–वैज्ञानिक आधार पर विकसित पंचगव्य आधारित “गव्यामृत” फोलियर स्प्रे
इंदौर। मिट्टी की घटती उर्वरता, रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव और बढ़ती खेती लागत के समाधान हेतु वैज्ञानिक परीक्षणों एवं भारतीय पारंपरिक ज्ञान के समन्वय से विकसित पंचगव्य आधारित “गव्यामृत” लिक्विड ऑर्गेनिक मैन्योर फोलियर स्प्रे को गौशाला द्वारा किसानों के लिए उपलब्ध कराया गया है। यह पूर्णतः स्वदेशी, जैविक और पर्यावरण–अनुकूल उत्पाद है, जो सभी फसलों की सभी अवस्थाओं में प्रभावी है।
वैज्ञानिक आधार:
“गव्यामृत” में गोमूत्र व गोमय से प्राप्त जैव सक्रिय यौगिक, संतुलित एन.पी.के., आवश्यक माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स तथा उच्च सघनता में लाभकारी सूक्ष्मजीव (CFU आधारित—जैसे नाइट्रोजन फिक्सर, फॉस्फोरस सॉल्युबिलाइज़र व पोटाश मोबिलाइज़र) सम्मिलित हैं। ये घटक पत्तियों (स्टोमेटा) व जड़ों से शीघ्र अवशोषित होकर क्लोरोफिल संश्लेषण, एंज़ाइम गतिविधि और पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि, फूल–फल विकास और उपज में वृद्धि होती है।
इसके जैव सक्रिय घटक एंटी-माइक्रोबियल एवं एंटी-फंगल प्रभाव दिखाते हैं, जिससे यह प्राकृतिक प्लांट प्रोटेक्टर के रूप में कीट–रोग दबाव को कम करता है। साथ ही, यह मृदा सूक्ष्मजीव संतुलन सुधारकर मिट्टी की संरचना व जलधारण क्षमता बढ़ाता है, परिणामस्वरूप रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों पर निर्भरता घटती है और किसान की लागत कम होती है।
श्री कृष्णायाण देसी गौरक्षा एवं गोलोक धाम सेवा समिति, रेशम केंद्र गौशाला हातोद के प्रमुख पू. अच्युतानंद जी महाराज के अनुसार, “गव्यामृत” सब्ज़ी, फल, दलहन, तिलहन, अनाज, कपास, फूल एवं सजावटी पौधों के लिए समान रूप से उपयोगी है।आवश्यकता के लिए संपर्क: 093015 14792 यह पहल वैज्ञानिक प्राकृतिक खेती, स्वच्छ पर्यावरण, और समृद्ध किसान के लक्ष्य को सशक्त करती है।








