Uttar Prdaesh News: उत्तर प्रदेश में गाय और मवेशियों को बेहतर आश्रय प्रदान करने के लिए योगी सरकार टीपीपी मॉडल पर बने गौ आश्रयों को शुरू करने की योजना बना रही है. यहीं नहीं सरकार गाय आश्रयों को अपनी आय उत्पन्न करने के लिए आत्मनिर्भर भी बनाएगी. फसल की बर्बादी और यहां तक कि बड़ी दुर्घटनाएं झेल रहे किसानों के लिए आवारा मवेशियों का मुद्दा अब भाजपा सरकार की प्राथमिकता बन गई है. यूपी चुनाव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इसे बायो फार्मिंग से जोड़कर समस्या के स्थायी समाधान की बात कही थी.

मवेशियों के वध पर प्रतिबंध और गौरक्षकों के डर से आवारा पशुओं की समस्या तेजी से बढ़ी है और यूपी में दूध न देने वाले पशुओं को पालना किसानों के लिए मुश्किल होता जा रहा है. 6 अगस्त, 2019 को उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने ‘मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहायता योजना’ को मंजूरी दी थी. जिसके तहत आवारा पशुओं को रखने वाले लोगों को राज्य सरकार प्रतिदिन 30 रुपये देती है. राज्य सरकार ने इस योजना पर करीब 109.5 करोड़ रुपये खर्च करने का अनुमान लगाया था. इंडियास्पेंड में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, 25 सितंबर, 2021 तक 53,522 लोगों को 98,205 मवेशी दिए जा चुके हैं. हालांकि अगर इसकी तुलना उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की संख्या से करें तो यह बहुत कम है. यानी सरकार को अभी इस पर और काम करने की जरूरत है.

अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गौशाला चलाने के लिए अर्थव्यवस्था बनाने की जरूरत है. इसके लिए एक सेल्फ-सस्टेनेबल मॉडल बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पीपीपी मोड पर गौशालाओं का निर्माण कराया जाए। साथ ही उन्हें प्राकृतिक खेती, गोबर पेंट, सीएनजी और सीबीजी से जोड़ा जाए. इससे गौशालाएं आर्थिक रूप से मजबूत होंगी और गायों के रख-रखाव और पालन-पोषण का खर्च वे खुद वहन कर सकेंगी. सीएम योगी ने कहा कि इन गौशालाओं के लिए इच्छुक एनजीओ से एमओयू करें और उन्हें आवश्यक व्यवस्था उपलब्ध कराएं.

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