नई दिल्ली| कानपुर की गलियों से निकलकर देश के आसमान तक पहुंचने की यह कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट जैसी लगती है, लेकिन यह हकीकत है। जिस शख्स ने कभी कानपुर में टेंपो चलाई, गंगाजी में डुबकी लगाई और आम जिंदगी जी, वही आज अपनी एयरलाइन शुरू करने जा रहा है। नाम है- श्रवण कुमार विश्वकर्मा (Shravan Kumar Vishwakarma)। उन्होंने एक सपना देखा था कि वो कभी हवाई चप्पल पहनने वालों हवाई जहाज का सफर कराएंगे और आज से 26 महीने पहले यूपी की पहली एयरलाइंस को इंट्रोड्यूस किया। नाम दिया- शंख एयरलाइंस (Shankh Airlines)।

जिसे गरुवार, 24 दिसंबर को मंजूरी को मंजरी मिल गई। नागरिक उड्डयन मंत्रालय शंख एयरलाइंस (Shankh Airline) समेत तीन एयरलाइंस को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (Shankh Air NOC) जारी किया है। इनमें अल हिंद एयर (HindAir) और फ्लाई एक्सप्रेस (FlyExpress) एयरलाइंस शामिल हैं। अब सवाल यह है कि आखिर कौन हैं श्रवण कुमार और क्या है उनका पूरा प्लान?

कौन हैं श्रवण कुमार विश्वकर्मा?

श्रवण कुमार शंख एयर के फाइंडर और चेयरमैन (shankh airlines owner) हैं। उत्तर प्रदेश के कानपुर से ताल्लुक रखते हैं। मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे श्रवण बताते हैं कि पढ़ाई में उनका मन ज्यादा नहीं लगता था। दोस्ती-यारी और हालात ऐसे रहे कि जल्दी ही पढ़ाई छूट गई। इसके बाद उन्होंने बिजनेस की दुनिया में कदम रखा और धीरे-धीरे खुद को खड़ा किया। उनका पहला बड़ा काम सरिया (TMT) का बिजनेस था। इसके बाद उन्होंने सीमेंट, माइनिंग और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में हाथ आजमाया। ट्रकों का बड़ा बेड़ा खड़ा किया और यहीं से उनकी कारोबारी पहचान बनी।

टेंपो चलाने से बिजनेस तक का सफर

श्रवण कुमार ने खुद बताया है कि उन्होंने न सिर्फ टेंपो में सफर किया, बल्कि दोस्तों के टेंपो खुद चलाए भी हैं। श्रवण कुमार के मुताबिक, “नीचे से ऊपर आने वाला आदमी साइकिल, बस, ट्रेन, टेंपो सब कुछ देखता है।” यही अनुभव आज उनकी सोच की सबसे बड़ी ताकत बना।

एयरलाइन का आइडिया कैसे आया?

करीब 3-4 साल पहले श्रवण कुमार के मन में कुछ अलग करने का जुनून आया। उनका मानना था कि एविएशन आने वाले समय की ग्रोथ इंडस्ट्री है। लोग समय बचाना चाहते हैं और हवाई सफर अब जरूरत बन चुका है। एक यात्रा के दौरान उन्हें महसूस हुआ कि मध्यम वर्ग के लिए सस्ती और भरोसेमंद एयरलाइन की भारी कमी है- यहीं से शंख एयरलाइन का विचार जन्मा।

एयरलाइंस का नाम शंख क्यों रखा?

श्रवण कुमार बताते हैं कि ‘शंख’ नाम उनके लिए नया नहीं था। उनकी पहले से मौजूद कंपनी में भी यही नाम जुड़ा था। धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान वाला यह नाम उन्हें अपील करता है। हर घर में शंख होता है, लेकिन हर कोई उसे बजा नहीं पाता। श्रवण कहते हैं कि, “हम भी कुछ ऐसा ही करना चाहते हैं, जो सबके पास हो, लेकिन अलग पहचान बनाए।”

टिकट की कीमतें कैसी होंगी?

श्रवण कुमार का सबसे बड़ा दावा है- नो डायनामिक प्राइसिंग। उनका साफ कहना है कि, सुबह 5,000 रुपए की टिकट शाम को 25,000 रुपए नहीं होगी। होली-दिवाली, छठ का त्योहार हो, कुंभ हो या फिर डिमांड ही क्यों न बढ़ जाए… उनकी एयरलाइंस का किराया आसमान नहीं छुएगा। उनका फोकस मध्यम वर्ग पर है। तय रेट, सीमित मुनाफा और भरोसेमंद सेवा, यही शंख एयरलाइन का मॉडल होगा।

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