आंध्र प्रदेश से एक गाय के वीडियो को देखने के बाद लोग उस समय हैरान रह गए जब उन्होंने गाय के पेट से 52 किलो प्लास्टिक को बाहर निकलते देखा.ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने बताया कि अगर थोड़ी और देर हो जाती तो उसकी जान बचाना काफी मुश्किल हो जाता. फिलहाल गाय की हालत धीरे-धीरे सुधर रही है और उस पर लगातार निगरानी रखी जा रही है.

आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के मछलीपटनम में सड़कों पर खुले आम घूमते मवेशियों की समस्या अब सिर्फ यातायात में बाधा तक सीमित नहीं रही. हाल ही में इस मुद्दे ने चिंताजनक रूप ले लिया जब नगर के बीचोंबीच एक गाय बेसुध हालत में मिली. स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना पशु चिकित्सा विभाग को दी. जांच में पता चला कि गाय की तबीयत गंभीर है और उसे तुरंत इलाज की जरूरत है. विभाग ने मामले की इमरजेंसी को देखते हुए डॉक्टर की निगरानी में पशु चिकित्सकों दीपक और हेमंत की टीम को मौके पर भेजाय डॉक्टरों ने तुरंत गाय का ट्रीटमेंट शुरू किया. 3 घंटे से ज्यादा चले इस जटिल ऑपरेशन में टीम ने उसके पेट से करीब 52 किलो प्लास्टिक, पॉलिथिन, पोस्टर के टुकड़े और अन्य भारी कचरा निकाला. इस नजारे को देख वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए कि इतने लंबे समय तक इतना भारी कचरा उसके भीतर कैसे जमा रहा होगा.

ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने बताया कि अगर थोड़ी और देर हो जाती तो उसकी जान बचाना काफी मुश्किल हो जाता. फिलहाल गाय की हालत धीरे-धीरे सुधर रही है और उस पर लगातार निगरानी रखी जा रही है. डॉक्टरों के अनुसार शहरों में मवेशियों को पर्याप्त चारा नहीं मिल पा रहा है.

खुले में घूमने वाले गाय-बैल अक्सर कूड़े के ढेरों में भोजन खोजते हैं और इसी दौरान पॉलिथिन और प्लास्टिक जैसी हानिकारक चीजें निगल लेते हैं. समय के साथ यह सामग्री उनके पेट में इकट्ठी होकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करती है. पशु चिकित्सकों का कहना है कि ऐसे मामले अब लगातार सामने आ रहे हैं और यह स्थिति बेहद चिंताजनक है क्योंकि यह न केवल जानवरों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही है बल्कि शहर की स्वच्छता व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर रही है.

लोगों ने लगाई गुहार

स्थानीय निवासियों और पशु प्रेमियों ने डॉक्टरों से गुहार लगाई है कि जरूरत पड़ने पर अन्य बीमार मवेशियों की भी सिस्टमैटिक तरीके से सर्जरी कर उन्हें राहत दिलाई जाए. लोगों का कहना है कि सड़कों पर लावारिस हालत में घूम रहे मवेशियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. कई बार ये जानवर सड़क के बीच में बैठ जाते हैं या अचानक वाहनों के सामने आ जाते हैं. इससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है और कई लोग घायल होने के साथ-साथ अपनी जान भी गंवा चुके हैं. वाहन चालकों को रोजाना ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है जिससे यातायात व्यवस्था भी प्रभावित होती है.

इन परिस्थितियों को देखते हुए शहर के नागरिकों ने पशुपालन विभाग और नगर निगम से मिलकर ठोस कदम उठाने की मांग की है. उनका कहना है कि यदि दोनों विभाग एक साथ काम करें तो सड़कों पर घूमते मवेशियों की पहचान, उनकी देखभाल और उपचार की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकता है. इसके साथ ही शहर में प्लास्टिक कचरे पर नियंत्रण पाने के लिए भी सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि मवेशियों के लिए यह खतरा कम हो सके.

 

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