Home Gau Samachar गायों को किलनी से निजात दिलाएगा हर्बल पाउडर और क्रीम

गायों को किलनी से निजात दिलाएगा हर्बल पाउडर और क्रीम

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) बरेली ने पशुओं को किलनी से निजात दिलाने के लिए हर्बल दवा बना ली है। आईवीआरआई को इस हर्बल दवा को बनाने में 14 साल लग गए, तब जाकर सफलता मिली।

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पशुओं को किलनी से निजात दिलाएगा हर्बल पाउडर और क्रीम, आईवीआरआई ने बनाई दवा

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) बरेली ने पशुओं को किलनी से निजात दिलाने के लिए हर्बल दवा बना ली है। आईवीआरआई को इस हर्बल दवा को बनाने में 14 साल लग गए, तब जाकर सफलता मिली।

गाय, भैंस और अन्य पशुओं को किलनी से निजात दिलाने के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) बरेली ने हर्बल दवा विकसित कर ली है। तीन अलग-अलग तरह के फार्मूले में एक पाउडर और दो क्रीम हैं। क्रीम में एक सिर्फ कुत्तों के लिए और दूसरी कुत्ते समेत गाय-भैंस के लिए भी है। पाउडर के व्यावसायिक इस्तेमाल की अनुमति मिल गई है। वहीं, क्रीम के फार्मूले को एग्री इनोवेट को सौंप दिया है। आईवीआरआई के परजीवी विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक डॉ. श्रीकांत घोष के मुताबिक साल 2008 में यह शोध शुरू किया गया था। इसके तहत कोशिश थी कि एक ऐसा फार्मूला तैयार किया जाए जो पशुओं को किसी तरह का नुकसान पहुंचाए बगैर उन्हें किलनी से निजात दिला सके। इसका मनुष्यों पर भी दुष्प्रभाव न हो। शुरुआत में दिल्ली के इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ शोध कार्य शुरू हुआ। फिर लखनऊ के नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुजरात के डायरेक्टरेट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमेटिक प्लांट रिसर्च इंस्टीट्यूट, केरल के कॉलेज ऑफ वेटरनरी एंड एनिमल साइंस की विशेषज्ञ टीम का सहयोग लिया गया। पांच संगठन को शामिल करने का उद्देश्य था कि सर्वोत्तम गुणवत्ता का उत्पाद तैयार किया जा सके। धन की व्यवस्था नेशनल एग्रीकल्चर साइंस फंड से हुई।

साल 2020 में मिली थी पाउडर बनने में सफलता

डॉ. घोष ने बताया कि साल 2020 में पहला फार्मूला तैयार करने में सफलता मिली। यह पाउडर था। पानी के साथ मिलाकर प्रभावित स्थान पर इसका लेपन किया जाता है। इस एंटीटिक फाइट फार्मूलेशन का सफल परीक्षण उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड में 700 गाय, भैंस और कुत्तों पर किया गया। फिर इसे पुणे की निजी कंपनी को रिलीज किया गया। इसके बाद क्रीम को तैयार करने के लिए शोध कार्य शुरू हुआ। साल 2021-22 में यह भी तैयार कर लिया गया। जिसे हाल ही में दिल्ली के एग्री इनोवेट को सौंप दिया गया है।

एक किलनी पांच मिली लीटर तक पीती है खून

किलनी की 107 प्रकार की प्रजातियां होती हैं। ये शरीर पर चिपककर धीरे-धीरे खून चूसते हुए उन्हें कमजोर बना देती हैं। एक पशु पर औसतन एक साल में एक से दो हजार किलनी चिपकती हैं। एक किलनी दो से पांच मिली लीटर खून पीती है। इससे पशु की वृद्धि और उत्पादकता प्रभावित होती है। पशु के बीमार होने पर उसके दूध और मांस का सेवन मनुष्यों को भी नुकसान पहुंचाता है।

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