भोपाल: राजधानी भोपाल में इस हफ्ते भोपाल हाट में राष्ट्रीय खादी महोत्सव मनाया जा रहा था. इसी बीच Local18 को भोपाल के एक ऐसे कलाकार मिले, जो कोरोना काल के पहले तक नौकरी कर रहे थे. फिर जब कोरोना में उनकी नौकरी छूट गई, तो अपनी पत्नी और मां के साथ गोबर शिल्पकला के दम पर गाय के गोबर से एक नया व्यापार शुरू किया, जिसकी अब देश और विदेश में जमकर डिमांड हो रही है. जिसके चलते उनकी लाखों में कमाई हो रही है.
गोबर आर्टिस्ट जितेंद्र की कहानी
लोकल 18 से बात करते हुए भोपाल के गोबर आर्टिस्ट जितेंद्र बताते हैं कि, उन्होंने पढ़ाई में एमबीए किया है और 2005 से ही नौकरीपेशा थे, पर फिर कोरोना लॉकडाउन के समय उनकी नौकरी छूट गई. जिसके बाद उन्होंने अपनी मां के गाइडेंस में गोबर से कलाकृतियां बनाना शुरू किया, जिसकी अब देश ही नहीं विदेशों में भी धूम है.
पत्नी की मदद से बना व्यापार
गोबर आर्टिस्ट जितेंद्र बताते हैं कि, उनकी पत्नी ने एमए इन चित्रकला में पढ़ाई पूरी की है. उनकी पत्नी और माता जी ही हैं, जिन्होंने जितेंद्र के गोबर आर्ट की शुरुआत में मदद की. उनकी पत्नी जहां सभी प्रोडक्ट के डिजाइन का काम देखती है, वहीं उनकी माता जी बाकी सभी कामों में जितेंद्र को मदद करती हैं.
गोबर की बढ़ी कीमत और डिमांड
जितेंद्र जो पिछले 5 वर्षों से गोबर आर्टिस्ट हैं, बताते हैं कि, “पहले गाय माता को लोग बस दूध के कारण पालते थे और जब गाय दूध देना बंद कर देती थी तो आवारा छोड़ देते थे, पर जब से गोबर आर्ट शुरू हुआ है, उसके बाद से गोबर की डिमांड बढ़ी है. अब गोबर 100 रुपए किलो बिक रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप अब गाय माता को लोग आवारा नहीं छोड़ रहे हैं और इसमें कमी आई है.”
दिवाली के लिए गोबर के दियों की मांग
दिवाली के ठीक पहले जितेंद्र बताते हैं कि, “हमारे गोबर से बने दियों की मांग बढ़ी है. यह ईको-फ्रेंडली दिया मात्र 6 रुपए का एक पीस मिलता है, जिसके कारण इन शुद्ध दियों की खूब मांग हो रही है. हमने अभी महाराष्ट्र और उत्तराखंड में कई हजारों दिए भेजे हैं.”