रायबरेली. पशुपालन लोगों के लिए समृद्धि का द्वार खोलने में बड़ी भूमिका निभा रहा है. पशुपालन का काम करके लोग अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. अब ग्रामीण अंचल से लेकर शहरी क्षेत्र के लोग एवं पढ़े-लिखे युवा भी इसके जरिए अपनी तकदीर बदल रहे हैं. जिसमें लोग गाय, भैंस, बकरी के साथ सूअर पालन का काम बड़े स्तर पर कर रहे हैं. गाय पालन का काम करने वाले पशुपालकों को उन्नत नस्ल की जानकारी न होने के कारण उन्हें काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. इसीलिए आज हम उन्हें गाय की एक खास उन्नत नस्ल के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसका पालन करके वह अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. दरअसल हम बात कर रहे हैं गाय की उन्नत नस्ल थारपारकर गाय की जो अपने कई खास गुणों के लिए जानी जाती है. इसे हमारे देश के पशुपालक इस गाय को ‘दुधारू सोने’ के नाम से भी जानते हैं.
लोकल 18 से बात करते हुए रायबरेली के पशु विशेषज्ञ डॉ. इंद्रजीत वर्मा (एमवीएससी वेटनरी ) बताते हैं कि थारपारकर गाय भारत में मुख्य रूप से राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर में पाई जाती है. जो अपने दुग्ध उत्पादन के लिए जानी जाती है. यही वजह है, कि इसका पालन अब राजस्थान, यूपी , बिहार, महाराष्ट्र के पशुपालक भी कर रहे हैं. इसकी उत्पत्ति मुख्य रूप से पाकिस्तान के सिंध प्रांत के जिले थारपारकर की है.
थारपारकर गाय की पहचान
डॉ. इंद्रजीत वर्मा बताते हैं कि थारपारकर गाय पशुपालकों के लिए ‘दुधारू सोना’ है. इसकी खासियत है कि यह भीषण गर्मी व सर्दी को सहन करने की क्षमता रखती है.यह गाय अन्य नस्ल की गायों को तुलना में बेहद अलग है. इस गाय का रंग सफेद या धूसर होता है. पीठ पर हल्के आसमानी रंग की धारियां होती हैं. इसका सिर मध्यम आकार का माथा एवं कान चौड़े होने के साथ ही पूंछ पतली और लंबी होती है.
इतनी है कीमत
डॉ. इंद्रजीत वर्मा बताते हैं कि यह गाय प्रतिदिन लगभग 15 से 18 लीटर दूध का उत्पादन देती है. इसकी कीमत 20 हजार रुपए से लेकर 60 हजार रुपए तक है. यह गाय एक ब्यांत में 1500 से 2200 लीटर दुग्ध उत्पादन की क्षमता रखती है. वहीं इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है. जिसकी वजह से यह जल्दी से बीमार भी नहीं पड़ती है. इसका पालन करके किसान कम समय में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. थारपारकर गाय सामान्य गायों की तरह ही आहार का सेवन करती है.