सुभाष आनंद -विभूति फीचर्स
पंजाब में पिछले दिनों से जिस प्रकार स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा गई हैं,यह किसी से छिपी नही हैं, खासकर ग्रामीण
और सीमावर्ती क्षेत्रों के हालात राम भरोसे हैं। पाकिस्तान के शहर कसूर से विषैला पानी आने के कारण सीमावर्ती क्षेत्रोंं
में कैंसर के रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों और सीमावर्ती क्षेत्रों में सरकारी डाक्टरों की कमी को पूरा
करने के लिए पंजाब के मल्टी स्पैशिलिस्ट हस्पतालों ने अपना स्थान बनाना शुरू कर रखा है।
पंजाब में मल्टी स्पैशिलिस्ट हस्पतालों के प्रबंधकों ने मरीजों को अपनी तरफ खींचने के लिए अब गांवों में मुफ्त
मैडीकल कैंपों का आयोजन करना शुरू कर दिया है। मैडीकल कैंप लगवाने के लिए वह शहरी संगठनों का सहयोग ले
रहे हैं। मैडीकल कैम्पों को सफल बनाने के लिए बड़े बड़े विज्ञापन दिए जाते हैं। कैम्पों में मुफ्त चेकअप के के नाम पर
ग्रामीण लोग इनके चक्कर में फंस जाते हैं। कैम्पों में आने वाले लोगों को फिर अपन हस्पतालों में बुलाकर कई प्रकार
के महंगे टैस्ट करवाए जाते हैं, ह्रदय रोगियों को वाल्व बदलने और स्टेंट डलवाने के नाम पर लाखों रुपए की लूट
मचाई जाती हैं और वहां रोगियों का तरह तरह का शोषण किया जाता है। रोगियों पर इतना मानसिक दबाव डाला
जाता है कि यदि तुरंत आपरेशन नहीं हुआ तो स्थिति विकट हो सकती है।
सतलुज के किनारे बसे भारतीय कई प्रकार की बीमारियों से पीडि़त सिविल अस्पताल में डाक्टरों की कमी के कारण
लोगों को प्राईवेट हस्पतालों का रुख करना पड़ता है। बड़े-बड़े हस्पतालों के मालिकों ने आगे कस्बों में मरीजों को देखने
के लिए अपनी अपनी शाखाएं स्थापित कर रखी हैं,जहां विशेषज्ञ डाक्टर सप्ताह में एक दिन जाकर रोगियों को खींचते
हैं।
इन बड़े अस्पतालों में स्पर्धा इतनी बढ़ चुकी है कि कई हस्पतालों में ओ.पी.डी फीस 10 रुपए से 30 रुपए तक कर दी है।
इन बड़े बड़े अस्पतालों ने अपने मैडीकल स्टोर और लैबार्टी स्थापित कर रखे है जो बड़ी कमाई का स्रोत है। मालिकों ने
गांवों और शहरों में कई एजेंट भी रखे हुए हैं जो नीम हकीम डाक्टरों के साथ साथ छोटे मोटे डाक्टरों से संपर्क बनाए

रखते हैं ताकि वह अधिक से अधिक मरीजों को उनके अस्पतालों में भेजे,इसके लिए उन्हें उचित कमीशन दी जाती है।
मोटी कमाई करने के लिए कई बार डाक्टर मरीजों को वहम में डाल देते हैं। मेडीकल कैम्पों के नाम पर ग्रामीणों और
सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया जा रहा है,कुछ मरीजों को ह्रदय रोगी बताकर उनका
खुलेआम शोषण किया जा रहा है।
भारतीय समाज में जहां डाक्टरों को दूसरा भगवान कहा जाता था,अब डाक्टर की परिभाषा पूरी तरह बदल दी है।
चक्क जानीसर के सरपंच ने बताया कि यदि एक बार इन अस्पतालों में कोई मरीज दाखिल हो जाए तो उन्हें छुट्टी के
लिए जितनी बार विनती कर ली जाए उन्हें छुट्टी निर्धारित समय पर ही दी जाती है और इन हास्पिटल मीटर चलता
रहता है। लोगों का कहना है कि प्राईवेट लोगों द्वारा बनाए गए मल्टी स्पैशिलिस्ट अस्पताल लूट के अड्डे बनते जा
रहे हैं,इसकी गतिविधियों को रोकने के लिए पंजाब सरकार द्वारा एक एक्ट विधानसभा में लाना जरूरूी होगा।
अमृतसर में किस प्रकार की हड्डियां बदलने के लिए अंग डाले जाते है उसको लेकर कई प्रकार के प्रश्न उठ रहे हैं।
आंखों के आपरेशन के लिए भी भोलीभाली जनता को लूटा जा रहा है। 200 रुपए वाला लैंस 20,000 में बेचा जा रहा है।
इस खुली लूट के लिए मल्टीस्पैशिलिस्ट हस्पतालों के बारे डायरेक्टर हैल्थ पंजाब चंडीगढ़ से पूछा गया कि इन
अस्पतालों में पर आप का क्या कंट्रोल है,उन्होंने इसको लेकर कोई पुख्ता उत्तर नही दिया।
कुछ मल्टी स्पैशिलिस्ट अस्पतालों में पूरा योग्यता प्राप्त स्टाफ काम कर रहा है, जबकि कई अस्पतालों में पूरी तरह
स्टाफ काम कर रहा है,जिससे अप्रिय घटनाएं घटती है तो अस्पताल प्रबंधक पूरी तरह दोषी हैं। सूत्रों से पता चला है कि
जिन मरीजों को इन मल्टी स्पैशल अस्पतालों में उचित इलाज नही मिल रहा उनके द्वारा कोर्ट में केस इन मालिक के
खिलाफ दायर किए हुए हैं। कुछ केस जिलों की कंज्यूमर कोर्ट में भी चल रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक 7 फीसद केसों में न्याय पालिका और कंज्यूमर कोर्ट बड़े -बड़े अस्पतालों के विरुद्ध
निर्णय दे चुकी है और उन पर बड़े बड़े जुर्माने लगा चुकी है। कंज्यूमर कोर्ट में बड़े अस्पतालों में लापरवाही के केसों की
संख्या बढ़ती जा रही है,स्टेट कंजूमर कोर्ट के प्रवक्ता का कहना है कि गांवों के अधिकतर भोलेभाले लोग
न्यायपालिका से परहेज कर रहे हैं। (विभूति फीचर्स)

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