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Jamshedpur : कदमा में गौ तस्करी का प्रयास विफल

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जमशेदपुर : कदमा थाना क्षेत्र स्थित मरीन ड्राइव के समीप मंगलवार तड़के 3 बजे गौ तस्करी की एक बड़ी कोशिश को नई गौ रक्षक समिति के सदस्यों ने विफल कर दिया. समिति के जागरूक कार्यकर्ताओं ने एक महिंद्रा बोलेरो वाहन से 10 गौ माताओं की तस्करी करते गिरोह के दो सदस्यों को रंगे हाथों पकड़ लिया. फिलहाल उन्हें पुलिस को सौंप दिया गया है, पुलिस उन्ससे पूछताछ कर रही है.

गौ तस्कर को पकड़ने के दौरान भागने का प्रयास कर रहे तस्करों की बोलेरो वाहन बीच सड़क पर अनियंत्रित होकर पलट गई, जिससे वाहन में भरी सभी गौ माताएं गंभीर रूप से घायल हो गईं. इसके बावजूद समिति के कार्यकर्ताओं ने साहस दिखाते हुए तस्कर, वाहन और गौ माताओं को कदमा थाना तक पहुंचाया, जहां पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है .

घटना की सूचना मिलते ही मौके पर हिंदूवादी भाजपा नेता द्विपल विश्वास, आदित्य वर्मा, राहुल दुबे, बलराम जी, चिंटू सिंह और समाजसेवी बृजेश सिंह (मुन्ना) भी पहुंचे और गौ रक्षकों के साहस की सराहना की. कदमा थाना में भी इन सभी की विशेष उपस्थिति रही, जहां तस्कर के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की मांग की गई.

*फिर क्यों निकले शिवराज सिंह चौहान 34 साल बाद पदयात्रा पर*

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पवन वर्मा-

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों अपने लोकसभा क्षेत्र में पदयात्रा कर रहे हैं। लगभग 34 साल बाद शिवराज सिंह चौहान को वापस से इसी लोकसभा क्षेत्र की पदयात्रा करने का निर्णय क्यों लेना पड़ा, इस प्रश्न का उत्तर मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में भी तलाशा जा रहा है। शिवराज सिंह चौहान जिस प्रदेश में 16 साल मुख्यमंत्री रहे , उसी प्रदेश के चार जिलों की आठ विधानसभा क्षेत्रों में फैले अपने लोकसभा क्षेत्र में वह पदयात्रा कर रहे हैं। चौहान भले ही यह दावा कर रहे हो कि वे केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रचार-प्रसार करने और लोगों से संवाद करने के लिए यह पदयात्रा कर रहे हैं, लेकिन राजनीति के जानकार लोग इस पदयात्रा को यहां तक सीमित मानने को तैयार नहीं हैं।

शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश की राजनीति में अब भी सबसे ताकतवार नेताओं में माने जाते हैं। पिछले तीन दशकों में उन्होंने जिस तेजी से अपनी छवि और राजनीतिक दूरदृष्टि को मजबूत साबित किया है,वह किसी से छिपी हुई नहीं हैं। शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश में अपनी मामा और भाई की छवि बनाई है। आज भी लोग उन्हें मामा के रूप में बुलाना ही पसंद करते हैं।

शिवराज सिंह चौहान जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केबिनेट का हिस्सा बने है, तब से उन्होंने मध्य प्रदेश की राजनीति में अपनी दखल अंदाजी लगभग बंद कर दी है। पिछले एक साल से वे प्रदेश में विदिशा-रायसेन लोकसभा क्षेत्र में ही अपने दौरे कर रहे हैं, बाकी प्रदेश से उन्होंने दूरी बना ली है। ये दूरी क्यों बनाई गई, इसके भी लोग अपने अपने मायने निकाल रहे हैं। ठीक उसी तरह अब उनकी पदयात्रा के भी लोग अपने-अपने अर्थ लगा रहे हैं।

बुधनी से पहली बार विधायक चुने जाने के बाद शिवराज सिंह चौहान का राजनीतिक सफर तेजी से ऊपर की ओर चढ़ने वाला रहा है, वे कभी भी एक जगह पर रहकर राजनीति नहीं करते हैं। विदिशा लोकसभा क्षेत्र हमेशा ही जनसंघ और भाजपा का गढ रहा है। यह सीट भाजपा के लिए सुरक्षित मानी जाती रही है। इसलिए ही अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ से लोकसभा का चुनाव लड़ने के साथ ही विदिशा से लोकसभा का चुनाव लड़ा था। वे दोनों सीटों से जीत गए थे और विदिशा लोकसभा से उन्होंने इस्तीफा दिया तब शिवराज सिंह चौहान उपचुनाव में पहली बार यहां से सांसद बने। शिवराज सिंह चौहान जब विदिशा लोकसभा की राजनीति में आए थे, उस वक्त तक यह क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा, पूर्व वित्त मंत्री राघवजी, पूर्व नेता प्रतिपक्ष गौरीशंकर शैजवार जैसे नेताओं के प्रभाव में था।
सांसद बनने के बाद उन्होंने यहां पर पदयात्रा की थी। वर्ष 1991 में यह पदयात्रा विदिशा लोकसभा क्षेत्र मे आने वाले विदिशा, बासौदा, कुरवाई, शमशाबाद विधानसभा क्षेत्रों के अलावा भोजपुर, सांची, उदयपुरा और बुधनी विधानसभा में उनकी पदयात्रा निकली थी। हालांकि अब यह लोकसभा क्षेत्र बदल गया है। इसमें विदिशा जिले की गंजबासौदा, विदिशा, रायसेन जिले की सांची, भोजपुर, सिलवानी , सीहोर जिले की बुधनी, इछावर और देवास जिले की खातेगांव विधानसभा आती हैं।

विदिशा में सांसद रहते ही वे इस क्षेत्र के लगभग सभी नेताओं पर भारी पड़ने लगे थे, कारण यह रहा कि वे न सिर्फ अपने क्षेत्र में लगातार दौरा कर सक्रिय रहे, साथ ही वे भाजपा के प्रदेश महामंत्री, युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से लेकर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष तक बने। शिवराज सिंह चौहान का हर एक कदम हमेशा से ही कुछ कहता रहा है, लेकिन लोग उस कदम को आसानी से नहीं समझ पाते हैं। यानि शिवराज सिंह चौहान जब कुछ करते हैं या चलते हैं तो वह लंबी छलांग की तैयारी मानी जाती है। भाजपा में अभी राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना बाकी है, इस पद के लिए भाजपा के बाकी नेताओं के अलावा शिवराज सिंह चौहान का नाम भी लगातार चल रहा है। वहीं प्रदेश में इन दिनों वे सुर्खियों में भी नहीं रह रहे थे, लेकिन अपनी पदयात्रा से अचानक शिवराज सिंह चौहान न सिर्फ भाजपा बल्कि कांग्रेस और प्रदेश भर के आमजन के बीच में चर्चा में आ गए। शिवराज सिंह चौहान सप्ताह में कुछ दिन पदयात्रा करेंगे, वो भी सिर्फ सात से दस किलोमीटर की पदयात्रा होगी, ऐसे में उनकी यह पदयात्रा कई महीनों तक चलेगी।

*अब पत्नी और बेटा-पुत्रवधु भी साथ*
शिवराज सिंह चौहान ने विदिशा लोकसभा से सांसद बनने के बाद पहली बार 1991 में विदिशा जिले में पदयात्रा की थी। तब उनके साथ विदिशा जिले के ही चंद नेता शामिल थे, क्षेत्र में वे पांव-पांव वाले भैया कहलाने लगे थे। इस बार उनके परिवार के लोग उनके साथ हैं। उनकी धर्मपत्नी साधना सिंह, ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय सिंह चौहान और पुत्रवधु अमानत चौहान उनके साथ इस पदयात्रा में कदम ताल कर रही है। *(विनायक फीचर्स)*

अमेरिका में परिवार ने गौ माता से करवाया गृह प्रवेश

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सैन फ्रांसिस्को, यू.एस. में एक भारतीय मूल के परिवार के अपने गृह प्रवेश अनुष्ठान (Housewarming Ceremony) के हिस्से के रूप में एक गाय का स्वागत करने का एक दिल को छू लेने वाला वीडियो वायरल हो रहा है. वायरल हो रहे वीडियो में, इस अवसर के लिए सजी-धजी गाय को औपचारिक रूप से परिवार के नए घर में ले जाया जाता है.

यह वीडियो सबसे पहले इंस्टाग्राम पर शेयर किया गया था और इसमें कैलिफोर्निया के बे एरिया में स्थित एक गौशाला (गाय अभयारण्य) श्री सुरभि गो क्षेत्र के काम को दिखाया गया है. यह संगठन यू.एस. में गायों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.

पोस्ट में लिखा था, “हमारी गाय ‘बहुला’ आज कैलिफोर्निया के लेथ्रोप में एक गृह प्रवेश समारोह में शामिल हुई. उसका गर्मजोशी से स्वागत किया गया और वह वास्तव में खुश थी. धन्यवाद, बहुला.” इसे पिछले साल दिवाली के आसपास अपलोड किया गया था.

महिलाओं ने की गाय की पूजा

वीडियो की शुरुआत में सजी-धजी गाय को एक पुजारी द्वारा घर में ले जाते हुए दिखाया गया है. इसके पूरे शरीर पर सिंदूर के हाथ के निशान हैं और इसकी पीठ पर पवित्र गायों की छवियों वाला एक पारंपरिक कपड़ा लपेटा हुआ है. इस औपचारिक प्रवेश द्वार से नए घर के लिए समृद्धि और दिव्य आशीर्वाद का प्रतीक है.

घर की महिलाओं द्वारा अपने नए घर के लिए आशीर्वाद मांगते हुए पूजा या पवित्र प्रार्थना अनुष्ठान किया गया. जैसे ही वीडियो समाप्त होता है, परिवार को उनके ड्राइववे में दिखाया जाता है, जो बहुला के चारों ओर इकट्ठा होते हैं, और सम्मान और कृतज्ञता से उसे प्यार से थपथपाते हैं.

वीडियो को 4 नवंबर को इंस्टाग्राम पर शेयर किया गया था. सोशल मीडिया यूजर्स ने इस दिल को छू लेने वाले अनुष्ठान के लिए अपना प्यार व्यक्त किया है, कई लोगों ने दूसरे देश में अपनी संस्कृति को बचाए रखने के इस कदम की सराहना की. एक यूजर ने लिखा, “गृह प्रवेश के दौरान एक गाय को नए घर में लाने से सकारात्मकता और दैवीय आशीर्वाद मिलता है. हमारी विरासत को विश्व स्तर पर सम्मानित होते देखना खुशी की बात है.”

एक अन्य ने आश्चर्य जताते हुए लिखा: “यह बहुत सुंदर और सार्थक परंपरा है. क्या यह अनुष्ठान केवल दिवाली के दौरान या अन्य विशेष अवसरों पर भी होता है?”

वहीं एक यूजर लिखा, “बहुत बढ़िया. आप अभी भी विदेशी धरती पर हिंदू परंपराओं को जीवित रख रहे हैं. धन्यवाद. दक्षिण भारत में गृह प्रवेश समारोह में गाय लाना आम बात है. यह सौभाग्य लाता है. फिर से धन्यवाद.”

सरायकेला-खरसांवा के कपाली से चल रहा गौ तस्करी और गौ हत्या का खेल, चल रहे 50 अवैध बूचड़खाने

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विहिप गौ रक्षा विभाग ने की शिकायत, कहा सरायकेला-खरसांवा के कपाली में बढ़ी बांग्लादेशी और रोहिंग्या की आबादी

सरायकेला-खरसावां : झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिला में इन दिनों रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की आबादी बढ़ती जा रही है। उनके द्वारा क्षेत्र में गौ तस्करी और गौ हत्या जैसी जघन्य वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है। इस मामले को लेकर विश्व हिन्दू परिषद गौ रक्षा विभाग ने जिला के एसपी को शिकायत पत्र सौंपकर कार्रवाई की मांग की गई है।

विहिप गौ रक्षा विभाग के मंटू दुबे ने शिकायत पत्र में कहा है कि सरायकेला-खरसांवा जिला के चांडिल थाना अंतर्गत कमारगोड़ा, कपाली क्षेत्र में बीते कुछ वर्षों में अवैध रूप से बांग्लादेशी और रोहिंग्या निवासियों की अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। कहा गया है कि क्षेत्र में हिंदूओं की संख्या निरंतर कम होती जा रही है। इसके परिणामस्वरूप पूरे ग्रामीण क्षेत्र में गौ तस्करी और गौ हत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। शिकायत में कहा गया है कि इस पूरे क्षेत्र से गौ तस्करों द्वारा गौ माताओं को लेकर मानगो के आजाद बस्ती में पहुंचाया जा रहा है, जो पूर्ण रूप से मुस्लिम आबादी बहुल क्षेत्र है। कहा कि इस मामले में कई बार ग्रामीणों ने स्थानीय थाना को सूचित किया पर कोई कारवाई नहीं की जा रही है। मंटू दुबे ने कहा कि कई बार गौ रक्षा करते हुए गौ तस्करों द्वारा ग्रामीणों की हत्या का प्रयास भी किया जा चुका है। स्थिति अब और भी भयावह होती जा रही है। अब गौ तस्कर हिंदू बस्ती में आकर धमकी दे रहे हैं। उनके द्वारा कहा जाता है कि थाना को हमने खरीद लिया है। जो भी शिकायत लेकर जाएगा सबकी जानकारी हमलोगों को मिल रही है और जो बीच में आएगा उसे छोड़ा नहीं जाएगा।

इस मामले को लेकर हिन्दू ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने विहिप के गौरक्षा विभाग के लोगों से मिलकर मदद मांगी है। इसके बाद गौ रक्षा विभाग के लोगों ने स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर इस समस्या से सरायकेला-खरसावां जिला प्रशासन को अवगत कराते हुए गौ तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।

कहा कि झारखंड में गौरक्षा अधिनियम 2005 कानून लागू है। इसके अंतर्गत गौहत्या पूर्ण रूप से गैर- कानूनी और अवैध है। इसके बावजूद नियम का उल्लंघन निरंतर कपाली कमारगोड़ा क्षेत्र में बडे पैमाने पर किया जा रहा है। कपाली थाना क्षेत्र में 50 से ज्यादा बूचड़खाने अवैध रूप से चल रहे हैं। कहा गया कि प्रशासन को जानकारी होने के बावजूद मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। गौ रक्षा विभाग ने जल्द मामले को संज्ञान लेकर इस पर कार्रवाई करने की गुजारिश करते हुए कहा कि मामले में कार्रवाई न होने पर पूरा हिंदू समाज सड़क पर उतरने के लिए बाध्य होगा। प्रतिनिधिमंडल में प्रांत गोरक्षा संवर्धन परिषद उपाध्यक्ष अवतार सिंह परमार, गोरक्षा सिंहभूम विभाग प्रमुख मंटू दुबे, निशिकांत दुबे, नित्यानंद, दिलीप, घनश्याम, प्रकाश, गणेश और मानिक आदि उपस्थित रहे।

प्रधानमंत्री मोदी के विजन को साकार करने में जुटे केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव

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कुमार कृष्णन –

बिहार के मुंगेर का जमालपुर रेल नगरी के नाम से प्रसिद्ध है। यहां के औद्योगिक परिदृश्य में एक समय ऐसा भी था कि इस क्षेत्र को बंगाल के बर्मिंघम (इंग्लैंड में उद्योगों के लिए मशहूर शहर) के रूप में जाना जाता था। यह बात बिहार-बंगाल विभाजन से पहले की है। एशिया का सबसे बड़ा रेलवे वर्कशॉप (जमालपुर रेल कारखाना) भी इस शहर के औद्योगिक रूप से मजबूत होने की कहानी बयां करता है। अंग्रेजों ने देश में पहली रेल लोकोमोटिव कार्यशाला खोलने के लिए मुंगेर जिले के जमालपुर को चुना क्योंकि यहां दक्ष कारीगर थे। इस कारखाने में काम करने पूरे देश से लोग आए और खास मिश्रित संस्कृति के आधार पर जमालपुर विकसित हुआ।

इतिहासकार मानते हैं कि जमालपुर का वजूद पहले भी रहा होगा, लेकिन आधुनिक शहर के रूप में जमालपुर की शुरुआत कारखाने के साथ ही हुई। ईस्ट कॉलोनी के रूप में रेलवे के अंग्रेज साहबों के लिए यूरोपीय मानक के साथ शहर बसाया गया। यह जिले के गजेटियर में दर्ज है। रेलवे लाइन की दूसरी तरफ मजदूरों और छोटे बाबुओं के लिए रामपुर कॉलोनी, दौलतपुर कालोनी बसाई गई। जमालपुर कारखाना मुंगेर की अर्थव्यवस्था का आधार है। केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने जमालपुर कारखाना के विकास के लिए ₹78.96 करोड़ की नई सौगात के रूप में, जमालपुर कारखाना में वैगन पीओएच क्षमता वृद्धि परियोजना की आधारशिला रखी। केंद्रीय पंचायती राज, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह , बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा के साथ श्री वैष्णव ने वैगन निर्माण शॉप और क्रेन शॉप जैसी विभिन्न शॉपों का निरीक्षण किया। वैगन निर्माण शॉप में रेल मंत्री ने जमालपुर वर्कशॉप में निर्मित बॉक्सन वैगन,  बीएलसीएस वैगन और शौचालय युक्त ब्रेक वैन का भी निरीक्षण किया। क्रेन शॉप में मंत्री ने नव निर्मित 140 टन क्रेन, 8-व्हीलर टावर कार और जमालपुर जैक का निरीक्षण किया जो इस कारखाने की विशेष पहचान हैं। केंद्रीय रेल मंत्री ने इरिमी जमालपुर का दौरा किया जहां उन्होंने वेल्डिंग, न्यूमेटिक्स, हाइड्रोलिक्स और मेक्ट्रोनिक्स जैसी इंजीनियरिंग की विभिन्न शाखाओं पर विस्तृत विकास योजना वाली “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” नामक एक पुस्तिका का विमोचन किया। इस पुस्तक में इन चार विषयों पर कार्ययोजनाएँ शामिल हैं, ताकि , जमालपुर में इंजीनियरों के लिए इस प्रतिष्ठित प्रशिक्षण केंद्र में बुनियादी ढाँचा, प्रशिक्षण सुविधा विकसित की जा सके। इस प्रयास में पूरे क्षेत्र के विकास के लिए 350 करोड़ रुपये की निवेश योजना शामिल है।

वैगन, क्रेन और जमालपुर जैक जैसे उपकरणों के निर्माण का लक्ष्य लगातार बढ़ाया गया है, और साथ ही अवसंरचना को भी मजबूत किया गया है। किंतु वर्तमान सरकार की सोच इससे कहीं आगे है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विजन के अंतर्गत बिहार में रेलवे के बजटीय आवंटन में लगभग ₹1000 करोड़ (एक दशक पूर्व) से बढ़ाकर अब ₹10,000 करोड़ कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त बिहार के विकास हेतु 98 स्टेशनों के पुनर्विकास सहित ₹1,00,000 करोड़ की रेलवे परियोजनाएं प्रस्तावित हैं।

रेल मंत्री ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में बिहार में 1832 किमी नई पटरियां बिछाई गई हैं और पूरे भारत में 34000 किमी रेलवे ट्रैक बिछाए गए। इसके अलावा, 50,000 किमी से अधिक मार्गों का विद्युतीकरण किया गया है जिससे तेल आयात पर निर्भरता घटी है। प्रधानमंत्री की बिहार के प्रति प्रतिबद्धता का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि पहली वंदे भारत ट्रेन भागलपुर से और पहली नमो भारत ट्रेन जयनगर से चलाई गई। ये सभी प्रयास बिहार में समृद्ध सामाजिक-आर्थिक स्थिति लाने की दिशा में किए गए हैं।

केंद्रीय पंचायती राज, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने रेल मंत्री की सूक्ष्म स्तर पर सोच और समग्र विकास की दिशा में किए गए कार्यों की सराहना की।

जमालपुर रेल इंजन कारखाना में वैगन पीओएच वृद्धि के लिए 545 से 800 वैगन प्रति माह की परियोजना की आधारशिला रखने के साथ ही वैगन ओवरहालिंग क्षमता में प्रति माह 255 यूनिट से अधिक की वृद्धि होगी। इस क्षमता वृद्धि परियोजना को लगभग 79 करोड़ रुपये की लागत से क्रियान्वित किया जाएगा। इससे टर्न अराउंड टाइम में सुधार होगा, वैगन की उपलब्धता बढ़ेगी और परिचालन में सुधार होगा।

केंद्रीय रेल मंत्री श्री वैष्णव ने निरीक्षण के दौरान कारखाने के कर्मठ कर्मचारियों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं और सुझावों को सुना । रेल मंत्री ने आश्वासन दिया कि कर्मियों की हर समस्या का समाधान किया जाएगा और उनके हितों की रक्षा की जाएगी।

आगामी समय में जमालपुर रेल कारखाना को और अधिक अत्याधुनिक बनाया जाएगा, जिससे न केवल रेल संचालन को सहायता मिलेगी बल्कि बिहारवासियों को भी बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। रेलमंत्री का बिहार दौरा इस साल होने वाले चुनाव में सबसे पहले एक महत्वपूर्ण अवसर माना जा रहा है। (विभूति फीचर्स)

वर्सोवा विधानसभा में निकली तिरंगा यात्रा के दौरान रामकुमार पाल द्वारा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के पुतले की जूते चप्पल से पिटाई

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मुंबई। वर्सोवा विधानसभा क्षेत्र में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत एक भव्य तिरंगा यात्रा निकाली गई, जो आनंद नगर से प्रारंभ होकर बहराम बाग होते हुए ओशिवारा तक पहुँची। इस राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रम में 300 से अधिक लोगों ने भाग लिया।

कार्यक्रम का नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र के उपाध्यक्ष एस. एम. खान ने किया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से समाजसेवी रामकुमार पाल, अभिजीत राणे और दिल्ली से पधारे मौलाना मुफ़्ती मंज़ूर जियाई उपस्थित रहे।

तिरंगा यात्रा के दौरान देशभक्ति का माहौल देखने को मिला। रामकुमार पाल ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का पुतला चप्पलों से पीटकर उसका दहन किया, जिसके पश्चात उपस्थित जनसमूह ने जोरदार नारेबाज़ी करते हुए “भारत माता की जय” और “पाकिस्तान मुर्दाबाद” के नारे लगाए।

कार्यक्रम का उद्देश्य राष्ट्रभक्ति की भावना को जागृत करना और पाकिस्तान की नापाक हरकतों के विरुद्ध जनआक्रोश को प्रदर्शन था।

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनते यूट्यूबर

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(संदीप सृजन-विनायक फीचर्स)

ज्योति मल्होत्रा का मामला एक बड़े जासूसी नेटवर्क का हिस्सा है, जिसका भंडाफोड़ हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले के बाद हुआ। इस हमले के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने देश भर में सक्रिय जासूसों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी। ऑपरेशन सिंदूर के तहत, हरियाणा और पंजाब से छह लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें ज्योति मल्होत्रा प्रमुख हैं। अन्य गिरफ्तार व्यक्तियों में गजाला, यामीन मोहम्मद, और देविंदर सिंह ढिल्लो शामिल हैं। ये सभी कथित तौर पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और दिल्ली स्थित पाकिस्तान हाई कमीशन के एक अधिकारी, अहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश, के संपर्क में थे।

ज्योति की गिरफ्तारी से पहले पंजाब पुलिस ने मलेरकोटला से गजाला और यामीन मोहम्मद को गिरफ्तार किया था। गजाला का काम दानिश से पैसे लेकर जासूसों तक पहुंचाना था, जबकि यामीन हवाला और अन्य माध्यमों से धनराशि ट्रांसफर करने में शामिल था। पूछताछ के दौरान इन दोनों ने ज्योति और अन्य जासूसों के नाम उजागर किए। हरियाणा के कैथल से गिरफ्तार देविंदर सिंह ढिल्लो ने 2024 में गुरु नानक जयंती के अवसर पर पाकिस्तान की यात्रा की थी, जहां उसे हनी ट्रैप में फंसाकर पटियाला कैंट की तस्वीरें और वीडियो साझा करने के लिए मजबूर किया गया।

ज्योति मल्होत्रा का पाकिस्तान कनेक्शन 2023 में शुरू हुआ, जब वह अपने यूट्यूब चैनल के लिए वीजा लेने दिल्ली स्थित पाकिस्तान हाई कमीशन गई थीं। वहां उनकी मुलाकात अहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश से हुई, जो पाकिस्तान हाई कमीशन में कार्यरत एक अधिकारी था। दानिश ने ज्योति को पाकिस्तान की यात्रा के लिए प्रोत्साहित किया और उनके ठहरने और घूमने की व्यवस्था की। ज्योति ने 2023 और 2024 में तीन बार पाकिस्तान की यात्रा की, जहां उनकी मुलाकात दानिश के परिचित अली अहवान, शाकिर, और राणा शहबाज जैसे व्यक्तियों से हुई। इनमें से कुछ लोग पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लिए काम करते थे।

ज्योति ने अपने मोबाइल में शाकिर का नंबर ‘जट रंधावा’ के नाम से सेव किया था ताकि किसी को शक न हो। वह व्हाट्सएप, टेलीग्राम, और स्नैपचैट जैसे प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से इन लोगों के साथ संपर्क में थी। पूछताछ में ज्योति ने स्वीकार किया कि उन्होंने कुछ “राष्ट्र-विरोधी” जानकारी साझा की थी, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती थी। उनके यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए वीडियो में पाकिस्तान की सकारात्मक छवि पेश करने की कोशिश की गई, जिसे अब जांच एजेंसियां संदिग्ध मान रही हैं।

ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी ने उनकी आर्थिक स्थिति और जीवनशैली पर भी सवाल उठाए हैं। उनके यूट्यूब चैनल ‘ट्रैवल विद जो’ से होने वाली आय का अनुमान लगाया गया है। यूट्यूब विज्ञापनों से प्रति 1,000 व्यूज पर 1-3 डॉलर (80-240 रुपये) की कमाई होती है। यदि उनके वीडियो पर औसतन 50,000 व्यूज आते थे और वह महीने में 10 वीडियो पोस्ट करती थीं, तो उनकी मासिक आय 40,000 से 1.2 लाख रुपये के बीच हो सकती थी। इसके अलावा, ब्रांड डील्स और स्पॉन्सरशिप से भी उनकी कमाई होती थी। एक अनुमान के अनुसार, वह प्रति ब्रांड पोस्ट 20,000 से 50,000 रुपये चार्ज करती थीं, जिससे उनकी मासिक आय 80,000 से 2.7 लाख रुपये तक हो सकती थी।

ज्योति की कुल नेटवर्थ 15 से 40 लाख रुपये के बीच होने का अनुमान है, जो उनकी आय, खर्च, और जीवनशैली पर निर्भर करता है। हालांकि, पुलिस जांच में यह सामने आया कि उनकी आय उनके खर्चों से कहीं अधिक थी, जिसने विदेशी फंडिंग की संभावना को जन्म दिया। उनके बैंक खातों और वित्तीय लेन-देन की जांच चल रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उन्हें पाकिस्तान या अन्य स्रोतों से धन प्राप्त हो रहा था।

ज्योति मल्होत्रा का मामला केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़े जासूसी नेटवर्क का हिस्सा है। हिसार के पुलिस अधीक्षक शशांक कुमार सावन ने बताया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ज्योति को अपनी संपत्ति के रूप में विकसित कर रही थी। वह अन्य यूट्यूबरों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों के संपर्क में थी, जो पाकिस्तानी एजेंटों के साथ मिलकर काम कर रहे थे। यह एक तरह का “सूचना युद्ध” है, जिसमें पाकिस्तान सोशल मीडिया के माध्यम से भारत के खिलाफ अपनी कहानी को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

पुलिस ने ज्योति के मोबाइल और लैपटॉप की फोरेंसिक जांच शुरू की है, जिसमें कई पाकिस्तानी नंबर कोड नेम के तहत सेव मिले हैं। उनकी ट्रैवल हिस्ट्री की भी जांच हो रही है, जिसमें यह देखा जा रहा है कि उन्होंने 2023 से 2025 तक भारत में किन राज्यों और विदेशों में किन देशों की यात्रा की। खास तौर पर, उनकी पाकिस्तान यात्राओं के दौरान अली अहवान, शाकिर, और राणा शहबाज जैसे व्यक्तियों से मुलाकात की जांच हो रही है।

ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली और जम्मू-कश्मीर से जांच एजेंसियां हिसार पहुंचीं ताकि उससे पूछताछ की जा सके। यह मामला पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ा हुआ माना जा रहा है, जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने जासूसी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई तेज की। भारत सरकार ने 13 मई, 2025 को पाकिस्तानी हाई कमीशन के अधिकारी दानिश को जासूसी के आरोप में देश से निष्कासित कर दिया था। दानिश इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड माना जा रहा है, जो पैसे और हनी ट्रैप जैसे तरीकों से भारतीय नागरिकों को अपने जाल में फंसा रहा था।

पंजाब और हरियाणा में सक्रिय इस जासूसी नेटवर्क में शामिल अन्य व्यक्तियों की भी जांच चल रही है। सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि ज्योति और अन्य जासूसों ने किन-किन जानकारियों को साझा किया और इस नेटवर्क में कितने लोग शामिल हैं। यह मामला भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा माना जा रहा है, क्योंकि संवेदनशील जानकारी का रिसाव सैन्य और रणनीतिक स्तर पर नुकसान पहुंचा सकता है।

ज्योति मल्होत्रा का मामला सामाजिक और नैतिक सवाल भी उठाता है। एक तरफ, वह अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से सांस्कृतिक एकता और सद्भाव का संदेश दे रही थीं, लेकिन दूसरी तरफ, उन पर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का आरोप है। उनके वीडियो में पाकिस्तान की तारीफ और दोनों देशों के बीच दोस्ती की बातें थीं, लेकिन अब यह सवाल उठता है कि क्या यह सब एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा था।

ज्योति के पिता, हरिस कुमार, ने उनकी गिरफ्तारी पर बयान दिया कि उनकी बेटी किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं थी। उन्होंने कहा कि ज्योति केवल कंटेंट क्रिएशन के लिए यात्राएं करती थीं और उनकी सभी यात्राएं अनुमति के साथ थीं। हालांकि, जांच एजेंसियों के पास उनके खिलाफ ठोस सबूत होने का दावा है, जिसमें उनके डिवाइसों से बरामद डेटा और उनकी पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ बातचीत शामिल है।

ज्योति मल्होत्रा का मामला यह दर्शाता है कि सोशल मीडिया अब केवल मनोरंजन या जानकारी साझा करने का माध्यम नहीं रहा, बल्कि यह जासूसी और सूचना युद्ध का एक नया हथियार बन गया है। यूट्यूबर और इन्फ्लुएंसर, जो लाखों लोगों तक अपनी पहुंच रखते हैं, संवेदनशील जानकारी साझा करने का एक आसान जरिया बन सकते हैं। ज्योति जैसे लोग, जो अपनी यात्राओं और वीडियो के माध्यम से एक सकारात्मक छवि बनाते हैं, आसानी से लोगों का भरोसा जीत सकते हैं, लेकिन उनकी गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं।

हिसार के पुलिस अधीक्षक शशांक कुमार सावन ने इसे “एक तरह का युद्ध” करार दिया, जिसमें पाकिस्तान प्रभावशाली लोगों को भर्ती करके अपनी कहानी को आगे बढ़ाने की कोशिश करता है। ज्योति का मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे सोशल मीडिया के माध्यम से न केवल जानकारी साझा की जा सकती है, बल्कि इसे एक हथियार के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

ज्योति मल्होत्रा और अन्य जासूसों की गिरफ्तारी ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने एक नई चुनौती पेश की है। यह मामला न केवल जासूसी नेटवर्क के खतरे को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि डिजिटल युग में सूचना युद्ध कितना जटिल और खतरनाक हो सकता है। ज्योति का मामला एक चेतावनी है कि सोशल मीडिया की पहुंच और प्रभाव का दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।

सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता और समय पर कार्रवाई ने इस नेटवर्क का भंडाफोड़ किया, लेकिन यह सवाल अब भी बाकी है कि ऐसे कितने और लोग इस तरह की गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। यह मामला न केवल सुरक्षा एजेंसियों के लिए, बल्कि आम लोगों के लिए भी एक सबक है कि डिजिटल दुनिया में सावधानी और जिम्मेदारी कितनी महत्वपूर्ण है। (विनायक फीचर्स)

तुषार कपूर पहुंचे AAFT नोएडा, उत्साहित हुए छात्र

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नोएडा। AAFT नोएडा में 20 मई को एक खास कार्यक्रम आयोजित हुआ, जहाँ बॉलीवुड फिल्म “कपकपी” की स्टार कास्ट ने दौरा किया। इस अवसर पर फिल्म के प्रमुख कलाकार तुषार कपूर, सिद्धि इदनानी और सोनिया राठी ने छात्रों के साथ बातचीत की और अपने फिल्मी अनुभव साझा किए।

छात्रों के साथ बातचीत के दौरान कलाकारों ने शूटिंग के मजेदार किस्से सुनाए और सवाल-जवाब के सत्र में भी भाग लिया। उन्होंने फिल्म के गाने ‘तितली’ पर परफॉर्म करके सभी को चौंका दिया। इसके साथ ही फिल्म का टीज़र और पोस्टर भी पहली बार प्रस्तुत किया गया, जिससे दर्शकों को एक मजेदार हॉरर कॉमेडी फिल्म की झलक देखने को मिली।

इस दौरान AAFT के छात्रों ने भी कार्यक्रम को और विशेष बनाने के लिए नृत्य और स्किट प्रस्तुत किए।

AAFT के सीईओ अक्षय मारवाह ने कहा, ‘कपकपी’ की टीम के साथ हमारा कैंपस एक स्मरणीय अनुभव से भर गया। कलाकारों और छात्रों के बीच हुई सीधी बातचीत ने माहौल को बेहद प्रेरणादायक बना दिया, जहां उन्होंने हमारी 33 साल की रचनात्मक यात्रा को भी करीब से जाना। छात्रों का उत्साह और भागीदारी यह दिखाता है कि वे कैसे असली अनुभवों से प्रेरित होकर सीखने के लिए तैयार हैं। पढ़ाई को अनुभवों से जोड़ना – यही AAFT की सोच है।”

AAFT पिछले तीन दशकों से मीडिया और मनोरंजन की दुनिया में क्रिएटिव टैलेंट को तैयार कर रहा है। यहां के कोर्स व्यावहारिक और इंडस्ट्री-केंद्रित हैं, जो छात्रों को ग्लोबल स्तर पर पहचान दिलाने में सहायक है।

बदल रहा है कश्मीर

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सुभाष आनंद –

आतंकवादी कार्रवाई के पश्चात पहलगाम जाने का मौका मिला वहां सन्नाटा छाया हुआ था। पहलगाम जहां कभी पर्यटकों की हमेशा चहल पहल रहती थी, वहां अब सूनापन दिखने लगा है। यहां के स्थानीय लोगों से मिलने से पता चला कि स्थिति कितनी बदली हुई है। कई दिनों से लोगों ने अपने घरों के चूल्हे नहीं जलाए हैं। महिलाएं और नौजवान आतंकवाद के विरुद्ध खड़े हैं। ऐसा लगता है कि कश्मीर में आतंकवाद पूरी तरह हार चुका है। अब घर-घर में लोकतंत्र की आवाज सुनने को मिल रही है। मुस्लिम महिलाएं जो कभी फौजी लोगों के विरुद्ध डटकर इकट्ठी हो जाती थीं वे आज मुझे रोती दिखाई दी। जैसे स्वयं उनका कोई रिश्तेदार इस घटना में मारा गया है। विचार बदलने में देर नहीं लगती कभी फौजियों पर पत्थर फेंकने वाली कश्मीरी महिलाएं और नौजवान अब शांति और लोकतंत्र की बातें करने लगे हैं।

लोकल लोगों से मिलने से पता चला कि अभी भी कुछ लालची लोग आतंकवादियों के स्थानीय मददगार बने हुए हैंलेकिन अब उन्हें ज्यादा समर्थन नहीं मिल रहा है इसलिए अब इनको पहचानने में देरी नहीं लगेगी। कुछ कट्टरपंथी लोगों का कहना है कि पाकिस्तान के साथ कश्मीर नीति पर बात करना कोई सरल काम नहीं है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी भी भारत पाक की मित्रता पर मीठी-मीठी बातें करते हैं और स्वयं अजमेर शरीफ में चादर चढ़ाने की चाहत पेश कर रहे हैं लेकिन उनकी यह मंशा कितनी ईमानदार है यह सब जानते हैं।

अमेरिका के प्रसिद्ध समाचार पत्र संडे टाईम के पत्रकार जैम्स कैरी का कहना है कि हर बार भारत पाकिस्तान की चिकनी-चुपड़ी बातों में फंस जाता है जबकि कटु सच्चाई यह है कि पाकिस्तानी सेना और उसकी गुप्तचर एजेंसी 1000 से ज्यादा आतंकवादियों को ट्रेनिंग देकर उसे नियंत्रण रेखा के पार भारत में धकेलने का काम कर रही है। पाकिस्तान की बढ़ती आतंकी गतिविधियों को स्वीकार करते हुए जेम्स कहते है कि आतंकवादी घटनाओं में 100 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। जम्मू कश्मीर में बड़े स्तर पर आतंकवादी मारे जा रहे हैं परंतु आतंकी गतिविधियों में कमी नहीं हो रही।
इस चुनौती को लेकर भारतीय सेना तंत्र और विदेशी समाचार पत्र लंबे समय से चेतावनी दे रहे हैं। जब कश्मीर में ऐसी रिपोर्ट मिल रही थी तो सरकार को अपना सुरक्षा तंत्र और राजनीतिक गतिविधियां दुरुस्त करके ठीक तरह से उपाय करने चाहिए थे। इतिहास गवाह है कि कश्मीर आतंकी गतिविधियों से कभी सुरक्षित नहीं रहा। पाकिस्तान की जिस आतंकवादी एजेंसी ने इस घटना की जिम्मेदारी ली है उसका संबंध कजाकिस्तान से भी है। आखिर उनके पास हथियार किन लोगों ने पहुंचाए? उसकी पहचान के लिए भारतीय सैनिक एजेेंसियों को दो चार होना पड़ रहा है।

वहीं पाकिस्तान के पत्रकार रफीक अहमद ने कहा है कि पाकिस्तानी आतंकवादियों के लिए यह आखिरी हमला साबित हो सकता है। भारत के प्रहार में जो पाकिस्तान के पुराने आतंकवादी मारे गए हैं पाकिस्तानी सेना ने उन्हें ज्यादा महत्व दिया। आतंकी नेताओं की मौत के बाद पाकिस्तान की विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के लोग उनके अंतिम क्रियाकर्म में पहुंचे उससे लगता है पाकिस्तान की प्रत्येक पार्टी किसी न किसी आतंकवादी की आड़ का सहारा ले रही है।

पाकिस्तान से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र आजाद में रफीक उल्ला का कहना है कि पाकिस्तान समाप्त होने की कगार पर पहुंचा हुआ है। पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी लोग जानते हैं कि वह कभी भारत के विरुद्ध परोक्ष युद्ध नहीं जीत सकता। पाकिस्तान में पहली बार देखने को मिला है कि आतंकवादियों और उनके समर्थकों की स्थिति उतनी शक्तिशाली नहीं रही जितनी 5 वर्ष पहले हुआ करती थी। पहलगाम से 10 किलोमीटर दूर जहां हम ठहरे थे वहां भी स्थिति बदली हुई है। नई पीढ़ी भविष्य बनाने के लिए सोच रही। कश्मीर में सरकार धड़ाधड़ नई नौकरियां निकाल रही है। बच्चे आतंकवाद से दूर जा रहे हैं। कई कट्टरवादी इस्लामी नेताओं को नौजवानों ने इग्नोर कर दिया है। अब चंदा इकट्ठा करने वाले इस्लामी नेताओं का भी महत्व समाप्त होता जा रहा है। मौलवियों ने भी अपने भाषणों को नर्म कर दिया है। कट्टरवादी इमामों को मदरसों से दूर रहने को कहा गया है। धीरे-धीरे वातावरण भी बदल रहा है। जम्मू कश्मीर में अब्दुल्ला परिवार काफी सक्रिय है जो रोल उन लोगों ने अदा किया है वह भी अति प्रशंसनीय है। सूत्रों से पता चला है कि पाकिस्तान में कश्मीर को लेकर पाकिस्तानी सेना और आईएसआई को खुले हाथ दिए गए हैं। पाकिस्तान के 9 आंतकी अड्डों पर भारतीय वायुसेना ने जो तबाही मचाई है उससे पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां भयभीत हैं। लेकिन पाकिस्तान अपने लोगों को संतुष्ट करने के लिए आगे कोई बड़ी कार्रवाई कर सकता है।

जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान ने भारी गोला बारी की। पाकिस्तान की सेना ने जम्मू कश्मीर में हैवी शैलिंग की। 40 से ज्यादा राकेट छोड़े। बदले में भारतीय सेना ने पाकिस्तान में जो तबाही मचाई है इससे पाकिस्तान को अपनी हैसियत का पता चल गया है। पाकिस्तान के शासकों ने जिन भारतीय शर्तों पर समझौता किया है उससे लगता है कि वह अगले कई वर्षों तक भारत के साथ युद्ध लड़ने का सपना ही नहीं पाल सकते। अब पाकिस्तान को पता चल गया है कि जेहादियों का पालन पोषण करना उसके लिए सदैव घाटे का सौदा है। पाकिस्तान के सैनिक अधिकारी भी मानने लगे है कि आतंंकवाद का साथ देकर पाकिस्तान के पालिसी मेकरों ने पाकिस्तान को कंगाल बना दिया है। पाकिस्तान को अब पता चला है कि आतंकवाद दो मुंह वाला सांप है। जनरल मुशर्रफ ने अमेरिका से डालरों के लालच में अफगानिस्तान में जो राजनीतिक खेल खेला उसके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। आज भी पाकिस्तान को समझने की जरूरत है। कट्टरपंथी लोग आज भी सत्ता से खेल रहे हैं। आतंकवाद पाकिस्तान के लिए भस्मासुर साबित हुआ है।

वाईस ऑफ अमेरिका ने भविष्यवाणी की थी कि जमीनी स्तर पर भारत के लोकतंत्र की जीत होगी और आतंकवाद हर हालात में हारेगा। न्यूयार्क टाइम्स समाचार पत्र ने लिखा है कि लोकतंत्र मजबूत हुआ है जबकि आतंकवाद पूरी तरह हार चुका है। पाकिस्तान ने स्वयं लड़ाई में अपनी हार मान ली है। विकास के पथ पर चलने के लिए उसे 10 वर्ष पीछे धकेल दिया गया है इससे पाकिस्तानी सेना का मनोबल भी जहां गिरेगा वहीं उनकी साख को भी धक्का लगेगा। राजनीति के विशेषज्ञ इस सीजफायर को पाकिस्तान की पराजय के साथ जोड़कर देख रहे हैं और इस युद्ध ने भारत में मोदी को हीरो बना दिया है। भारतीय लोगों में मोदी की लोकप्रियता पहले से ज्यादा बढ़ी है। (विभूति फीचर्स)

पीबीपार्टनर्स का हेल्थ इंश्योरेंस बिज़नेस महाराष्ट्र में 52% की रिकॉर्ड ग्रोथ के साथ आगे बढ़ा

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• मुंबई में 6,000+ एजेंट्स और OPD, मैटरनिटी व वरिष्ठ नागरिक योजनाओं की तेज़ मांग के साथ सबसे आगे

• पीबीपार्टनर्स का उद्देश्य महाराष्ट्र में वित्तवर्ष 2026 में अपने एजेंट्स को बढ़ाकर तीन गुना करना है।
• महाराष्ट्र में स्वास्थ्य बीमा बिज़नेस वित्तवर्ष 2025 में 52 प्रतिशत बढ़ा।

• मुंबई 6,000 से अधिक एजेंट पार्टनर्स के साथ पीबीपार्टनर्स की वृद्धि में सबसे आगे है, महाराष्ट्र में कंपनी के 17,000 से अधिक एजेंट पार्टनर्स हैं।

• मैटरनिटी, सीनियर सिटिजन और ओपीडी प्लांस की है भारी मांग।

• रिन्युअल रिटेंशन प्रोग्राम से एजेंट्स को स्थिर, पेंशन की तरह कमिशन मिलता है।

• समर्पित क्लेम्स सपोर्ट टीम तेज और आसान क्लेम सैटेलमेंट सुनिश्चित करती है।

• प्रेरणाप्रद सफलता की कहानीः नासिक के सब्जी विक्रेता ध्यानेश राजेंद्र उगाले पीबीपार्टनर्स की मदद से सर्वोच्च एजेंट बने।

मुंबई। पॉलिसीबाजार की पीओएसपी शाखा, पीबीपार्टनर्स तेजी से महाराष्ट्र में अपना विस्तार कर रहा है। इस विस्तार में मुंबई की सबसे प्रमुख भूमिका है। शहर में आयोजित हुई एक प्रेसवार्ता में नीरज अधाना, नेशनल सेल्स हेड, हैल्थ इंश्योरेंस ने बताया कि राज्य में स्वास्थ्य बीमा का एडॉप्शन बढ़ रहा है। महाराष्ट्र में 17,000 से अधिक एजेंट पार्टनर हैं, जिसमें से 6,000 से ज्यादा एजेंट पार्टनर मुंबई में हैं, जो पश्चिमी ज़ोन में बीमा का विस्तार कर रहे हैं।
पीबी पार्टनर्स का उद्देश्य महाराष्ट्र में 3 गुना वृद्धि हासिल करना है। यह वित्तवर्ष 2026 तक 50,000 से अधिक एजेंट पार्टनर्स का लक्ष्य बना रहा है, जिनमें से 6,000 पहले से मुंबई में काम कर रहे हैं।
प्रेसवार्ता में कई महत्वपूर्ण बातों पर प्रकाश डाला गया। महाराष्ट्र में स्वास्थ्य बीमा की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है, जिसमें मुख्य योगदान युवा और जागरुक ग्राहक दे रहे हैं, जो ऊँचे मूल्य के कम्प्रेहेंसिव प्लान चाहते हैं। वो ओपीडी कवर, मैटरनिटी कवरेज, और वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष पॉलिसी आदि तलाशते हैं।
नीरज अधाना, नेशनल सेल्स हेड – हैल्थ इंश्योरेंस, पीबीपार्टनर्स ने कहा, ‘‘पीबीपार्टनर्स ने महाराष्ट्र में वित्तवर्ष 2025 में स्वास्थ्य बीमा के व्यवसाय में 52 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। इस वृद्धि से पीबीपार्टनर्स की भरोसेमंद और प्रभावशाली सेवा में मुंबईवासियों का विश्वास और बढ़ती जागरुकता प्रदर्शित होती है।’’
नीरज अधाना, नेशनल सेल्स हेड – हैल्थ इंश्योरेंस, पीबीपार्टनर्स ने कहा, ‘‘पीबीपार्टनर्स में हमने क्लेम के लिए एक समर्पित टीम का गठन किया है, जो क्लेम प्रक्रिया को व्यवस्थित कर देती है। यह टीम क्लेम दर्ज होने पर नेटवर्क हॉस्पिटल और बीमा कंपनी के बीच तत्काल तालमेल बिठाती है, जिससे क्लेम की समय पर और प्रभावशाली प्रोसेसिंग होती है तथा विलंब नहीं होता। यह टीम ग्राहक से आवश्यक दस्तावेज एकत्रित करती है और यदि क्लेम अस्वीकृत होता है, तो उसका स्पष्ट एवं वैध कारण प्रदान करती है।’’
पीबीपार्टनर्स सभी एजेंट पार्टनर्स को वित्तीय स्थिरता प्रदान करने पर केंद्रित है। रिन्युअल रिटेंशन प्रोग्राम के अंतर्गत पीओएसपी एजेंट पार्टनर्स को ग्राहक द्वारा हमारे प्लेटफॉर्म से अपनी हैल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी रिन्यू कराए जाने पर हर साल गारंटीड कमीशन मिलता है। इससे हमारे पार्टनर्स के लिए आय का एक स्थिर और पेंशन जैसा स्रोत निर्मित होता है। गारंटीड रिन्युअल की मदद से कई एजेंट पार्टनर्स अपनी मौलिक आय को बहुत कम समय में ही 2 से 3 गुना बढ़ा सकते हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्तीय सशक्तीकरण की पीबीपार्टनर्स की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए नीरज अधाना ने नासिक के एक सब्जी विक्रेता, ध्यानेश राजेंद्र उगले की प्रेरणाप्रद कहानी सुनाई। केवल दसवीं पास ध्यानेश ने पीबीपार्टनर्स के साथ काम करना शुरू किया। उन्हें ऑफलाईन और ऑनलाईन प्रशिक्षण दिया गया। वो तीन महीने की छोटी अवधि में ही भारत में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले बीमा एजेंट्स में से एक बन गए। अपने स्थानीय नेटवर्क की मदद से उन्होंने एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त की और उनकी आय 10 गुना बढ़ गई। इस तरह की कहानियाँ पीबीपार्टनर्स की परिवर्तनकारी क्षमता का प्रदर्शन करती हैं। पीबीपार्टनर्स हर क्षेत्र के लोगों को आजीविका निर्माण के अवसर प्रदान करता है।