मुंबई । राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष (President) शरद पवार (Sharad Pawar) ने मंगलवार को अध्यक्ष पद से (From the Presidency) इस्तीफा दे दिया (Resigned) । पवार (Pawar) ने खुद इसकी घोषणा की (Self Announced) । उन्होंने कहा कि वह राकांपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहे हैं।

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बाला साहेब ने भी दिया था इस्तीफा.. राउत का ट्वीट

शिवसेना नेता संजय राउत ने ट्वीट कर शरद पवार से एनसीपी अध्यक्ष पद से इस्तीफा वापस लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि गंदी राजनीति औरआरोपों से तंग आकर शिवसेना सुप्रीम बाला साहेब ठाकरे ने भी शिवसेना प्रमुख पद से इस्तीफा दिया था। ऐसा लगता है कि इतिहास खुद को दोहरा रही है। हालांकि, शिवसैनिकों के प्यार के सामने उन्हें अपना इस्तीफा वापस लेना पड़ा था। बाला साहेब की तरह ही पवार साहेब भी राज्य की राजनीति के भूमि पुत्र हैं।

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उन्होंने अपनी आत्मकथा, ‘लोक मझे संगाई – राजनीतिक आत्मकथा’ के विमोचन के दौरान अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा की। अपनी पत्नी प्रतिभा के साथ 82 वर्षीय पवार ने कहा, “मुझे पता है कि कब रुकना है.मैंने राकांपा के वरिष्ठ नेताओं की एक समिति गठित की है, जो अगले अध्यक्ष के बारे में फैसला करेगी ।” इस समिति में प्रफुल पटेल, सुनील तटकरे, पीसी चाको, नरहरि जिरवाल, अजीत पवार, सुप्रिया सुले, जयंत पाटील, छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटील, अनिल देशमुख, राजेश टोपे, जितेंद्र अवहाद, हसन मुशरिफ, धनंजय मुंडे, जयदेव गायकवाड़ और राकांपा की इकाइयों के प्रमुख शामिल होंगे।

हालांकि, तीन और वर्षों के लिए राज्यसभा सदस्य ने आश्वासन दिया कि वह पिछले 55 वर्षों की तरह सामाजिक-राजनीति के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहेंगे। अब मैं कोई चुनाव नहीं लड़ूंगा। मैं इन तीन वर्षों में राज्य एवं देश से जुड़े मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करूंगा। मैं कोई अन्य अतिरिक्त जिम्मेदारी नहीं लूंगा।’ हालांकि, पवार ने संकेत दिया कि वह राजनीति से संन्यास नहीं ले रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘साथियो, हालांकि मैं पार्टी के अध्यक्ष पद से हट रहा हूं लेकिन मैं सार्वजनिक जीवन से रिटायर नहीं हो रहा हूं।’उनकी घोषणा को झटके के साथ स्वागत किया गया, कई लोग फूट-फूट कर रोने लगे और उनके समर्थन में कई पार्टी कार्यकर्ताओं ने पवार से अपना फैसला वापस लेने की अपील की, क्योंकि देश को उनकी जरूरत है।
शरद पवार ने 1999 में कांग्रेस से अलग होकर नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी बनाई थी। उसके बाद से ही वे पार्टी के अध्यक्ष थे। पवार के ऐलान के बाद पार्टी कार्यकर्ता उनके समर्थन में नारे लगाने लगे। पार्टी कार्यकर्ता उनसे अपना फैसला वापस लेने की मांग कर रहे थे।

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