बन्शीलाल धाकड़
देव भूमि उत्तरकाशी में नवरात्रि के पावन अवसर पर श्री गौ कृपा कथा के पांचवें दिन ग्वाल संत गोपालानंद सरस्वती महाराज ने स्त्री धर्म के बारे में बताते हुए कहा कि जो स्त्री चाहे रोज गंगा स्नान करे, नित्य पूजापाठ करे, किर्तन करे और अतिथि सेवा भी करे, फिर भी उसको इन पुण्य कर्मों का कोई लाभ नहीं मिलेगा। जब तक कि वह अपने सास – ससुर की सेवा नहीं करती। महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता में बताया गया कि बेटी के विवाह के लिए बेटी के साथ उसके माता की भी सहमति होनी जरूरी है। माता-पिता को नजर अंदाज कर अपने स्तर पर विवाह करने वाली बेटियां अक्सर जीवन भर दुख ही देखती है। उनके पास सिर्फ पछताने के अलावा कुछ नहीं रहता है। कथा में गोपालानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि बेटी का विवाह उस घर में करना चाहिए। जिस घर में गौ माता हो। यदि गौ माता नहीं हो तो उस घर में बेटी कभी सुखी नहीं रहेगी। संसार के समस्त सुख गौ माता की सेवा से मिलते हैं।
गौ की सेवा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख – समृद्धि एवं यश स्थापित होता है। महाराज ने बड़ी संख्या में उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि जिस – जिस ने भी गौ सेवा में अपना जीवन लगाया है गौ माता ने उनको उतना ही ऊंचा उठाया है। गौ सेवा से जीवन में समृद्धि पाने वाले का उदाहरण देते हुए बताया कि राजस्थान कामधेनु अकेडमी के संचालक दौलत राम सारण सामान्य परिवार के थे, लेकिन गौ सेवा से आज नागौर जिले का सबसे बड़ा विद्यालय संचालन करते है। इस विद्यालय में रोज सबसे पहले गौ पूजन के बाद ही सभी विद्यार्थी व गुरुजन अपनी दिनचर्या प्रारंभ करते है। इसी क्रम में गंगापुर से आये नन्दलाल किसान परिवार से है, लेकिन गौ सेवा से आज नगर पालिका के अध्यक्ष के दायित्वों के साथ – साथ पूरे मनोयोग से गौ सेवा भी करते हैं। कथा पूरी होने पर समापन दिवस पर भोजन प्रसाद भी इन्हीं की तरफ होगा।
