आज जब दुनिया डिजिटल युग की रफ्तार में भाग रही है, वहीं महाराष्ट्र के एक छोटे से कोने से निकली चार साल की एक नन्ही परी ने पूरी दुनिया को यह बता दिया है कि उम्र सिर्फ एक नंबर है, असली ताकत दिमाग और दिल की होती है। हम बात कर रहे हैं भारत की सबसे छोटी महाज्ञानी, पाँच बार की विश्व रिकॉर्ड धारक – समर्था महालक्ष्मी की।
मात्र 14 महीने की उम्र में समर्था ने अपना पहला विश्व रिकॉर्ड बनाया था। उसके बाद रुकना जैसे उन्हें मंजूर ही नहीं। आज चार साल की छोटी सी उम्र में उनके नाम पाँच विश्व रिकॉर्ड हैं – सभी सामान्य ज्ञान (General Knowledge) के क्षेत्र में। वह विश्व की सबसे कम उम्र की बच्ची हैं जिन्होंने इतनी कम उम्र में इतने रिकॉर्ड अपने नाम किए।लेकिन समर्था सिर्फ किताबी कीड़ा नहीं हैं।
वह एक साथ कई भाषाओं में भक्ति गीत गाती हैं – संस्कृत, हिंदी, मराठी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और अन्य भारतीय भाषाओं में आध्यात्मिक भजन उनकी आवाज में ऐसा लगता है मानो सदियों पुरानी साधना बोल रही हो।
यही वजह है कि उन्हें “सबसे कम उम्र की भक्ति गायिका” और “आध्यात्मिक प्रतिभा” का खिताब भी मिला है। उनके सम्मानों की सूची देखकर बड़ा से बड़ा इंसान भी दंग रह जाए :

दादासाहब फाल्के अवॉर्ड
महाराष्ट्र रत्न पुरस्कार
नेशनल आइकन अवॉर्ड
ग्लोबल अचीवर अवॉर्ड
इंटरनेशनल कंटेंट क्रिएटर अवॉर्ड
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज द्वारा “भारत की सबसे छोटी जीनियस” की उपाधि
गुरुदेव आचार्य लोकेश मुनि और विवेक ओबेरॉय द्वारा “गौ भारत भारती” में पाँच बार विश्व रिकॉर्ड होल्डर के रूप में सम्मान
DNA के टॉप-10 इंस्पायरिंग लीडर्स में स्थान
ज़ी न्यूज़ के टॉप-18 प्रभावशाली व्यक्तित्व में स्थान
मिड-डे के टॉप-10 इंस्पायरिंग पर्सनैलिटी में स्थान
NDTV पर उनकी पूरी यात्रा पर एक घंटे का डॉक्यूमेंट्री प्रसारित

उन्हें मिले खिताब भी कम गौरवशाली नहीं – भारत की जीनियस, जीके मास्टर, आईक्यू मास्टर, महाराष्ट्र की बेटी, भारत की गौरव बेटी, सबसे कम उम्र की इन्फ्लुएंसर, सबसे कम उम्र की कंटेंट क्रिएटर, असाधारण प्रतिभाशाली बालिका, जीके प्रॉडिजी और न जाने कितने।चार साल की यह बच्ची जब मंच पर खड़ी होकर देश-विदेश के झंडे, राजधानियाँ, करेंसी, महापुरुषों के नाम, ग्रह-नक्षत्र, धार्मिक ग्रंथों की बातें, भजन-कीर्तन सब कुछ एक साथ याद करके सुनाती है तो पूरा हॉल तालियों से गूँज उठता है।

उनकी याददाश्त और एकाग्रता देखकर बड़े-बड़े विद्वान भी हैरान रह जाते हैं।समर्था महालक्ष्मी सिर्फ एक बच्ची नहीं, एक चमत्कार हैं। वह साबित कर रही हैं कि अगर इरादे बुलंद हों, माता-पिता का साथ हो और ईश्वर की कृपा हो तो आकाश भी छोटा पड़ जाता है।यह नन्ही सी बेटी आज पूरे भारत के लिए गर्व की बात है।

वह हम सबको बता रही हैं कि भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं, बस उसे सही दिशा और प्रोत्साहन चाहिए।समर्था महालक्ष्मी – नाम नहीं, एक प्रेरणा है।  भारत माता की यह लाड़ली बेटी आगे चलकर दुनिया में भारत का नाम और ऊँचा करेगी, इसमें कोई शक नहीं। जय हिंद! जय महाराष्ट्र ! और ढेर सारा प्यार हमारी छोटी सी महाज्ञानी समर्था को !

 

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