हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (CCSHAU) ने किसानों के लिए एक नई और उन्नत गेहूं की किस्म WH-1402 लॉन्च की है, जो न केवल उच्च पैदावार और गुणवत्ता के लिए जानी जाती है, बल्कि तेजी से पकने के कारण भी किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी। इस किस्म के विकास का उद्देश्य किसानों को अधिक उत्पादन, बेहतर पोषण और समय पर फसल प्राप्ति की सुविधा प्रदान करना है। कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज की उपस्थिति में विश्वविद्यालय ने श्री संत सीड्स एलएलपी, टोहाना के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि इस नई किस्म के बीज अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचे।
WH-1402 किस्म की विशेषता यह है कि यह 147 दिनों में पूरी तरह पककर तैयार हो जाती है। इसमें बालियां लंबी और मजबूत होती हैं, जिससे यह तेज़ हवाओं या बारिश में भी गिरने की संभावना को कम करती है। यह किस्म 100 दिन में बालियां निकालती है, और इसके पौधों की ऊंचाई लगभग 100 सेंटीमीटर तक होती है। इसके अलावा, इसमें 11.3 प्रतिशत प्रोटीन, 77.7 किलो/हेक्टोलिटर वजन, और लौह (37.6 पीपीएम) और जिंक (37.8 पीपीएम) जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो इसे पौष्टिकता के लिहाज से उत्कृष्ट बनाते हैं।
बीज दर और सिंचाई की आवश्यकता
WH-1402 किस्म की बिजाई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के पहले सप्ताह के बीच की जाती है। इसकी बीज दर 100 किलो प्रति हेक्टेयर रखी गई है। यह किस्म दो बार सिंचाई की मांग करती है — पहली सिंचाई बिजाई के 20-25 दिन बाद और दूसरी सिंचाई 80-85 दिन बाद। इसकी कम सिंचाई की आवश्यकता इसे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से भी सुरक्षित रखती है, जो इसे अधिक उत्पादक और स्थिर बनाता है।
नई किस्म से किसानों को मिलेगा लाभ
WH-1402 का मुख्य उद्देश्य किसानों को उन्नत तकनीकी से अधिक पैदावार और बेहतर गुणवत्ता वाली गेहूं की फसल प्राप्त कराना है। इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद किसानों की आय को बढ़ाने में मदद करेगा। किसानों के लिए इसे अपनाना एक लाभकारी कदम साबित हो सकता है, क्योंकि यह किस्म कम समय में तैयार होती है और इसकी पैदावार भी अधिक होती है।
समझौता ज्ञापन और भविष्य की योजनाएँ
विश्वविद्यालय ने श्री संत सीड्स एलएलपी के साथ समझौता कर यह सुनिश्चित किया है कि इस किस्म के बीज देशभर में किसानों तक पहुंच सकें। इस समझौते के तहत, निजी क्षेत्र की कंपनी किसानों तक इस उन्नत किस्म के बीज पहुंचाएगी, जिससे उत्पादन में सुधार होगा और किसानों को अधिक आर्थिक लाभ मिलेगा।इस नई गेहूं की किस्म को लेकर वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यह किस्म भारत के विभिन्न कृषि क्षेत्रों में सफलतापूर्वक अपना स्थान बना सकती है और किसानों के लिए कृषि क्षेत्र में नई क्रांति का प्रतीक बन सकती है।








