भारतीय पर्व-परम्पराओं का सबसे महत्वपूर्ण अंग है गौ-वंश -स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि
भारतवर्ष के सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं के आधार पर दीपावली और उसके आस-पास की तिथियाँ आर्थिक समृद्धि की देवी लक्ष्मी के पर्व की तिथियाँ हैं। हम गौ-शालाओं से प्राप्त गोबर के अनेक उत्पादों यथा गोबर के दीपक, गमले, पेंट, गौ-मूत्र से बनाये गये गोनाईल आदि के विक्रय से आर्थिक लाभ ले सकते हैं। इसी प्रकार होलिका दहन भी गोबर से बने कण्डों से तथा गौ-काष्ठ से करने का प्रचलन आरम्भ कर, जंगल से लकड़ी काटने में रोक लगा कर पर्यावरण का संरक्षण करने का अभियान चला सकते हैं। जंगल कटने से बचेंगे और पर्यावरण सुरक्षित होगा। मानव की मृत देह का अंतिम संस्कार भी गौ-शालाओं में गोबर से बनने वाले गौ-काष्ठ और गोबर के कण्डों से कर सकते हैं। इस विधि से भी गौ-शालाओं में आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।