भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार अब आदिवासियों को गाय-भैंस पालने की ट्रेनिंग देगी. इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही ‘मुख्यमंत्री दुधारू पशु प्रदाय कार्यक्रम’ की गाइडलाइन में शासन ने बदलाव किया है. इसके तहत प्रदेश के आदिवासी समुदाय को गाय-भैंस दी जाएगी, लेकिन इसके पहले उन्हें गाय-भैंस पालने, दूध दुहने जैसे कामकाज का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके लिए 660 आदिवासियों को इस योजना का लाभ दिया जाएगा. उधर, मुख्यमंत्री डेरी प्लस योजना में भी लक्ष्य पूरा करने के लिए जिलों से हितग्राहियों के नाम बुलाए जा रहे हैं.

इसलिए दिया जा रहा प्रशिक्षण

राज्य सरकार ने साल 2023 से प्रदेश में मुख्यमंत्री दुधारू पशु प्रदाय कार्यक्रम शुरू किया था. यह कार्यक्रम प्रदेश के अनूपपुर, उमरिया, मंडला, डिंडोरी, शिवपुरी, गुना, छिंदवाड़ा, बालाघाट, झाबुआ, धार, बडवानी सहित 14 जिलों में शुरू किया गया. पशुपालन विभाग द्वारा इन जिलों की विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा, सहरिया और भारिया को 90 फीसदी अनुदान पर एक गाय और भैंस दे दी गई थी, लेकिन जब विभाग की टीम बाद में निरीक्षण करने पहुंची, तो उन्हें कई आदिवासियों के घर पर गाय-भैंस मिली ही नहीं.अधिकारियों के मुताबिक आदिवासियों ने या तो इन गाय-भैंसों को औने-पौने दामों पर बेच दिया या फिर किसी दूसरे को दे दी. कुछ मामलों में गैर आदिवासियों ने आदिवासियों के नाम पर गाय-भैंस ले लिए. ऐसे मामले सामने आने के बाद राज्य शासन द्वारा कुछ जिलों के अधिकारियों पर कार्रवाई भी की गई थी.

ऐसे मामले सामने आने के बाद मध्य प्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम ने योजना को हिट बनाने के लिए नई गाइडलाइन तैयार की है. निगम के प्रबंध संचालक डॉ. सत्यनिधि शुक्ल ने बताया कि “अब हितग्राहियों को गाय-भैंस दिए जाने के पहले असली हितग्राही की पहचान की जाएगी.

इसके बाद उनका प्रशिक्षण कराया जाएगा. इसमें उन्हें गाय-भैंस पालने के बारे में बताया जाएगा. इसके अलावा तय किया गया है कि अब पहले हितग्राही को एक ही पशु दिया जाएगा, जब वह उसे ठीक से पालने लगेगा उसके बाद ही दूसरा पशु दिया जाएगा. ताकि योजना में किसी तरह की गड़बडी न हो.”

मुख्यमंत्री दुधारू पशु प्रदाय योजना के तहत 660 हितग्राहियों का लक्ष्य रखा गया है. इसके तहत एक हितग्राही को 1.90 लाख रुपए दिया जाता है. इसमें से हितग्राही को सिर्फ 10 फीसदी राशि यानी 19 हजार रुपए ही देने होते हैं. उधर, मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना में भी हितग्राही को 2 भैंस दी जाती है. यह योजना पूरे प्रदेश में चल रही है.

इस योजना के लिए 2028 हितग्राहियों का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन अब तक 700 हितग्राहियों का ही चयन किया जा सका है. अगले साल अप्रैल माह के पहले बाकी हितग्राहियों का चयन करने का लक्ष्य रखा गया है. इस योजना में अनुसूचित जाति और जनजाति के हितग्राहियों को 75 फीसदी और सामान्य-ओबीसी वर्ग को 25 फीसदी का अनुदान दिया जाता है.

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