऐसे में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठ के बाद हम कैसे भगवान का दर्शन करेंगे जिन्होंने गौ रक्षा के लिए अवतारा लिया था। ऐसे में जा सरकार इसके लिए कानून बना देगी और गौ को राष्ट्रमाता घोषित करेगी तभी हम दर्शन को राम मंदिर जाएंगे।
संतों ने शुरू किया आंदोलन, सभी शंकराचार्यों ने दी सहमतिदेश में भारत की आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, तो ये प्रश्न है कि अमृत कहां है ? लोग कहते हैं कि गाय के दूध में अमृत है और गाय के दूध को अमृत कहा जाता है। गाय कट रही है और देश अमृत महोत्सव मनाए ये कैसे संभव है। ऐसे में भारत के संतों ने, गौ भक्तों ने, सनातन धर्मियों ने, भारतीय संस्कृति से प्यार करने वाले लोगों ने यह तय किया कि अमृत महोत्सव मनाना तब सही होगा जब गौ हत्या पर पाबंदी लग जाए और उसे राष्ट्रमाता का सम्मान मिल जाए। उसके लिए राष्ट्रमाता प्रतिष्ठा आंदोलन संतों ने शुरू किया है। इसपर चारों पीठों के शंकराचार्यों से भी हमें समर्थन और आशीर्वाद मिला है। भारत के 36 प्रदेशों के लिए एक-एक संतों को आज के दिन जिम्मेदारी दी गई है। हमारी मांग है कि सरकार उन्हें निर्भय होने का वचन भी मांगा है कि आप को काटा मारा नहीं जाएगा। आप का अपमान नहीं किया जाएगा। इसका पूरा भरोसा दिया जाए।
गौ हत्या बंद करवाने के बाद ही करेंगे रामलला की दर्शनशंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से जब पूछा गया कि आप को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए निमंत्रण आया है तो उन्होंने कहा कि ‘सवाल निमंत्रण आने न आने का है कि हमारा कोई ससुराल थोड़े ही है। हमारा हक है हमारा मन करेगा तो हम जाएंगे वहां दर्शन करने। सवाल दर्शन करने और वहां जाने का नहीं है सवाल यह है कि क्या हम भगवान श्रीराम के सामने चेहरा दिखाने लायक हैं। हम वहां जहां के हम खड़े हुए और भगवान् श्रीराम ने पूछ दिया कि जिस गाय के लिए मैंने अवतार लिया। उस गाय की क्या हालत है तुम लोग पदों पर बैठे हुए हो। सनातन धर्म के आचार्य बने बैठे हो; तो हम क्या जवाब देंगे। हमारे मन में इस बात का बड़ा संकोश और लज्जा है कि हम भगवान् को मुंह दिखाने लायक नहीं है। पहले गौ हत्या को बंद करवाएंगे तब भगवान् के सामने जाकर खड़े होंगे तो वो खुश होंगे और आशीर्वाद देंगे। हमारे दर्शन करने का भी तभी मतलब है जब हम ऐसा कर सकें।’