महाराष्ट्र की रावेर लोकसभा सीट पर भाजपा ने दो बार से सांसद रक्षा निखिल खडसे पर भरोसा तो जता दिया है, लेकिन उनके सामने बेहद साधारण, मगर मजबूत प्रतिद्वंद्वी एनसीपी (एसपी) के श्रीराम पाटिल एक बड़ी चुनौती हैं। रक्षा खडसे 26 साल की उम्र में हीना गावित के साथ 16वीं लोकसभा की सबसे कम उम्र की सांसद बनी थीं। 2014 व 2019 में रावेर सीट जीत चुकीं रक्षा के पास राजनीतिक अनुभव खूब है, लेकिन उनकी सीट पर आंतरिक असंतोष बड़ा संकट है। रक्षा के प्रतिद्वंद्वी के पास ग्राम पंचायत चुनाव का भी अनुभव नहीं है, लेकिन किसान से उद्यमी बने पाटिल रक्षा की हैट्रिक में बड़ी बाधा हैं। हालांकि रक्षा के ससुर पूर्व मंत्री व पूर्व भाजपा नेता एकनाथराव खडसे बहू को जीत दिलाने फिर कमल के साथ हो गए। 2014 में रक्षा की जीत में उनकी अहम भूमिका थी। लेकिन बाद में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा। बाद में भाजपा से इस्तीफा भी दे दिया था।
पार्टी के अंदर रक्षा की उम्मीदवारी पर है नाराजगी
भाजपा में रक्षा की उम्मीदवारी को लेकर नाराजगी है। दरअसल पार्टी के नेता व कार्यकर्ता चाहते थे कि जिला अध्यक्ष अमोल जावले को प्रत्याशी बनाया जाए। जब रक्षा के नाम पर मुहर लगी तो पार्टी पदाधिकारियों के मुंह बन गए। खुद एकनाथ अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में थे, लेकिन बहू के भाजपा उम्मीदवार घोषित होते ही वह पीछे हट गए। ऐसे संकेत हैं कि वह भाजपा में फिर से वापसी करेंगे और बहू को जीत दिलाने में फिर अहम भूमिका निभाएंगे। हालांकि आंतरिक असंतोष रक्षा के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
ननद करेंगी प्रतिद्वंद्वी के लिए प्रचार
रक्षा के लिए उनकी ननद और राष्ट्रवादी कांग्रेस महिला क्षेत्रीय अध्यक्ष रोहिणी खडसे भी बड़ी चुनौती हैं। दोनों के बीच बिल्कुल नहीं बनती। ऐसे में तय है कि रोहिणी पार्टी उम्मीदवार पाटिल के लिए प्रचार में रक्षा के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाएंगी।
महिला सशक्तीकरण समेत संसद की कई समितियों में रहीं शामिल
रक्षा महिला सशक्तीकरण समिति, विदेश मामलों की स्थायी समिति, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की सलाहकार समिति, प्राक्कलन समिति और कृषि संबंधी स्थायी समिति की सदस्य रह चुकी हैं। उन्होंने कंप्यूटर साइंस से बीएससी किया है। उनको सामाजिक कार्य, पढ़ना, खेल-कूद और प्राकृतिक स्थलों का भ्रमण पसंद है।