देहरादून,23 फरवरी, राज्य में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए गंभीर चिंता व्यक्त की है।
इस प्रपेक्ष्य में उन्होंने गुलदार और बाघों के हमले की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाने हेतु वन सचिव एवं वन्यजीव प्रतिपालक को प्रभावी कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में विभाग को चौबीसों घंटे अलर्ट मोड पर रखा जाए और प्रशिक्षित वनकर्मियों की क्विक रिस्पांस टीम गठित कर उसे तत्काल मौके पर भेजा जाए। जंगली जानवरों को आबादी क्षेत्र में आने से रोकने के लिए गांव और जंगल की सीमा पर सोलर फेंसिंग (तार बाड़) लगाई जाए।
मुख्यमंत्री धामी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि गत समय से यह देखने में आ रहा है कि राज्य के अलग- अलग हिस्सों में वन्य जीवों के हमलों को रोकने में वन विभाग बेबस हो रहा है। इसे दृष्टिगत रखते हुए इन घटनाओं को रोकने के लिए दीर्घकालीन योजना बनाई जाए। प्रशिक्षित पशु चिकित्सक मानव -वन्यजीव संघर्ष की दृष्टि से इलाक़ों में चौबीस घंटे तैनात रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर गुलदार और बाघों से भरे पड़े हैं। अब वहां अन्य पकड़े गए वन्य जीवों को रखने की जगह नहीं है, लिहाजा इसके लिए भी तुरंत कार्य योजना बनाई जाए।
यहां बता दें कि सीएम धामी ने गत माह वरिष्ठ अधिकारियों की आपात बैठक लेकर वन्य जीव प्रतिपालक को निर्देश दिए थे, कि राज्य के रेस्क्यू सेंटर के गुलदार और बाघों को दूसरे राज्यों के चिड़ियाघर/ वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर में शिफ्ट करने के लिए वहां के जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क करें, ताकि यह समस्या हल हो सके। इस दिशा में अभी तक कोई अपेक्षित प्रगति नहीं होने पर मुख्यमंत्री ने आज शुक्रवार को पुनः इस सम्बंध में तत्काल कार्रवाई के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्यजीव संघर्ष की घटना की स्थिति में स्थानीय स्तर पर कानून व्यवस्था की ज़िम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की है। इस मामले में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने जिम्मेदार अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि जंगलों से सटे गांवों में शत प्रतिशत शौचालय और गैस कनेक्शन जैसे आवश्यक सुविधा दिए जाने की योजना बनाई जाए,जिससे नागरिकों को बाहर जंगलों पर निर्भर न होना पड़े ।
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संजय बलोदी प्रखर ( मिडिया समन्वयक उत्तराखंड प्रदेश एवं पीआरओ पूर्व राज्यपाल महाराष्ट्र )

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