(मनोज कुमार अग्रवाल -विनायक फीचर्स)
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली बांग्लादेश सरकार में हिन्दुओं पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। इस्कॉन भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद भी चरमपंथी रुकने को तैयार नहीं हैं। इसी क्रम में एक बार फिर से एक और मंदिर पर हमला किया गया है।
ताजा मामले में बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के बीच चटगांव के तीन हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया। जिसके बाद बांग्लादेश में जारी झड़प ने हिंसक रूप ले लिया। अभी जिन तीन मंदिरों को निशाना बनाया गया है उनमें चटगांव के फिरंगी बाजार में लोकनाथ मंदिर, मनसा माता मंदिर और हजारी लेन में काली माता मंदिर शामिल हैं।  यह घटना बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा का भाग है, जो कि पांच अगस्त को तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से अत्यंत खतरनाक स्तर तक बढ़ गई है। हिंदू समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ ये उग्र विरोध प्रदर्शन तब शुरू हुए जब हिंदुओं ने इस्लामिक कट्टरपंथियों की ओर से किए गए संगठित हमलों के जवाब में बड़ी संख्या में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन शुरू किए । यह विरोध प्रदर्शन धार्मिक और सामाजिक संगठन इस्कॉन की ओर से आयोजित किए गए थे, जिसके अनुयायी दुनिया भर में फैले हुए हैं। इस विरोध प्रदर्शन को देखते हुए  ढाका हवाई अड्डे पर प्रमुख हिंदू नेता और इस्कॉन भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास को हिरासत में ले लिया गया।
भारत सरकार ने हिंदू धार्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी और उन्हें जमानत नहीं दिए जाने के मामले पर गहरा रोष जताया। साथ ही पड़ोसी देश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों के नहीं थमने का मुद्दा भी पुरजोर तरीके से उठाया है। भारत ने बांग्लादेश सरकार से आह्वान किया है कि वह हिंदुओं समेत हर तरह के धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। भारत सरकार पिछले दो महीनों के दौरान कई बार ऐसे आग्रह कर चुकी है, लेकिन जब से शेख हसीना को सत्ता से बेदखल किया गया है तब से हिंदुओं के उत्पीड़न का मामला बढ़ता जा रहा है। अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद युनूस इस बारे में उल्टा भारत पर ही आरोप लगाते रहे हैं कि हिंदुओं पर हमले के मुद्दे को भारतीय मीडिया बढ़ा-चढ़ा कर बता रहा है। विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जोत के नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी और उनको जमानत नहीं दिए जाने के घटनाक्रम को लेकर हमें गहरी चिंता है। यह घटना हिंदुओं व दूसरे अल्पसंख्यकों पर हुए कई हमलों के बाद सामने आई है। अल्पसंख्यकों के घरों और उनके कारोबार को तबाह करने, लूटने, मंदिरों में मूर्तियों को खंडित करने आदि घटनाओं के ठोस साक्ष्य हैं।
बांग्लादेश में हिंदू समूह सम्मिलिता सनातनी जोत के नेता एवं इस्कान ट्रस्ट के सचिव रहे चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी के विरोध में राजधानी ढाका और चटगांव समेत कई जगहों पर लोग सडकों पर उतरे और उनकी रिहाई की मांग की। प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसाईं और आंसू गैस के गोले दागे गए। एक वकील की मौत भी हो गई। एक अदालत ने चिन्मय को जमानत देने से इन्कार कर दिया। उनको देशद्रोह के आरोप में  गिरफ्तार किया गया था। बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध, ईसाई एकता परिषद ने बताया कि हिंदुओं के साथ- साथ ईसाइयों और बौद्धों के खिलाफ हत्या, छेड़छाड़ और अपहरण समेत हमलों की 2010 घटनाएं हुई हैं। बांग्लादेश में हिंदू समूह सम्मिलिता सनातनी जोत के नेता एवं इस्कान ट्रस्ट के सचिव रहे चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी के खिलाफ प. बंगाल में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने मंगलवार को राज्य विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। विपक्षी भाजपा विधायकों ने चिन्मय दास की तस्वीर वाली तख्तियां लेकर विधानसभा परिसर से विरोध मार्च निकाला और उनकी तत्काल रिहाई की मांग करते हुए मुख्य गेट के बाहर एकत्रित होकर नारेबाजी की। इस दौरान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु ने चिन्मय दास की गिरफ्तारी की निंदा की और उन्हें बिना शर्त शीघ्र रिहा करने की मांग करते हुए बांग्लादेश सरकार को पेट्रापोल सीमा के जरिए सभी तरह के व्यापार और आवाजाही को ठप करने की कड़ी चेतावनी दी।
बांग्लादेश में आये राजनीतिक बदलाव के कारण वहां के हिन्दुओं सहित अन्य अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हमले बढ़ते चले जा रहे हैं। गौरतलब है कि बांग्लादेश में राजनीतिक परिवर्तन से वहां कट्टरपंथियों का बोलबाला हो गया है और वर्तमान सरकार की विदेशी नीति में आये परिवर्तन के कारण सामरिक, आर्थिक व राजनीतिक दृष्टि से बांग्लादेश के पाकिस्तान के साथ काफी अच्छे संबंध हो गए हैं। बांग्लादेश में हिन्दुओं और भारत के विरुद्ध जो हो रहा है या कहा जा रहा है उसके पीछे पाकिस्तान ही है और पाकिस्तान के पीछे चीन है। उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए भारत को अपनी विदेश नीति के साथ-साथ अपनी आर्थिक व राजनीतिक नीतियों पर भी समयानुसार परिवर्तन लाने की आवश्यकता है।
       चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश तीनों देश भारतीय सीमाओं पर और भारत के भीतर भी समस्याएं बढ़ाने की क्षमता रखते हैं। भारत को अति सतर्क होकर चलने की आवश्यकता है। तत्काल रूप से तो बांग्लादेशी हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना ही भारत की प्राथमिकता होनी चाहिए। बांग्लादेश की सरकार के साथ संपर्क कर अपना रोष प्रकट करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ हो रहे अत्याचारों को उठाना चाहिए।
वर्तमान परिस्थितियों को सम्मुख रखते हुए भारत को पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा चीन के साथ संबंधों को लेकर भी पुनः विचार करने की आवश्यकता है।(विनायक फीचर्स)
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