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आध्यात्मिक गुरु डॉ. राजेन्द्र जी महाराज हुए ब्रह्मलीन

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मुंबई। मालाड, मुंबई में निवासरत संत शिरोमणि आध्यात्मिक गुरु डॉ. राजेन्द्र जी महाराज रविवार, 7 सितम्बर 2025 को प्रातः ब्रह्मलीन होकर परमधाम को प्रस्थान कर गए। उनका जीवन धर्म, अध्यात्म और करुणा का अनुपम उदाहरण रहा। वे पिछले पचास वर्ष से अमृत वाणी कर जनमानस का कल्याण कर रहे थे। उन्होंने मलाड पश्चिम में ऑरलम स्थित अमोघ धाम की स्थापना सन 2001 में की थी जहां प्रत्येक रविवार को सत्संग किया जाता है। वहां भक्त राम नाम जप करते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक विचारों का संचार करते हैं। उनकी अमृत वाणी को सुनने के लिए दूर दूर से सभी धर्म और समाज के लोग पहुंचते रहे हैं।

आध्यात्मिक गुरु राजेंद्र महाराज के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए पीयूष गोयल, गोपाल शेट्टी, विद्या ठाकुर, विनोद शेलर, असलम शेख तथा कई व्यवसायी और समाजसेवक पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किए। सोमवार, 8 सितम्बर 2025 को प्रातः 9 बजे उनके निवास “गुरु महिमा”, साई बाबा पार्क, मालाड (पश्चिम) से हिंदू श्मशान भूमि, मालाड पश्चिम तक शोभा यात्रा निकाली गई जिसमें हजारों भक्त और अनुयायी सम्मिलित रहे।

डॉ. राजेन्द्र जी महाराज ने मुंबई के वी.जे.टी.आई. इंजीनियरिंग कॉलेज से बीई की डिग्री प्राप्त की और शिक्षा व विज्ञान को अध्यात्म से जोड़ा। उन्होंने पाँच हजार से अधिक सत्संग सभाओं के माध्यम से लाखों श्रद्धालुओं को साधना और सेवा का संदेश दिया। “अमृतवाणी सत्संग” कार्यक्रम द्वारा उनका मार्गदर्शन देश और विदेश तक पहुँचता रहा है जहां उनके भक्त और अनुयायी सफल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। अपने मंत्र “हैव फेथ इन योर फेथ” के माध्यम से उन्होंने पूरे संसार को संदेश दिया है। साथ ही “व्हाइट फ्लावर” और “बिखरो अनमोल होकर” ग्रंथ का लेखन किया है। उनके समाजसेवा कार्यों में गरीबों को भोजन, निर्धन विद्यार्थियों की सहायता, वृक्षारोपण और पशु-पक्षियों की सेवा प्रमुख रही। अनुयायी प्रति वर्ष 3 जनवरी उनके जन्मदिन को इंटरनेशनल डे फॉर फीडिंग द पुअर्स के रूप में मनाते हैं और अपने गुरु के कहेनुसार जगह जगह उत्तम प्रकार के खाद्य सामग्री और विशिष्ट पकवान बनाकर गरीबों को बांटते हैं।

आध्यात्मिक गुरु राजेंद्र महाराज को सन 2019 में राजस्थान के जगदीश झाबरमल तिबड़ेवाल यूनिवर्सिटी, झुंझुनूं द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने अपने राजनीतिक कार्यकाल के दौरान राजभवन में गुरु राजेंद्र महाराज को भारत गौरव सम्मान प्रदान किया था और गुरु के सत्संग का आनंद प्राप्त किया।

एक परोपकारी गुरु के ब्रह्मलीन होने से आध्यात्मिक जगत को अपूरणीय क्षति हुई है, परंतु उनकी शिक्षाएँ अनुयायियों के लिए सदैव मार्गदर्शन और प्रेरणास्रोत बनी रहेंगी।

– संतोष साहू

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