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रीवा के गौ सेवक, 25,000 गायों को रेस्क्यू कर बना चुके हैं मिसाल

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रीवा जिले के इटौरा बाईपास के निवासी गौरव पांडेय गाय माता को अपनी मां की तरह स्नेह करते हैं. उनके अनुसार, गाय हिंदू धर्म में पूज्यनीय मानी जाती है. उनकी सेवा करना जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है. गौरव ने अपने जीवन का उद्देश्य गौ सेवा को बनाया है. अब तक 25,000 से अधिक गायों का रेस्क्यू कर उन्हें सुरक्षित किया है. वह किसी से कोई अनुदान नहीं लेते, बल्कि अपने व्यक्तिगत खर्च पर ही यह सेवा करते हैं.

गौरव रीवा जिले की सभी तहसीलों में गौवंश की सेवा कर रहे हैं. वह कहीं भी गायों के साथ गलत व्यवहार नहीं होने देते और घायल गायों का इलाज कराते हैं. उन्होंने गायों के प्रति संवेदनशीलता की प्रेरणा अपने माता-पिता से प्राप्त की है, जो बचपन से ही गौ सेवा में लगे हुए थे.

दोस्त का एक्सीडेंट हुआ गाय के कारण
उनके दोस्त के साथ हुए हादसे के बाद उन्होंने ठान लिया. वह गायों और उनसे हो रही दुर्घटनाओं को रोकने का प्रयास करेंगे. उनके दोस्त का एक्सीडेंट गाय के कारण हुआ, जिसके बाद उन्होंने 6 महीने तक गायों के गले में रेडियम पट्टी बांधने का काम किया, ताकि वाहन चालक सुरक्षित रह सकें.

गाय समृद्धि का मूल स्रोत
गौरव कहते हैं, “रोड पर पड़ी घायल गायों का इलाज करता हूं. इस काम को करते हुए डेढ़ साल हो चुका है.” उन्हें पंच दिवसीय गौ संसद के दौरान जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज और गुरुदेव गोपालमणि महाराज द्वारा गौ सांसद रीवा लोकसभा से नियुक्त किया गया है. उनका उद्देश्य आजीवन निस्वार्थ भाव से गौ सेवा करना है. गौरव पांडेय बताते हैं कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए. उनका मानना है कि गाय समृद्धि का मूल स्रोत है. हमारे जीवन का पोषण करती है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी, गाय वह एकमात्र प्राणी है जो ऑक्सीजन ग्रहण करने के साथ-साथ उसे छोड़ता भी है, जो इसे और भी अद्वितीय बनाता है.

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