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गौ-शालाएं स्वावलंबी बनाना जरूरी

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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आत्मनिर्भर गौशालाएं प्रदेश की अर्थव्यवस्था में नई ताकत बन सकती हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि गौशालाओं में गोबर, गोमूत्र और दुग्ध उत्पादों से आय के साधन विकसित किए जाएं और सौर ऊर्जा उत्पादन जैसी पहलें की जाएं। साथ ही, देसी नस्ल के गोपालन को बढ़ावा देने और पशु चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को मंत्रालय में गौसंवर्धन बोर्ड की समीक्षा बैठक की। मुख्यमंत्री ने कहा है कि आत्मनिर्भर गोशाला, प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। गौ-शालाएं गोबर, गोमूत्र आदि अपशिष्ट से धन अर्जित कर संपन्न बन सकती हैं। अतः स्वावलंबी गौशालाएं विकसित करने के लिए गौशालाओं में दुग्ध उत्पादों सहित गोमूत्र-गोबर आदि से निर्मित सामग्री के विक्रय की व्यवस्था विकसित की जाए। इसके साथ ही गौशालाओं में उपलब्ध स्थान का उपयोग सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन के लिए भी किया जाए। प्रदेश के विभिन्न अंचलों में स्थानीय परिवेश के अनुरूप देसी नस्ल के गोपालन को प्रोत्साहित किया जाए। गौशालाओं के प्रबंधन में धार्मिक संस्थाओं और दानदाताओं को जोड़ा जाए। प्रदेश में उपलब्ध पशुधन के अनुपात में पशु चिकित्सकों की संख्या कम है। गोवंश के बेहतर प्रबंधन और दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के लिए पशु चिकित्सकों की संख्या में बढ़ोतरी आवश्यक है। इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए जाएं।

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