मुम्बई – महाराष्ट्र , पशुपालन विभाग द्वारा जिंदा पशुओं को भारत से निर्यात करने के लिए विधेयक पर पुरे देश में विरोध के स्वर तेज हो रहे है। मोदी सरकार के इस विधेयक पर कई सवाल खड़े हो रहे है। भारत में पशु प्रेमियों की बहुत संख्या है। अहिँसा को मानने वाला देश है , जहा यदि कानूनन जिन्दा पशुओ के निर्यात का कानून यदि बनता है तो बड़ा ही शर्मनाक होगा।

लाइव-स्टॉक और लाइव-स्टॉक उत्पाद [आयात और निर्यात] विधेयक, 2023 के विरोध में मुंबई के समस्त पशुप्रेमियों ने अपना -अपना विरोध जाता रहे है और बड़े पैमाने पर मेल और चिठ्ठी लिख कर इस विधेयक का विरोध कर रहे है।

मुंबई के समस्त महाजन के ट्रस्टी गिरीश शाह ने सरकार को लिखे पत्र में अपना विरोध जताते हुए लिखा है कि – ” जिंदा पशु-पक्षियों एवं मवेशियों को, हेरा-फेरी कर, उनके एक्सपोर्ट को इस तरह से पुश करना, संविधान के प्रावधानों एवं भावना के खिलाफ है।

वर्तमान में दुनिया भर में भी जिंदा पशुओं के एक्सपोर्ट की प्रथा की आलोचना कर, जिंदा पशुओं के एक्सपोर्ट को बंद करने की मांग की जा रही है। इस विधेयक के पारित होने से राष्ट्रीय पशु संपत्ति के हितों पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जबकि भारत से बड़े पैमाने पर मांस निर्यात के चलते, पशु-पक्षी वर्ग तो पहले से ही सरकार और इसकी मशीनरी की घोर उपेक्षा एवं उदासीनता का शिकार है। सरकारी स्तर पर कहीं पर तो उनके शोषण को रोकने की सीमा रेखा हो।

गिरीश शाह यह भी लिखते है कि – ” हितधारकों की जागरूकता के लिए इस प्रस्तावित विधेयक को प्रिंट मीडिया के माध्यम से उचित प्रचार दिया जाना चाहिए था, जो कि आपने नहीं दिया। इसके साथ ही हितधारकों द्वारा अपने सुझाव और‌ टिप्पणियां प्रस्तुत करने के लिए भी सामान्यतः 30 दिनों का समय दिया जाता है, पर आपने‌ इसके लिये केवल 10 दिनों का समय दिया जो कि नाकाफी है। इस तरह के सामान्य मानदंडों को दरकिनार करने से ऐसा प्रतीत होता है कि शायद बाहरी निहित स्वार्थ के प्रभाव में, इस विधेयक को जल्दबाजी में पास कराना चाहा जा रहा है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।

मुंबई के पशुओ की क्रूरता पर लड़ाई लड़ने वाले वकील राजीव गुप्ता ने भी अपना घोर विरोध जताते हुए कहा है कि – ” किसानों को जैविक खाद नहीं मिल रही है क्योंकि पशुधन की संख्या कम हो गई है और ऐसे में किसानों को महंगा यूरिया/गैर जैविक खाद और हानिकारक कीटनाशकों का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यदि जैविक खेती करना है तो उचित मात्रा में पशुधन की जरुरत है।
एक बार पशुधन का निर्यात हो जाने के बाद हमारे पास कष्टों और पीड़ाओं पर कोई नियंत्रण नहीं होगा और वे यातनाओं के अधीन हो सकते हैं।

केवल भारत में जानवरों के प्रति दया है और अन्य सभी देश वध और उपभोग में विश्वास करते हैं। इसलिए एक बार जब जानवर भारत से बाहर चले जाते हैं तो वे वध के लिए बाध्य होते हैं। भारत के अधिकांश राज्यों में गायों और उनकी संतानों की हत्या पर प्रतिबंध है, जबकि यदि यह विधेयक पारित हो जाता है तो गायों को मारने के लिए अन्य देशों को निर्यात किया जाएगा जो कानूनी हो जाएगा और उस विशेष राज्य पशु संरक्षण अधिनियम का उद्देश्य विफल हो जाएगा।

वही एटा के अखिल भारतीय दिगंबर जैन महिला संगठन ने बैठक का आयोजन जैन नगर स्थित कार्यालय पर किया गया। इसमें पशुपालन विभाग द्वारा जिंदा पशुओं को भारत से निर्यात करने के लिए विधेयक पर विरोध जताया गया। जैन महिला संगठन की अध्यक्ष बबीता जैन प्रेरणा ने कहा कि भगवान महावीर का संदेश जियो और जीने दो का है। अहिंसा की बात करने वाले उत्कृष्ट जैन धर्म के अनुयायियों की भावनाएं इस विधेयक को लेकर काफी आहत हुई हैं। उन्होंने जीवित पशु निर्यात विधेयक को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग की। नेमिनाथ महिला मंडल की संगीता जैन ने कहा कि संस्था ने एक आपत्ति पत्र मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय कृषि भवन को भेजकर आपत्ति जताई।

विरोध के समर्थन में सकल दिगंबर जैन समाज, नेमिनाथ दिगंबर जैन महिला मंडल, भारतीय जैन मिलन परिवार, नसिया भक्त महिला परिवार, विश्व गोरक्षा संघ एवं जिला उद्योग व्यापार मंडल महिला प्रकोष्ठ, श्री दिगंबर जैन वीर मंडल हैं। बीना जैन, श्रुति जैन, उषा जैन, वर्षा जैन, रुचि जैन, पूनम यादव, चीना अग्रवाल, मंजू वार्ष्णेय आदि महिलाएं मौजूद रहीं।

शोसल मीडिया पर बहुत से विरोध की आवाज़े उभर कर आ रही है , ट्वीटर पर जो ट्रेंड कर रहा है। ट्वीटर पर सूरज दुबे लिखते है कि –

1898 में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए लाइव स्टॉक कानून तक में जिंदा कुत्ते, बिल्ली, गाय, बैल, भैंस, आदि का आयात निर्यात नहीं।

मगर, 2023 में भारत सरकार ने इनको बिल में शामिल कर दिया।

कृषि तथा पशु आधारित भारतीय सभ्यता की ये हत्या है।

आचार्य लोकेश मुनि लिखते है कि -” जीवित पशुओं के निर्यात की नीति का विरोध कीजिए

ऋषि और कृषि प्रधान देश से ?
चींटी को आटा, चिड़िया कबूतर को दाना ?
पहली रोटी गाय,आख़िरी कुत्ते की कहने वाले देश से?

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