(पंकज शर्मा तरूण – विभूति फीचर्स)

हमारे देश में हमेशा से उल्टी गंगा बहाने वाले को सलाम ठोका जाता रहा है। यह इस उदाहरण से सिद्ध हो जाता है कि मुहल्ले या कस्बे में जो व्यक्ति जितना बड़ा गुंडा, मवाली, उत्पाती, उचक्का, ठग और झूठा होता है, उसे परिवार,समाज के लोग अपना संरक्षक मानने लगते हैं और वह होता ही है संरक्षक। ऐसे कई लोग हुए जिनका आपराधिक जीवन होने के बावजूद चुनाव में खड़े किए गए और विधायक सांसद बने। उन्होंने बड़ी ही दबंगई और निष्ठा से इस देश की बहुत सेवा की और महान हो गए। इतिहास में उनका नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा है। भले ही इतिहासकारों ने डर के मारे लिखा हो।

हमारा विषय है कुत्ता या श्वान को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का। कुत्ता एक वफादार जानवर है जो आदिम युग से ही मानव के साथ रह कर वफादारी करता रहा है। कहते हैं कि जब मानव शिकार खेल कर उदरपूर्ति किया करता था तब उसे यही कुत्ता शिकार करने में पूर्ण सहयोग करता था बिना किसी लालच के! यही कारण है कि आज भी हमने इस वफादार जीव को हर घर में पाल रखा है। हमारे द्वारा इसका लालन पालन अपने बच्चों से भी अधिक नेह लगन से किया जाता है।हजारों रुपए मासिक खर्च किए जाते हैं। गौ माता को तो हमने केवल दूध के लिए ही पाला था और इसके बाद सड़कों पर बैठने को बाध्य कर दिया।अब वह हमारी कहने भर की माता रह गई है! यह कहना भी अर्ध सत्य ही माना जाएगा कैसे? मैं बताता हूं। गौ रक्षा के नाम पर कई संगठन बन गए हैं जो सरकारी मदद पा कर अपने जीवन को धन्य कर बैठे हैं। गौ शालाएं खोल कर बैठे हैं जो गायों के शरीर में भूसा भर कर उनको मार रहे हैं। इसी बहाने उनकी मुक्ति का मार्ग खुल रहा है और मानव को सुख वैभव मिल रहा है।

आज हमारे देश का राष्ट्रीय पशु शेर को बना रखा है जो इंसान के किसी काम का नहीं। पहले यह सर्कस में हम लोगों का मनोरंजन करता था तथा सर्कस के सभी सदस्यों का पेट भरने में मददगार था, इसे भी मेनका जी ने सर्कस से छुड़ा कर सेवा निवृत्त कर दिया। सर्कस भी इतिहास के पन्नो में गुम हो गए! दूसरे इसको या तो दुर्गा माता की तस्वीर में देखा जा सकता है या फिर गिर के जंगलों में जाएं तो वहां इनका स्थाई रहवास है।

वहां इनके दर्शन हो सकते हैं। मगर मेरे आज तक यह बात समझ में नहीं आई कि इन से हमें क्या लाभ। करोड़ों अरबों रुपए इन पर खर्च किया जा रहा है?

किसी पागल कुत्ते ने किसी वी आई पी को नोच खसौट लिया होगा तो बेचारे इस वफादार जानवर को पकडऩे और जंगलों में छोडऩे का फरमान जारी हो गया इसको नगर प्रशासन बीन -बीन कर इकठ्ठा कर रहा है। जैसे कोई भयानक आपदा आ गई है। हमारे गली की रात भर भौंक कर चोरों से रक्षा करता है, मुफ्त में। कोई वेतन, वर्दी की मांग नहीं करता फिर भी आज हमसे इसे जुदा किया जा रहा है।

नेता लोग तो इसे अपना इष्ट देवता, पथ प्रदर्शक मानते हैं। फिर भला अचानक से इनकी सोच कैसे बदल गई? मेरा तो सुझाव है कि इस श्वान भाई को राष्ट्रीय पशु घोषित कर दो ताकि इसे कोई भी नुकसान पहुंचाने, पकडऩे, मारने की हिम्मत नहीं करेगा। मेरे सुझाव के समर्थन में आने हेतु आप सभी से कर बद्ध निवेदन है। प्रमुख रूप से उन कन्याओं के बारे में सोचना आवश्यक है जो इनसे जी जान से प्यार करती हैं। वे इनके विलुप्त हो जाने पर स्वच्छंद प्यार किससे करेंगी? (विभूति फीचर्स)

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