जयपुर: जिन क्षेत्रों में दूध का व्यवसाय ज्यादा है, वहां आत्महत्या के मामले कम है. ये कहना है प्रदेश के प्रथम नागरिक राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े का. शनिवार को पिंजरापोल गौशाला में आयोजित गोपाष्टमी महोत्सव में उन्होंने ये बात कही. साथ ही कहा कि विश्व में दूध उत्पादन के मामले में भारत पहले स्थान पर है, लेकिन दूध पीने का प्रतिशत बहुत कम है. बच्चों को जितना दूध देना चाहिए, उतना दूध नहीं मिल पाता.

कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी के रूप में मनाया गया. मंदिर और गौशाला में गौ माता की पूजा-अर्चना की गई. साथ ही महिलाओं ने कुमकुम-हल्दी का तिलक लगाकर वस्त्र अर्पित करते हुए सुख-समृद्धि की कामना की.

उन्होंने कहा कि राजस्थान में 4 हजार गौशालाएं हैं. इन गौशालाओं को अनुदान भी मिलता है. यहां गाय का ज्यादा उपयोग करते हैं. ये गौ माता सिर्फ दूध ही नहीं देती, बल्कि कई कुटुंब को व्यवसाय भी देती है. महाराष्ट्र में तो कई क्षेत्रों में काश्तकार भी गोपालन करते हैं और जिन क्षेत्रों में दूध का व्यवसाय ज्यादा होता है. वहां आत्महत्या के मामले भी कम है.

किताबों में होगा गौ माता का अध्याय: कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि गोपाष्टमी का उत्सव राज्यपाल की मौजूदगी में धूमधाम से मनाया गया. गौ माता की पूजा की, हवन यज्ञ किया. उन्होंने बताया कि गोपाष्टमी बहुत मायने रखती है. क्योंकि आज के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवंश को चराने के लिए ले जाना शुरू किया था. श्रीकृष्ण की सबसे प्रिय माता भी गौ माता ही थी. इसलिए गौ माता के बिना सृष्टि का अस्तित्व रहना संभव नहीं है. यही वजह है कि अब स्कूलों में गौ माता का अध्याय शामिल करने पर विचार किया जा रहा है. इसके लिए कमेटी का गठन किया गया है. वही अंतिम निर्णय करेगी.

गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिया जाए: अखिल भारतीय गौशाला सहयोग परिषद के संयोजक डॉ अतुल गुप्ता ने बताया कि प्रत्येक गौशाला में गोपाष्टमी के आयोजन किए जा रहे हैं. इसके पीछे उद्देश्य यही है कि जनमानस के सहयोग से जल्द से जल्द गौ माता को राष्ट्रमाता और राज्यमाता बनाया जाए. प्रयास था कि गोपाष्टमी पर सरकारी अवकाश घोषित किया जाए. अर्जी लगाने में इस बार कुछ देरी जरूर हुई है, लेकिन अगले 1 साल में गौ माता से जुड़े कई आयोजन शासकीय व्यवस्था के तहत होंगे और गाय को राज्य माता का दर्जा भी मिल जाएगा.

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