(पवन वर्मा-विनायक फीचर्स)

मध्यप्रदेश की राजनीति ने पिछले दो वर्षों में जिस स्थिरता, स्पष्टता और नेतृत्व की परिपक्वता को महसूस किया है, उसकी पृष्ठभूमि केवल राजनीतिक घटनाक्रम नहीं, बल्कि नेतृत्व की एक नई परिभाषा है। अक्सर सत्ता परिवर्तन के बाद सरकारें दिशा तय करने में समय लेती हैं, परंतु डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री पद संभालते ही स्पष्ट कर दिया कि उनका नेतृत्व सिर्फ पद की औपचारिकता नहीं, बल्कि कार्य की प्रतिबद्धता पर आधारित है।

उनके दो वर्ष इस बात का प्रमाण बनकर खड़े हैं कि यदि नेतृत्व दृढ़ संकल्पित हो, स्पष्ट सोच रखता हो और जनता के हित को केंद्र में रखकर काम करे,तो शासन की शैली बदलते देर नहीं लगती। मोहन यादव की राजनीतिक यात्रा हमेशा जमीन से जुड़ी रही है, पर मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने जिस परिपक्वता और शांति से दृढ़ता का प्रदर्शन किया, उसने उन्हें सत्ता के नायक की सीमाओं से आगे बढ़ाकर जननायक की राह पर स्थापित किया है।

इन दो वर्षों में डॉ. यादव ने मध्यप्रदेश को एक ऐसे शासन मॉडल की ओर ले जाने का प्रयास किया है जहां निर्णयों में स्पष्टता हो, योजनाओं में परिणाम दिखें और प्रशासनिक ढांचे में जवाबदेही सुनिश्चित हो। उनकी नेतृत्व शैली शोर-शराबे से परे, दृढ़ता और निरंतरता पर आधारित रही है। वे प्रचारात्मक राजनीति से दूरी रखते हैं और यही गुण जनता के बीच उनके प्रति भरोसा मजबूत करता है।

मध्यप्रदेश के प्रशासनिक ढांचे में पिछले दो वर्षों में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए। पुलिस और कानून व्यवस्था को लेकर स्पष्ट आदेश दिए गए। संगठित अपराध, साइबर अपराध और नक्सल नेटवर्क पर जो रणनीतिक दबाव बना, वह एक सुविचारित दृष्टि का हिस्सा था। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगातार समन्वय के साथ काम हुआ, अपराधियों पर नकेल कसी गई और साइबर अपराध के मामलों में मध्यप्रदेश ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी कार्रवाई का उदाहरण पेश किया। यह किसी आकस्मिक पहल का परिणाम नहीं था, बल्कि एक निरंतर चलने वाली प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा था जिसे मुख्यमंत्री कार्यालय से लगातार मॉनिटर किया गया।

विकास योजनाओं के क्षेत्र में भी राज्य ने उल्लेखनीय गति पकड़ी। सड़क निर्माण से लेकर सिंचाई परियोजनाओं, स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर शिक्षा के ढांचे तक सभी क्षेत्रों में योजनाओं के कार्यान्वयन पर सरकार ने बराबर ध्यान दिया। डॉ. यादव की कार्यशैली की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उन्होंने किसी भी योजना को केवल घोषणाओं के स्तर पर नहीं रहने दिया। योजनाओं में परिणाम दिखाई दें,यह उनके प्रशासन की प्राथमिकता रही।
लाड़ली बहना योजना जैसी महिला-केंद्रित नीतियों को उन्होंने केवल बनाए ही नहीं रखा, बल्कि उन्हें मजबूत करते हुए यह सुनिश्चित किया कि इसका लाभ समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से महिलाओं तक पहुंचे। जनकल्याण की ये योजनाएं राज्य की सामाजिक संरचना को नई दिशा देती हैं और महिलाओं में आर्थिक आत्मनिर्भरता की भावना को मजबूत करती हैं।
डॉ. यादव की नेतृत्व शैली का सबसे प्रभावशाली पक्ष उनकी सहजता और जनता से उनका स्वाभाविक संबंध है। वे मंचों और भव्य आयोजनों के नेता नहीं, बल्कि सरल, संवादशील और जमीन से जुड़े नेतृत्व का उदाहरण हैं। उनकी यह शैली जनता के मन में यह विश्वास जगाती है कि उनका मुख्यमंत्री दूर नहीं, उनके बीच का व्यक्ति है जो कम शब्द बोलता है, पर काम ज़्यादा करता है।
सत्ता और संगठन के बीच उनका संतुलन भी उल्लेखनीय रहा। भाजपा संगठन के साथ उनके संबंध राजनीति में वह स्थिरता पैदा करते हैं जो किसी भी सरकार की सफलता का मूल आधार होती है। हेमंत खंडेलवाल के साथ उनकी समझदारी ने इन दो वर्षों में शासन और संगठन को एक स्पष्ट दिशा दी, जिससे निर्णय तेज हुए और राजनीतिक तालमेल मजबूत हुआ।

धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को मध्यप्रदेश की विकास यात्रा के साथ जोड़ना भी डॉ. यादव के नेतृत्व की विशिष्टता है। उज्जैन,ओंकारेश्वर, अमरकंटक, रामराजा सरकार और खजुराहो जैसे स्थलों पर विकास कार्यों ने प्रदेश की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत की है। यह विकास केवल आस्था नहीं, बल्कि पर्यटन, अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक भी है। उज्जैन के महाकाल कॉरीडोर की लोकप्रियता तो दुनिया भर में फैल चुकी है।

फिर भी, यह स्वीकार करना होगा कि किसी भी नेता की राजनीतिक यात्रा चुनौतियों से भरी होती है। आने वाले समय में बेरोजगारी, औद्योगिक निवेश, ग्रामीण क्षेत्रों का बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य, शिक्षा की गुणवत्ता और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण ये मुद्दे नई राह तय करेंगे। जनता अब पहले से अधिक उम्मीदें रखती है, और यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि पिछले दो वर्षों में नेतृत्व ने खुद को परिणाम देने वाली शैली के रूप में स्थापित किया है।

फिर भी, इन दो वर्षों की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि मध्यप्रदेश में एक स्थिर, केंद्रित और जवाबदेह नेतृत्व खड़ा हुआ है। मोहन यादव की छवि प्रशासनिक दक्षता, सहज सरल नेतृत्व और जन-संवादशीलता के मेल से बनी है और यही वह आधार है जो किसी नेता को जननायक बनने की दिशा में आगे बढ़ाता है।

दो साल बाद यह स्पष्ट है कि मोहन यादव सिर्फ सत्ता संभालने वाले नेता नहीं, बल्कि एक ऐसे नेतृत्व की नींव रख चुके हैं जो मध्यप्रदेश की नई राजनीतिक संस्कृति का निर्माण कर रहा है। सत्ता का नायक समय बनाता है, पर जननायक समय से आगे बढ़कर जनता के मन में स्थान बनाता है। मोहन यादव की इन दो वर्षों की यात्रा इसी परिवर्तन का संकेत है और मध्यप्रदेश इस परिवर्तन को महसूस कर रहा है।

(विनायक फीचर्स)

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