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मंदिरों को शक्तिहीन बताना देश की सांस्कृतिक आत्मा पर प्रहार : समाजसेवी हुकूम उदय प्रताप सिंह

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और मंझनपुर से विधायक इंद्रजीत सरोज के विवादित बयान ने एक बार फिर देश में धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को झकझोर दिया है। आंबेडकर जयंती के अवसर पर एक सभा में सरोज ने कहा था कि अगर मंदिरों में शक्ति होती तो गजनवी और गोरी भारत पर हमला नहीं कर पाते। इस बयान पर तीव्र प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रवादी विचारधारा से प्रेरित समाजसेवी हुकूम उदय प्रताप सिंह ने इसे “भारत की सांस्कृतिक अस्मिता और करोड़ों सनातन श्रद्धालुओं की भावनाओं पर सीधा प्रहार” बताया है।

हुकूम उदय प्रताप सिंह ने कहा, “मंदिर सिर्फ पत्थर की इमारतें नहीं हैं, यह करोड़ों भारतीयों की आस्था और संस्कृति का प्रतीक हैं। ऐसे बयान देकर इंद्रजीत सरोज जैसे लोग समाज को बांटने की साजिश कर रहे हैं। भारत की संस्कृति ने सदियों तक आक्रांताओं का सामना धैर्य, ज्ञान और एकता से किया है, और आज भी सनातन धर्म जीवंत है।”

उन्होंने देश की वर्तमान प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भारत आज वैश्विक मंच पर सम्मान प्राप्त कर रहा है। उत्तर प्रदेश में माफिया और गुंडागर्दी पर जो लगाम लगी है, वह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। ऐसे समय में इस तरह के बयान राष्ट्रविरोधी मानसिकता को बढ़ावा देते हैं।”

कानूनी कार्यवाही और बहिष्कार की अपील –
हुकूम उदय प्रताप सिंह ने आगे कहा, “सनातनियों से मेरी प्रार्थना है कि वे हर प्रांत में इस अपमानजनक बयान के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाएं। इस तरह के नेता का सामाजिक बहिष्कार हो और माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से मेरी करबद्ध प्रार्थना है कि इंद्रजीत सरोज की सदस्यता समाप्त करने की प्रक्रिया आरंभ की जाए। इस बयान के लिए इन्हें कठोर दंड मिलना चाहिए।”

“जिस व्यक्ति के इशारे पर या जिसके कहने पर इसने ऐसा कर्म किया है, उसकी भी सख्त जांच होनी चाहिए और सजा मिलनी चाहिए। अगर हमारी बात नहीं सुनी गई, तो हमें विवश होकर पूरे देश में सड़क पर उतरना पड़ेगा। अभी तक क्षत्रिय समाज ने आगरा में प्रदर्शन किया है, अब यह आंदोलन राष्ट्रीय स्तर पर होगा।”

सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में विरोध – सोशल मीडिया पर यह बयान ‘हिंदू आस्था पर हमला’ करार दिया जा रहा है। कई यूजर्स और राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे समाज को विभाजित करने का प्रयास बताया है। भाजपा नेताओं ने भी इसे “छद्म धर्मनिरपेक्षता की एक घिनौनी मिसाल” बताते हुए समाजवादी पार्टी से इस पर स्पष्ट रुख अपनाने की माँग की है।

यह एक भावनात्मक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना की लड़ाई है, हुकूम उदय प्रताप सिंह के इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर सनातन संस्कृति पर हमला होगा, तो उसका विरोध पूरे देश में होगा और वो भी सशक्त, संगठित और शांतिपूर्ण तरीके से।

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