-संजय बलोदी प्रखर
(मीडिया समन्वयक उत्तराखंड प्रदेश )
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने त्वरित फैसलों व कठोर निर्णय के लिए सदैव चर्चित रहते हैं उनकी दूरदर्शिता और राज्य की धरातल की समस्याओं के प्रति उनकी जानकारी या मजबूत पकड़ इनकी कार्य करने की पद्धति को विशिष्ट पहचान देती है।
उत्तराखंड पर्वतीय प्रदेश होने के कारण अपने वन संपदा व प्राकृतिक संसाधनों की बहुलता व उनके उपभोग के लिए जाना जाता है! यहां के मूल निवासी सैकड़ों वर्षो से वन व प्रकृति पर ही पूर्णतय: निर्भर रहते हैं। पर्वतीय प्रदेश होने के कारण यहां राज्य के विकास में वन महत्वपूर्ण अंग है..! वन संपदा का राज्य की विकास योजनाओं के निर्माण व उसके स्वरूप को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण स्थान है।
किंतु विकास के इस विस्तारीकरण की व्यवस्था में स्थानीय जनमानस व वन्यजीवों के मध्य संघर्ष बना रहता है। बढ़ती आबादी घटते वनों के कारण दोनों पक्षों (मानव व वन्यजीवों) के आपसी संघर्ष में हानि होती है, जिस कारण यह समय-समय पर सामाजिक, राजनीतिक व मानवीय जीवन का मुद्दा बन जाता है।हालांकि राज्य सरकारें अपने स्तर पर मानव व वन्य जीवन संघर्ष के तहत होने वाली क्षतियों को कम करने व मानवीय सहायता के प्रयास करती रही है., किंतु वर्तमान परप्रेक्ष्य में वह नाकाफी हो रही थी।
इन सभी बिंदुओं व चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मानव व वन्य जीवन संघर्ष के तहत मिलने वाली राहतों ,सहयोग ,सुविधाओं व लाभों में संशोधन कर त्वरित कार्रवाई की है ! इन संबंधित विषयों को लेकर उत्तराखंड राज्य वन जीव बोर्ड की 19वीं बैठक 4 अगस्त 2023 को देहरादून सचिवालय में की गई..! जिसमें वर्तमान व भविष्य की चिंताओं व चुनौतियो को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
जिसमें प्रथम- वन्यजीव व मानव के मध्य संघर्ष पर हुए जान-माल की हानि पर पीड़ित को 15 दिन के अंदर राहत राशि उपलब्ध कराना..!
द्वितीय- स्थानीय कृषकों के लिए सिरदर्द बन चुकी सूअरों व बंदरों की अनियंत्रित संख्या से खेतों की सुरक्षा हेतु ठोस कार्ययोजना की संकल्पना तैयार करना..!
तृतीय- वन्यजीवों से फसलों को सुरक्षित रखने हेतु बायोफेसिंग का नियोजन करना ….जबकि
वहीं किसानों की जान माल की हानि को कम से कम किया जाए इन बातों को विशेष महत्व देते हुए मुख्यमंत्री धामी ने मानव -वन्य जीव संघर्ष को दृष्टिगत रखते हुए अति संवेदनशील क्षेत्रों को रेखांकित कर उन स्थानों पर अलर्ट सिस्टम स्थापित करना का निर्णय लिया .! मानव सुरक्षा की दृष्टि से जंगल की सीमा से सटे गावं में सोलर लाइट व अन्य वैकल्पिक व्यवस्था करने का भी मुख्यमंत्री ने आदेश दिया.!.” सुरक्षा की दृष्टि से जन सामान्य को वन्यजीवों के संरक्षण व उनके रेस्क्यू तथा स्वयं को सुरक्षित रखने हेतु जागरूकता व उचित वन्यकर्मियों की तैनाती का भी निर्देश दिया गया।.!
पहाड़ों में मधुमक्खियों तथा ततयों के हमले से होने वाली मृत्यु पर भी मुआवजा दिया जाएगा ऐसा प्रावधान उत्तराखंड की धामी सरकार द्वारा बनाया जाएगा यह आश्वासन मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया ..!
अपनी बैठक में मुख्यमंत्री ने न केवल मानवीय हितों को ही केंद्रित किया बल्कि भविष्य में वन्य जीव संरक्षण व राज्य के पर्यटन व विकास की रूपरेखा को भी दृष्टिगत रखते हुए कई निर्णय लिए .!बाघों की सुरक्षा को लेकर टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का शीघ्र गठन व संरक्षण हेतु संशोधन को भी उन्होंने प्राथमिकता दी। हालांकि इस बैठक में वन्यजीव बोर्ड द्वारा बाघ प्रजाति के गुलदारों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि दर्शाते हुए 3115 बताई गई जो सन्2008 में हुई गणना की संख्या 2335 से अधिक थी।
उत्तराखंड में इको टूरिज्म व वन्यजीव टूरिज्म की अपार संभावनाओं पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने इनके व्यापक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर भी बल दिया, यही नहीं वनसांख्यकी , पर्यावरण व पारिस्थितिक तंत्र को व्यवस्थित व नियंत्रित रखने हेतु अनेक प्रकल्पों जैसे- पक्षी महोत्सव ,होली वेंडेड पीकॉक, पक्षी फिन्स वया के संरक्षण हेतु भी मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने वर्तमान व भविष्य की चिंताओं को संज्ञान में लेते हुए विस्तृत कार्य योजनाओं के संबंध में उन्हें धरातल पर क्रियान्वित करने का आदेश दिया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा टोल फ्री वन्यजीव हेल्पलाइन नंबर 1800 8909715 का भी लोकार्पण कर स्वयं मॉकड्रिल कर इस सुविधा की जांच की।
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