5000 साधुओं का बलिदान और 10 लाख भारतीयों का प्रयास तब सफल होगा, जब भारत में पूर्ण गौवंश रक्षा होगी, अर्थात कत्ल खाने, तस्करी और मांस निर्यात बंद हो जाए।
आज भी याद है वो मंजर जब गौरक्षा के लिए सुबह से ही संसद के बाहर लोग जुटने लगे थे। 7 नवम्बर 1966 को सुबह आठ बजे से ही लोग जुटना शुरू हो गए थे। गोरक्षा महाभियान समिति के संचालक व सनातनी करपात्री जी महाराज ने चांदनी चौक स्थित आर्य समाज मंदिर से अपना सत्याग्रह आरंभ किया। एकमंत्री और पूरी घटना के गवाह आचार्य सोहनलाल रामरंग के अनुसार, यह हिंदू समाज के लिए सबसे बड़ा ऐतिहासिक दिन था।











