दुधारु गायों को वापस पाने के लिए नगर पालिका का लगा रहे चक्कर, निराशा
संवाद न्यूज एजेंसी
बस्ती। जिले में चलाया गया गोवंश संरक्षण का अभियान अब पशुपालकों पर भारी पड़ने लगा है। प्रशासन की लगातार चेतावनी के बाद जब पशुओं को छुट्टा छोड़ने वाली परंपरा नहीं बदली तो अधिकारियों ने भी पैतरा बदल दिया। अभियान में सांड हो या दुधारु गाय, सभी को पकड़कर दूरदराज के गोशालाओं में भेज दिया गया। रात दिन कैटल कैचर वाहन के साथ गोवंश पकड़ने वाली प्रशासनिक टीम पिछले दिनों पसीना बहाती रही। यही वजह है कि मानवीय आधार पर दुधारु गायों को भी छोड़ने का प्रावधान बंद कर दिया गया। अब पशुपालक अपने मवेशी को वापस पाने के लिए परेशान नजर आ रहे है।
दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने एवं किसानों को राहत देने के उद्देश्य से सड़कों पर घूम रहे छुट्टा पशुओं के संरक्षण को लेकर शासन ने सख्त रुख अख्तियार किया। नवंबर से दिसंबर तक तहसीलवार टीम गठित कर छुट्टा पशुओं को पकड़कर गोशाला में संरक्षित करने का अभियान चलाया गया। इसके लिए तहसीलों में बनाए गए नोडल अधिकारी एसडीएम को डीएम और कमिश्नर की नाराजगी भी झेलनी पड़ी। खासकर नगर पालिका क्षेत्र में सड़कों पर घूमने वाले पशुओं की भरमार रही। इसमें सांड और गाय दोनों शामिल रही। टीम ने दोनों को पकड़कर गोशाला में रखना शुरू किया।

नगर पालिका क्षेत्र से 100 से अधिक गोवंश पकड़े जा चुके हैं। इसमें कुछ पशु पालकों के आय की श्राेत गाय भी शामिल है। गोशाला में भेजने के बाद इन्हें वापस लेने की कोशिश लगातार की जा रही है। मगर दो महीने बीतने को है जिम्मेदार अफसर किसी भी गोवंश को छोड़ने पर राजी नहीं है। इसके लिए पशु पालकों की ओर से दिए जा रहे शपथ पत्र भी नहीं माने जा रहे हैं।

बोले पशुपालक- स्वीकार हैं हमें गलती, लेकिन गाय न छीनें
शहरी क्षेत्र के पशुपालक गोशाला में पकड़कर रखी गायों को लेकर काफी चिंतित है। अधिकारियों की मनुहार के बाद अब वह निराश है। उनका कहना है कि अपने मवेशी को खुले छोड़ देने की गलती हमें स्वीकार है। लेकिन हमारी गायों को मुक्त कर दिया जाए। मड़वानगर के हरीश ने कहा कि जानवर है कभी- कभी रसी तोड़कर सड़क पर चले जाते है। फिर यदि हमारा जानवर सड़क पर है तो गलती मान रहे हैं, लेकिन इसके बदले हमारी पूंजी ही छीन ली जाए यह सजा स्वीकार नहीं है। जुर्माने या अन्य कोई दंड देकर भी हमें सचेत किया जा सकता है। राजन कुमार ने कहा कि उनकी गाय दो महीना पहले पकड़कर गोशाला में भेज दी गई है। वहां खाने पीने तक का इंतजाम नहीं है। अनंत कुमार ने कहा कि शासन का फरमान निराश्रित गोवंश पकड़ने का है। किसी पशुपालक की मवेशी पकड़कर गोशाला में नहीं रखा जाना चाहिए। यह उसकी संपत्ति छीनने जैसा है।

पकड़े जा चुके हैं 1500 से अधिक गोवंश
जिले में खुले में घूमने वाले 2500 गोवंश पकड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। तीन महीने के भीतर इसके सापेक्ष 1500 से अधिक गोवंश पकड़कर संरक्षित किए जा चुके हैं। इनमें दुधारू गायें भी शामिल है। इसमें से किसी भी गोवंश को छोड़ने को प्रशासन तैयार नहीं है।
————
जिन पशुपालकों की गाय या बछिया पकड़ी गई है। उन्हें गोशाला में संरक्षित कर दिया गया है। इन्हें छोड़ने के लिए डीएम स्तर से कोई निर्देश नहीं है। इस मसले पर बात की जाएगी। यदि निर्देश मिलेगा तभी छोड़ा जाएगा।
-सत्येंद्र सिंह, प्रभारी ईओ/ एसडीएम

 

Previous articleपार्टी के अंदर रक्षा खडसेकी उम्मीदवारी पर है नाराजगी
Next articleहिंदी फ़िल्म “पॉलिटिकल वॉर” इंडी फिल्म्स वर्ल्ड डॉट कॉम पर होगी स्ट्रीम

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here