जोशीमठ क्षेत्र में एक दौर में सौ से अधिक जलधाराएं व जलकुंड थे, जो वक्त के साथ भूमिगत हो गए या फिर विलुप्त।

सर्वे आफ इंडिया ने तो इन जलधाराओं का बाकायदा नक्शा तैयार किया था। अब जबकि जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव के पीछे इन जलधाराओं के भूमिगत होने को भी कारण के तौर पर देखा जा रहा है तो इस नक्शे की खोज की जा रही है।

सर्वे आफ इंडिया से मंगवाया जा रहा नक्शा

सूत्रों के अनुसार शासन द्वारा सर्वे आफ इंडिया से नक्शा मंगवाया जा रहा है। इससे जोशीमठ में भूधंसाव के कारणों की जांच में जुटी एजेंसियों को मदद मिलेगी। साथ ही जलधाराओं व जलकुंडों को लेकर तस्वीर भी साफ हो सकेगी। उधर, राष्ट्रीय भूभौतिकीय संस्थान (एनजीआरआइ) और केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्लूबी) जोशीमठ के जलस्रोतों का नक्शा तैयार करने के मद्देनजर अध्ययन में जुटे हैं।

सीमांत चमोली जिले में स्थित जोशीमठ शहर की बसागत पुराने भूस्खलन के मलबे वाले क्षेत्र में हुई है। वर्तमान में यह खूबसूरत शहर भूधंसाव का दंश झेल रहा है। इसे देखते हुए शहर के सुनील वार्ड से लेकर एटीनाला व अलकनंदा नदी तक के क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है। इसी क्षेत्र में भूधंसाव और भवनों व भूमि में दरारें आई हैं। इस बीच दो जनवरी को जोशीमठ की जेपी कालोनी में जलधारा फूटी, जिससे निरंतर गादयुक्त पानी निकल रहा है।

इसे देखते हुए जोशीमठ में भूधंसाव के लिए इस क्षेत्र में स्थित जलधाराओं व जलकुंडों के सिमटने को भी एक कारण के रूप में देखा जा रहा है। आशंका जताई जा रही है कि इन जलस्रोतों के भूमिगत होने और इनका प्राकृतिक प्रवाह रुकने से यह पानी जमीन के भीतर ही कहीं इकट्ठा हुआ है, जिसके कारण क्षेत्र में भूधंसाव हो रहा है।

इस आशंका के दृष्टिगत पड़ताल हुई तो पता चला कि वर्ष 1970 से पहले तक इस क्षेत्र में सौ से अधिक जलधाराएं व जलकुंड विद्यमान थे। अब सर्वे आफ इंडिया से इसका नक्शा मांगा जा रहा है, ताकि पता चल सके कि जोशीमठ क्षेत्र में कहां-कहां पर जलधाराएं व जलकुंड थे, जो विलुप्त अथवा भूमिगत हो गए।

सिंहधार में थीं कई जलधाराएं

जोशीमठ के सिंहधार क्षेत्र में भी कभी एक दर्जन से अधिक जलधाराएं थी, जो धीरे-धीरे विलुप्त होती चली गईं। स्थानीय बुजुर्ग भी इससे इत्तेफाक रखते हैं। सिंहधार से लेकर जेपी कालोनी तक के क्षेत्र की ढलान पर अधिक तनाव है।

इस कारण सिमटी जलधाराएं  , प्राकृतिक आपदाएं, अनियोजित व अनियंत्रित निर्माण, धारण क्षमता से अधिक भार,  प्राकृतिक कारणों से भी कुछ धाराएं सिमटीं , जोशीमठ की जलधाराओं के बारे में जानकारी ली जा रही है। एनजीआरआइ व सीजीडब्लूबी भी जलस्रोतों का नक्शा बनाने को अध्ययन कर रहे हैं और जल्द ही अपनी रिपोर्ट देंगे। यह नक्शा मिलने पर साफ हो सकेगा कि जोशीमठ क्षेत्र में कहां-कहां कितनी जलधाराएं थीं और इनका प्रवाह रुकने से क्या असर पड़ा।

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