Home Entertainment हर्षवर्धन चौहान ने पेश की ब्रांडिंग की एक नई परिभाषा ‘दिल से’

हर्षवर्धन चौहान ने पेश की ब्रांडिंग की एक नई परिभाषा ‘दिल से’

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दिल से… एक ब्रांड नहीं, एक एहसास: भारत को मिला पहला ‘एक्सपीरिएंसेज़-टू-कंज़्यूमर’ विज़न

मुंबई। जब ब्रांड्स अपने उत्पादों से नहीं, बल्कि अपने जज़्बातों से दिल जीतने निकलें, तो उन्हें नाम दिया जाता है – ‘दिल से’।
मुंबई में अंधेरी पश्चिम स्थित रहेजा क्लासिक क्लब में ‘दिलसे – द हैपिनेस कलेक्टिव प्राइवेट लिमिटेड’ ने भारत के पहले ‘एक्सपीरिएंसेज़-टू-कंज़्यूमर (E2C)’ ब्रांड के रूप में दस्तक दी। लेकिन यह कोई आम लॉन्च नहीं था, यह एक थिएटर के पर्दे पर उभरी आत्मा की आवाज़ थी, एक ऐसी प्रस्तुति जिसने दर्शकों को सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक आंतरिक स्पंदन का अनुभव कराया।
इस शो के सूत्रधार, लेखक और रचनात्मक शक्ति हर्षवर्धन चौहान न केवल मंच पर थे, बल्कि हर शब्द, हर रचना में उनकी आत्मा बोल रही थी। उन्होंने कहा कि यह लॉन्च नहीं था, यह एक ‘सोल कॉन्ट्रैक्ट’ था। हमने अभिनय नहीं किया बल्कि हमने खुद को जिया। हमारा ब्रांड आँकड़ों में नहीं, एहसास में सांस लेता है।
‘दिलसे’ भारतीय मार्केट में एक नई कैटेगरी लेकर आया है – E2C यानी ‘एक्सपीरिएंसेज़-टू-कंज़्यूमर’, जहां ग्राहक सिर्फ एक उपभोक्ता नहीं, बल्कि एक भावनात्मक सहभागी बन जाता है।
यह ब्रांड थिएटर, आवाज़, संगीत, डिज़ाइन और डिजिटल आर्ट के ज़रिए एक ऐसा अनुभव गढ़ता है, जो यादों की तरह दिल में बस जाए। यहां प्रोडक्ट्स धारण करने के लिए नहीं बल्कि महसूस करने के लिए होंगे।
लॉन्च शो की गूंज के बाद ‘दिल से’ अब एक और साहसिक कदम उठाने जा रहा है।
23 जुलाई 2025 को दिलसे ऐप की सॉफ्ट लॉन्चिंग होगी। भारत का पहला सोल-लेड डिजिटल स्पेस, जहां ब्रांड और भावनाएं एक-दूसरे से संवाद करेंगी।
अगस्त से ब्रांड अपने ‘प्रोडक्ट रिचुअल्स’ और खास वियरेबल्स लॉन्च करेगा, जो न केवल स्टाइल बल्कि एक इनर-कनेक्शन का प्रतीक होंगे।
हर्षवर्धन चौहान केवल एक सीईओ नहीं हैं – वो एक अनुभवी-निर्माता, शब्दों के योगी और एक भावना-शिल्पी हैं। उन्होंने नाट्य के रूप में “दिल से” ब्रांड को अनोखे रूप में प्रस्तुत किया है, वह बिज़नेस नहीं, एक आंदोलन है और सीधे तौर पर दिल से जुड़ने की पहल।
हर्षवर्धन चौहान के अनुसार ‘दिलसे’ ब्रांडिंग शोर नहीं, संवेदना है और अगर कारोबार को फिर से दिल से गढ़ना है – तो यही शुरुआत है। क्योंकि कुछ ब्रांड दिखते हैं, पर ‘दिलसे’ महसूस होता है।

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