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एसआरए ने वरळी में 2,500 परिवारों के घर का सपना संकट में डाला, स्थानीय निवासियों की मुख्यमंत्री से सहयोग की मांग

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मुंबई। एक बेहद चिंताजनक घटनाक्रम में, झोपड़पट्टीवासियों के आवास अधिकारों की रक्षा के लिए गठित स्लम पुनर्विकास प्राधिकरण (SRA) ही आज उन्हीं अधिकारों के लिए सबसे बड़ा खतरा बनता नजर आ रहा है। वरळी गांव में पिछले तीन दशकों से लंबित 2,500 से अधिक परिवारों के पुनर्विकास की परियोजना, जो हाल ही में गति पकड़ पाई थी, अब एसआरए SRA के विवादास्पद प्रशासनिक फैसलों के कारण एक बार फिर अधर में लटक गई है।

‘सागर दर्शन को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी’ और ‘चैतन्य साईं जनता कॉलोनी को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी’ की यह SRA परियोजना लगभग 30 वर्षों से ठप पड़ी थी। हाल ही में एक सक्षम, कानूनी रूप से नियुक्त डेवलपर ने सभी वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए इस परियोजना को पुनर्जीवित किया।
सभी पहलुओं की जांच के बाद स्वयं SRA ने अक्टूबर 2024 में निर्माण की औपचारिक मंजूरी दी, जिसके बाद काम पूरे वेग से शुरू हुआ और वर्षों से इंतजार कर रहे निवासियों में एक नई उम्मीद जगी।

लेकिन जब निर्माण सुचारू रूप से चल रहा था, तभी SRA के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) ने बिना किसी स्पष्ट, पारदर्शी या ठोस कारण के धारा 13(2) के तहत डेवलपर को हटाने का नोटिस जारी कर दिया। इस अचानक कदम ने परियोजना को फिर से अनिश्चितता के भंवर में डाल दिया और हजारों परिवारों का भविष्य एक बार फिर खतरे में पड़ गया।

21 दिसंबर, परियोजना से प्रभावित नागरिकों ने वरळी के कोली समाज भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी पीड़ा और आक्रोश को सार्वजनिक रूप से व्यक्त किया।

“महेंद्र कल्याणकर साहब, गेट वेल सून” के तीखे नारों के साथ वरळी के नागरिकों ने एसआरए अधिकारी महेंद्र कल्याणकर के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रशासनिक अन्याय और लापरवाही से आक्रोशित नागरिकों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों की अनदेखी जारी रही, तो वे मतदान के बहिष्कार का कदम उठाने को मजबूर होंगे।

साथ ही सागर दर्शन वर्ली के निवासियों ने सीएम देवेंद्र फडणवीस से अपने SRA डेवलपमेंट का काम फिर से शुरू करने की अपील की।

यह कोई एकमात्र मामला नहीं है। पास की ही एक अन्य SRA परियोजना, जिसमें 2,054 परिवार शामिल हैं और जो वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है, उसमें भी धारा 13(2) के तहत इसी तरह की कार्रवाई शुरू किए जाने की खबर है।
इससे यह गंभीर सवाल खड़ा होता है कि क्या SRA प्रशासन न्यायिक प्रक्रिया को कमजोर कर रहा है और माननीय उच्च न्यायालय के अधिकार की अनदेखी कर रहा है?

डेवलपर न केवल परियोजना को पूरा करने में सक्षम और इच्छुक है, बल्कि उसे परियोजना-प्रभावित निवासियों का पूर्ण समर्थन भी प्राप्त है।तकनीकी, कानूनी या वित्तीय स्तर पर किसी भी प्रकार की कमी का कोई रिकॉर्ड नहीं होने के बावजूद SRA द्वारा रुकावटें खड़ी की जा रही हैं।
ऐसे में सवाल स्वाभाविक है— आखिर SRA उन परियोजनाओं को क्यों रोक रही है, जिनका उद्देश्य पात्र झोपड़पट्टीवासियों को उनका वैध घर दिलाना है?

दशकों से सम्मानजनक घर की आस लगाए बैठे बुजुर्ग निवासियों के लिए यह अनिश्चितता बेहद पीड़ादायक है। बार-बार के प्रशासनिक हस्तक्षेप से परियोजना की लागत बढ़ रही है, समयसीमा खिसक रही है और आम मराठी परिवारों का भविष्य अंधकार में धकेला जा रहा है।

“हमारी मांग बहुत साधारण है—न्याय और हमारा घर,” वरळी के निवासियों ने स्पष्ट शब्दों में कहा है। उन्होंने SRA की कथित जन-विरोधी भूमिका के खिलाफ बड़े पैमाने पर जन आंदोलन की चेतावनी भी दी है।

निवासियों ने मीडिया से भी अपील की है कि वह इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच करे, सच्चाई को उजागर करे और हजारों जरूरतमंद परिवारों से जुड़े इस संवेदनशील मुद्दे में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करे।

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