”’ राज्यपाल ने देवरहा बाबा की स्मृति को नमन करते हुए कहा कि वह महान योगी, सिद्ध तो थे ही, गोसेवा को सर्वोपरि-धर्म मानते थे। वह कहते थे, ‘जीवन को पवित्र बनाए बिना, ईमानदारी, सात्विकता-सरसता के बिना भगवान की कृपा प्राप्त नहीं होती। गो सेवा इसका सबसे बड़ा माध्यम है। राज्यपाल ने कहा कि महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म कहते हैं कि गाय हमारी माता है और बैल हमारे पिता हैं। वेदों में सूर्य की एक किरण का नाम कपिला है।
उन्होंने गोपाष्टमी पर्व मनाने, श्री कृष्ण का धेनु से नाता बताते हुए कहा कि गो ने भगवान का अभिषेक किया, उसी दिन से भगवान का एक नाम ‘गोविंद’ पड़ा। गाय विश्वरूपा है। वह अखिल ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए गाय संरक्षण के लिए सबको मिलकर कार्य करना चाहिए। बागडे ने “गो-महाकुम्भ 2025″ में गाय के उत्पादों की लगी प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए गो उत्पादों के प्रभावी विपणन के लिए भी कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने इस अवसर पर गाय का पूजन किया और गो संस्कृति के लिए समर्पित होने की आवश्यकता जताई। ” 

Jaipur – राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने कहा कि भारतीय संस्कृति गो संस्कृति है। संस्कृति में गो शब्द लग जाता है तो इसका अर्थ है-श्रद्धा के साथ अर्थव्यवस्था का जुड़ना। ऐसी अर्थव्यवस्था से ही सतत् और संतुलित विकास होता है। उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए गाय को केन्द्र में रखकर उसके उत्पादों से जन-जन को जोड़े जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गो धन संरक्षण के लिए गौशालाओं की स्थापना संग नंदी शालाएं भी स्थापित की जाए।

इस गौ महाकुंभ में विशेषतौर पर विश्वशांति दूत जैन संत मुनिवर आचार्य लोकेश मुनि जी की भागीदारी ने कार्यक्रम को और गरिमा प्रदान की है। इसके प्रमुख आयोजक भरत राजपुरोहित है। जिन्होंने इसका आयोजन किया।

राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे जी ने “गौ-महाकुम्भ 2025” में गौ उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए उनके के प्रभावी विपणन के लिए कार्य करने पर जोर दिया और कहा कि गाय विश्वरूपा है, वह अखिल ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए गौ संरक्षण के लिए सबको मिलकर कार्य करना चाहिए।

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