नई दिल्ली, : ज्योतिर्मठ के 55वें शंकराचार्य का 55वां प्राकट्योत्सव इस वर्ष गोप्रतिष्ठा पर्व के रूप में मनाया गया। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में यह भव्य आयोजन दोपहर 2 बजे से रात 8 बजे तक चला
इस महोत्सव में सभी गोसांसद उपस्थित रहें। प्रातः मंगल ध्वनि के साथ इस पवित्र कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया राघवाचार्य जी महाराज और देश भर से 300 संत महंथ भी इस शुभ अवसर पर सम्मिलित हुए। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने पत्र लिख कर शंकराचार्य जी को जन्म दिवस की बधाई दी किसान नेता नरेश टिकैत भी उपस्थित रहे। इसी प्रकार देश भर के कई वर्तमान विधायक सांसद तथा पूर्व विधाय सांसद और मंत्री उपस्थित रहे।अनूप जलोटा ने अपने स्वर संगीत से कार्यक्रम को और भी सुंदर बनाया .
तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में जन्मोत्सव का आयोजन विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। इस अवसर पर कवर्धा की रत्ना देवी जी शंकराचार्य जी को रजत सिंहासन भेंट किय रेसलर द ग्रेट खली की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी खास बनाया शंकराचार्य जी का स्वागत हरियाणवी नृत्य एवं कश्मीरी नृत्य से किया गया जो इस महोत्सव में सांस्कृतिक रंग को बिखेरा। तुलादान की अनोखी परंपरा के तहत शंकराचार्य जी को रबड़ी से तौला गया, जो इस आयोजन का प्रमुख आकर्षण रहा। यह आयोजन धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है और समाज में एकता, भक्ति और सेवा का संदेश फैलाएगा। अंत में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने सभी भक्तों को आशीर्वाद दिया .
भारत सरकार से हमे अपेक्षा है नवम्बर तक गोमाता की प्रतिष्ठा करे- ज्योतिष्पीठ शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंदजी
परमाराध्य परमाधीश ज्योतिष्पीठ शंकराचार्य स्वामिश्री: १००८ अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वतीजी महाराज के 55 वे वर्द्धन्ति महोत्सव में दिल्लीके तालकटोरा स्टेडियम में में बड़े ही हर्षोल्लास एवं आनंद सहित उनके शिष्यों, भक्तो एवं अनुयायियों द्वारा एक भव्य आयोजन के अंतर्गत हजारों की संख्या में साधुसंतो, महंतो, गोसाँसदो, गोभक्तों मनाया ।
ज्योतिष्पीठाधीश्वर अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वतीजी आद्य शंकराचार्य प्रस्थापित चार पीठोंमें से उत्तरामनाय ज्योतिष्पीठ के 55 वे प्रामाणित शंकराचार्यजी है ।सितंबर’2022 में द्विपीठाधीश जगद्गुरु शंकराचार्य अनंतश्री स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के ब्रह्मलीन होने के उपरांत उनके आदेशानुसार ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य के रूप में अभिषिक्त हुए।
स्वामिश्रीका आविर्भाव प्रतापगढ़ के ब्राह्मणपुर गांव के ब्राह्मणकुल रत्न सद्गृहस्थ पं. रामसुमेर पाण्डेय और पूजनीया अनारा देवी के श्रावण शुक्ल द्वितीया दुंदुभि संवत्सर 2026 ( तदनुसार दिनांक 15/08/1969) शुक्रवार को हुआ।
गंगानदी को राष्ट्रनदी घोषित करवाने, 12 दिनों का पराक व्रत , रामसेतू संरक्षण, वाराणसी में पौराणिक मंदिरों की रक्षा, ज्ञानवापी में से प्राप्त शिवलिंग की सुरक्षा एवं भोग पूजन के लिए निर्जल उपवास, सनातन हिन्दू धर्म के अनेको कार्य आप द्वारा हुए ।
ज्योतिष्पीठाधीश्वर वर्तमान में गोमाता राष्ट्रमाता प्रतिष्ठा अभियानकी ज्योति है, आत्मा है। इस अभियान के अंतर्गत गोवर्धन से दिल्ली संसद भवन की पैदल यात्रा आपने नंगे पाँव की, और अपना स्वर बुलंद करते हुए भारत सरकार से अनुरोध किया कि वेदलक्षणा गाय को भारत के राष्ट्रमाता के पद पर प्रतिष्ठित कर गोहत्या के कलंक से भारत को मुक्त करें। गाय एवं गोवंश को सुरक्षित करे। पंचदिवसीय गोसंसद के माध्यम से उन्होंने अध्यक्ष रूप से धर्मादेश पारित किया है और गोरक्षा हेतु एक विधेयक पारित करवाया। उस विधेयक आज प्रादुर्भाव दिवस पर लोकार्पण किया जिसे देश की कैबिनेट को भेजा जाएगा।
इस भव्य महोत्सव में विशेष अतिथि के रूप में पूज्य राघवाचार्य परमहंसजी महाराज उपस्तिथ रहे।
काशी विद्वत परिषद व दिल्ली विद्वत परिषद द्वारा ज्योतिष्पीठ शंकराचार्यजी का माल्यार्पण से स्वागत हुआ।
चारधाम के प्रतिनिधिने शंकराचार्यजी प्रसाद समर्पित किया
भिन्न भिन्न विद्वानों एवं संतों ने शुभेच्छा संदेश देकर शंकराचार्यजी का अभिवादन अभिनंदन किया।
श्री राकेश अस्थाना, श्री नरेश टिकैत, एडवोकेट पी एन मिश्रा , पूर्व सीबीआई चीफ नागेश्वरजी राव, ब्रिजमोहन अग्रवाल, सुनील बजाजजी, अनिल बलोनी जी, इत्यादि ने भी अपने शब्द पुष्प शंकराचार्यजी के चरणों मे अर्पित किए।
गुजरात बनांसकंठा की सांसद
श्रीमती गेनिबेन ठाकुर जिन्होंने चुनाव से पूर्व गोमाता की बात संसद में रखने को अपने वचन को निभाते हुए को 5 ऑगस्ट को भारतकी संसद में शंकराचार्यजी के रामा गो प्रतिष्ठा अभियान एवं संतोकी गोरक्षा आंदोलन एवं पदयात्रा संसदमें रखा था उन्होंने शंकराचार्यजी के आशीर्वाद लिए ।
शंकराचार्यजी उद्बोधन
◆यतिचक्र चूड़ामणि धर्मसम्राट करपात्रीजी महाराज के प्रागट्य दिवस पर गोमाता प्रतिष्ठा पर्व के रूप में मनाया जाए
◆ प्रतिष्ठा बिना धन बेकार हो जाता है
◆ धन और मान दो कमाने की चीजें है
◆ उत्तम प्रकृति वाले लोग केवल मान की इच्छा करते है
◆इष्टापूर्त और दान करके मनुष्य प्रतिष्ठा प्राप्त करना चाहता
◆ अकीर्ति मृत्यु से भी बदतर है
◆निरंतर किसी के घर जाने से मान घट जाता है
◆हमारे पूर्वज जो करते है उसी को करना चाहिए
◆गो के सम्मान को भूल गए तो कहीं ऐसा न हो कि माँ को छोड़ दे, बिना माँ का बेटा अनाथ हो जाता है
◆ कानून बनने से अपराध सम्पूर्णतः भले न रुके, पर नियंत्रित होता है, डर लगता है।
◆ पशु सूचि से हटने के बाद राष्ट्रमाता के साथ व्यवहार बदल जाएगा
◆ गाय के लिये पशु शब्द का बोधक नही रहना चाहिए
◆ सनातन धर्म वृषभ रूप से प्रगट होता है। वृषभ की माता गाय है। धर्म पालन से हमने वृषभ को अंगीकार किया है, इसलिए हमारी माता गोमाता है।
अन्य कार्यक्रम
शंकराचार्यजी का तुलादान हुआ। जिसमें भिन्न भिन्न 7 द्रव्य से हुआ। रबड़ी, फल, अन्न, आदि आदि।
अनूप जलोटा ने भजन प्रस्तुत किए । ध ग्रेट खली ने भी शंकराचार्यजी के आशीर्वाद लिए।
हजारो की संख्या में भक्तजनों ने प्रसाद पाया।